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'एक देश, एक चुनाव' पर राजनीतिक दलों के सुर अनेक, लोकसभा में किस पार्टी का क्या स्टैंड, जानिए

एक देश, एक चुनाव के लिए मंगलवार को संसद में बिल आया. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इससे संबंधित संविधान संशोधन विधेयक सदन में पेश किया. इस बिल पर किस पार्टी का क्या स्टैंड रहा?

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

'एक देश, एक चुनाव' के लिए मंगलवार को सरकार संसद में 'संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024' और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 लेकर आई. लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ये बिल पेश किए. लोकसभा में जोरदार हंगामे के बीच बात डिवीजन तक पहुंची और इसके बाद ये बिल सदन में पेश हो सका. एक देश, एक चुनाव पर राजनीतिक दलों के सुर अलग-अलग सुनाई दिए. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह बिल सदन में पेश करने का प्रस्ताव किया. कांग्रेस से लेकर तमाम विरोधी पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया. शिवसेना और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) जैसे एनडीए के घटक दल खुलकर बिल के पक्ष में खड़े नजर आए. यह बिल डिवीजन के बाद पेश हुआ और इसके बाद जेपीसी को भेज दिया गया लेकिन उससे पहले किस पार्टी का क्या स्टैंड रहा?

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कांग्रेस ने किया विरोध

वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रावधान करने के लिए लाए गए संविधान संशोधन विधेयक का कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी ने विरोध किया. मनीष तिवारी ने कहा कि संविधान (129वां संशोधन) बिल और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक संविधान की सातवीं अनुसूची और उसके बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ है. संविधान की कुछ विशेषताएं हैं जो संसद के संशोधन के अधिकार से भी परे हैं. उन्होंने संघवाद का जिक्र करते हुए विधेयक को संविधान की मूल संरचना पर आघात बताया.

लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि चुनाव आयोग को इतने ही अधिकार दिए गए हैं कि कैसे सुपरवाइज करना है, कैसे मतदाता सूची बनानी है. राष्ट्रपति कभी भी परामर्श लेते हैं तो वे कैबिनेट से परामर्श लेते हैं और कभी कभी गवर्नर से. इस बिल में चुनाव आयोग से परामर्श की बात है जो असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि पहली बार ये ऐसा कानून लेकर आए हैं कि राष्ट्रपति चुनाव आयोग से भी परामर्श लेंगे. इसका हम विरोध करते हैं.

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गौरव गोगोई ने ये भी कहा कि इस बिल के जरिये राष्ट्रपति को ज्यादा शक्ति दी गई है. राष्ट्रपति अब 82 ए के जरिये विधानसभा को भंग कर सकते हैं. ये  एक्सेसिव पावर राष्ट्रपति के साथ चुनाव आयोग को भी दी गई है. उन्होंने नीति आयोग की रिपोर्ट के आधार पर यह कदम उठाए जाने की भी आलोचना की और कहा कि वह संवैधानिक बॉडी नहीं है. उसकी रिपोर्ट में न जाएं. 2014 के चुनाव में 3700 करोड़ खर्च हुआ, इसके लिए ये असंवैधानिक कानून लाए हैं. गौरव गोगोई ने कहा कि ये पूरे भारत के चुनाव को छीनेंगे तो हम ये नहीं होने देंगे. हम इसका विरोध करते हैं. इस बिल को जेपीसी में भेजा जाए.

सपा के धर्मेंद्र ने बीजेपी पर साधा निशाना

यूपी के आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद धर्मेंद्र यादव ने दो दिन पहले संविधान पर चर्चा का जिक्र करते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा. धर्मेंद्र यादव ने कहा कि अभी दो दिन पहले इसी सदन में संविधान को बचाने की कसमें खाने में कोई कसर नहीं रखी गई लेकिन दो ही दिन में संविधान बदला जा रहा है. बाबा साहब से अधिक विद्वान इस सदन में भी कोई नहीं बैठा है. संविधान की मूल भावना के खिलाफ जाकर तानाशाही लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. जो लोग मौसम देखकर तारीखें बदलते हैं, आठ सीट पर एक साथ चुनाव नहीं करा पाते, वो बात करते हैं एक देश एक चुनाव की. ये बीजेपी के लोग तानाशाही लाने के नए रास्ते खोज रहे हैं. एक प्रांत के अंदर सरकार गिरती है तो पूरे देश का चुनाव कराएंगे क्या.

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शिवसेना (यूबीटी) और ओवैसी ने क्या कहा

शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अनिल देसाई ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि भारत गणराज्य राज्यों का यूनियन है. यह बिल फेडरलिज्म पर आघात है. एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को संविधान का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी का उल्लंघन है, फेडरलिज्म का भी उल्लंघन है. यह बिल सीधे प्रेसीडेंशियल स्टाइल डेमोक्रेसी के लिए लाया गया है. यह सबसे बड़े नेता के ईगो के तहत आया है. हम इसका विरोध करते हैं.

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वहीं, राजस्थान के सीकर से लेफ्ट के सांसद अमराराम ने कहा कि यह बिल संविधान और लोकतंत्र को खत्म करके तानाशाही की ओर बढ़ने का प्रयास है. लोकल बॉडी स्टेट गवर्नमेंट का है, इसको भी आप लेना चाहते हैं. इसलिए क्योंकि एक आपका ही चलेगा. राज्यों की विधानसभा के अधिकार है, वो सब आप लेना चाहते हैं.    

टीआर बालू- कल्याण बनर्जी ने बिल पर उठाए सवाल

डीएमके सांसद टीआर बालू ने इस बिल को संविधान विरोधी बताते हुए इसे संसद में लाए जाने पर ही सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि जब सरकार के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है, तब उसे किस तरह से ये बिल लाने की अनुमति दी गई. इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि मैंने अभी अनुमति नहीं दी है. इन्होंने प्रस्ताव रखा है. संसद एलाउ करती है, मैं नहीं. टीआर बालू ने इसके बाद कहा कि सरकार को ये बिल वापस ले लेना चाहिए, जेपीसी को भेज देना चाहिए. टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने बिल को संविधान पर आघात बताते हुए इसे अल्ट्रा वायरस बताया.

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उन्होंने कहा कि ऑटोनॉमी देश की विधानसभाओं को दूर ले जाएगी, ये संविधान विरोधी है. यह इलेक्शन रिफॉर्म नहीं है, यह एक जेंटलमैन का डिजायर पूरा करने की कोशिश है. एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि यह बिल संविधान विरोधी है. आप चुनाव आयोग को विधानसभा भंग करने का अधिकार दे रहे हो चुनाव कराने के लिए. ये बिल या तो वापस ले लिया जाए या फिर जेपीसी को भेज दिया जाए. आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का विरोध करते हुए कहा कि मनीष तिवारी ने जो सवाल उठाए, उनसे सहमत हूं. यह बिल राज्य विधानसभा के कार्यकाल को परिवर्तित करने का अधिकार देता है जो संघीय ढांचे के खिलाफ है. इंडियन मुस्लिम लीग के सांसद ईटी मोहम्मद बशीर ने बिल का विरोध किया.

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शिवसेना-टीडीपी ने किया बिल का समर्थन

शिवसेना (शिंदे) और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने बिल का समर्थन किया. शिवसेना (शिंदे) के श्रीकांत शिंदे ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस को रिफॉर्म शब्द से ही नफरत है. इस पर विपक्ष की ओर से जबरदस्त हंगामा शुरू हो गया. वहीं, टीडीपी की ओर से केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने बिना किसी शर्त के बिल का समर्थन करने की बात कही. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों का चुनाव पर खर्च एक लाख करोड़ के पार पहुंच गया है. एक साथ चुनाव कराने से इसमें कमी आएगी.

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पीएम ने खुद कहा जेपीसी को भेजें- अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान टीआर बालू की डिमांड का उल्लेख करते हुए कहा कि जब ये बिल कैबिनेट में आया था, तब खुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि इसे जेपीसी को दे देना चाहिए और विस्तृत स्क्रूटनी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ज्यादा समय जाया किए बगैर मंत्रीजी जेपीसी को भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं तो यहीं ये चर्चा समाप्त हो जाएगी. जब जेपीसी की रिपोर्ट के साथ कैबिनेट इसे फिर से पारित करेगी, तब इस पर सदन में विस्तृत चर्चा होगी. कानून मंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव करूंगा. इतनी जो चर्चा हुई है, इसका जवाब देकर जेपीसी के गठन की बात करूंगा.

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