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संविधान में जुड़ेगा नया पार्ट, 2029 से एक साथ सारे चुनाव... अगले हफ्ते One Nation-One Election पर आ सकती है लॉ कमीशन की रिपोर्ट

सूत्रों के मुताबिक लॉ कमीशन जिस नए अध्याय को जोड़ने की सिफारिश करने वाला है, उसमें यह शामिल होगा कि, सरकारों की स्थिरता, सरकार गिरने या मध्यावधि चुनाव की स्थिति आने पर मिली-जुली अंतरिम सरकार का गठन किया जा सके, ताकि शासन चलाने के लिए एक संवैधानिक व्यवस्था कायम रहे.

एक राष्ट्र एक चुनाव एक राष्ट्र एक चुनाव
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 9:31 AM IST

'एक देश एक चुनाव' पर बीते साल से जारी सरगर्मी अगले हफ्ते से और तेज होने वाली है. सामने आया है कि लॉ कमीशन इस मुद्दे पर अगले सप्ताह अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप सकता है. इससे भी बड़ी बात है कि हो सकता है कि साल 2029 में जब चुनाव हों तो वह 'एक देश एक चुनाव' वाले कॉन्सेप्ट पर हो सकते हैं.

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असल में इस रिपोर्ट में लॉ कमीशन संविधान में संशोधन करने और साल 2029 के मध्य तक देश भर में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है. 

नए अध्याय को संविधान में जोड़ने की सिफारिश
न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता में काम कर रहा आयोग एक साथ चुनाव को लेकर एक नए अध्याय को संविधान में जोड़ने के लिए संशोधन की सिफारिश करेगा. इसके अलावा, पैनल अगले पांच सालों में तीन स्टेप में विधान सभाओं की शर्तों को समकालिक करने की भी सिफारिश करेगा. 

अब इस तरह देखा जाए तो लॉ कमीशन जो प्लान देने जा रहा है उसके मुताबिक, योजना है कि इसके बाद पहला 'एक देश एक चुनाव' मई-जून 2029 में हो सकेगा.  बता दें कि साल 2029 में 19वीं लोकसभा के चुनाव होने हैं. 

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मिली-जुली अंतरिम सरकार के गठन का सुझाव
सूत्रों के मुताबिक लॉ कमीशन जिस नए अध्याय को जोड़ने की सिफारिश करने वाला है, उसमें यह शामिल होगा कि, सरकारों की स्थिरता, सरकार गिरने या मध्यावधि चुनाव की स्थिति आने पर मिली-जुली अंतरिम सरकार का गठन किया जा सके, ताकि शासन चलाने के लिए एक संवैधानिक व्यवस्था कायम रहे. इसके साथ ही एक साथ चुनावों की स्थिरता और लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, स्थानीय निकायों यानी पंचायतों और नगरपालिकाओं के लिए एक मतदाता सूची से संबंधित मुद्दे भी सुलझाए जाएंगे. 

सभी चुनावों को एक साथ कराने की सिफारिश
लॉ कमीशन अपनी​ रिपोर्ट में देश भर में त्रि-स्तरीय चुनाव यानी लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों व पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश भी करेगा. विधि आयोग जो सिफारिश अपनी रिपोर्ट में करने जा रहा है, उसमें यह कहा गया है कि अगर कोई सरकार अविश्वास प्रस्ताव पास होने के कारण गिर जाती है या आम चुनाव में सदन त्रिशंकु जनादेश आता है तो ऐसी स्थिति में विभिन्न राजनीतिक दल मिली-जुली साझा सरकार के गठन पर विचार करें. साझा सरकार का फार्मूला काम नहीं करे, तभी सदन के बचे कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जाएं.

क्या तीन से छह महीने तक कम होगी विधानसभाओं की अवधि?
सूत्रों ने यह भी कहा कि आयोग सिफारिश करेगा कि पहले चरण में राज्य विधानसभाओं से निपटा जा सकता है, इसके लिए विधानसभाओं की अवधि को कुछ महीनों जैसे तीन या छह महीने के लिए कम करना होगा. इसके अलावा, यदि कोई सरकार अविश्वास के कारण गिर जाती है या त्रिशंकु सदन होता है, तो आयोग विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ "यूनिटी गवर्नमेंट" के गठन की सिफारिश करेगा. अगर इस यूनिटी गवर्नमेंय यानी कि 'एकता सरकार' का फॉर्मूला भी काम नहीं करता है, तो कानून पैनल सदन के शेष कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश करेगा.

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गौरतलब है कि विधि आयोग के अलावा, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति भी इसे लेकर काम कर रही है कि कैसे संविधान और मौजूदा कानूनी ढांचे में बदलाव करके लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं. इसके अपनी रिपोर्ट में लॉ पैनल की सिफारिश को शामिल करने की संभावना है.

बता दें कि, इस साल के अंत तक जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा के चुनाव होने हैं. बिहार और दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. असम, बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में 2026 में और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और मणिपुर में 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे. वहीं साल 2028 में नौ राज्यों, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होना है. 

यूनिटी गवर्नमेंट या साझा सरकार क्या है?
लॉ कमीशन अपनी रिपोर्ट में जिस साझा सरकार की कल्पना को सामने रखने वाला है, इसका असल मतलब क्या है, वास्तविकता में वह कैसी होगी और क्या विश्व भर की राजनीति में इसका कहीं अस्तित्व है, ये तीनों सवाल बड़े मौजूं हैं. 

इसका जवाब नागरिक शास्त्र के पन्नों में मिलता है, जहां दर्ज है कि जब सरकार या विधायिका में सभी प्रमुख दल शामिल हो जाते हैं और कोई मजबूत विपक्ष नहीं बचता है तो ऐसी गठबंधन वाली और मिली हुई सरकार को यूनिटी गवर्नमेंट या एकता सरकार कहा जाता है. हालांकि यह भी लिखा है कि आपातकाल वाली स्थिति, मसलन कोई युद्ध या राष्ट्रीय आपदा की स्थिति में ही इसके अस्तित्व में आने की संभावना अधिक रहती है, या फिर इसके अलावा किसी व्यापक राष्ट्रीय प्रोग्राम को ठीक तरीके से चलाने के लिए यूनिटी गवर्नमेंट बनाई जाती हैं. सर्वसम्मत लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुसार एक एकता सरकार में विपक्ष का अभाव होता है, या विपक्षी दल बहुत छोटे और नगण्य होते हैं.

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आपातकाल और युद्ध वाली बात पर नजर डालें तो इजरायल इस तरह की सरकार बनाने वाला सबसे बड़ा उदाहरण है. अभी मौजूदा दौर में वहां युद्ध का माहौल बना हुआ है. बीते साल अक्टूबर 2023 में इजरायल में हमास पर जवाबी हमले की कार्रवाई से पहले वहां एकता सरकार गठित की गई. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और शीर्ष विपक्षी नेता ने फलस्तीन आतंकवादी समूह हमास के खिलाफ युद्ध की निगरानी करने के लिए 11 अक्टूबर 2023 को युद्धकालीन एकता सरकार बनाने के लिए  समझौता किया था.

इजरायल में एकता सरकार
इससे पहले भी इजरायल में कई राष्ट्रीय एकता सरकारें रही हैं. 1967 में छह-दिवसीय युद्ध से पहले , 1980 के दशक के अंत में और 2020 में COVID-19 महामारी के बीच वहां एकता सरकारें बनाई गई थीं.  2021 में गठित 36वीं सरकार भी इजरायल में 'राष्ट्रीय एकता सरकार' थी. जिसमें दक्षिणपंथी, मध्यमार्गी, वामपंथी और एक अरब इस्लामी राजनीतिक दल शामिल रहा था. अक्टूबर 2023 के हमास के हमलों के बाद , नेशनल यूनिटी पार्टी इजरायली युद्ध कैबिनेट का हिस्सा बन गई.

नेपाल में भी रही एकता सरकार
नेपाल में भी अप्रैल 2015 में एकता सरकार गठित की गई थी. नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद , नेपाल के शीर्ष राजनीतिक दलों ने संकट से निपटने के लिए राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने का फैसला किया था. प्रमुख राजनीतिक दल और एकीकृत राजनीतिक मोर्चे ने 3 जून तक संविधान मसौदा प्रक्रिया के विवादित मुद्दों को सुलझाने और राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने पर सहमत हुए थे.

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