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'वन नेशन वन इलेक्शन' रिपोर्ट पर सरकार ने रोजाना खर्च किए इतने रुपये, RTI से हुआ खुलासा

'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर उच्च स्तरीय कमेटी की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट का मकसद देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराना है. सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ सरकारी खर्च में कमी आएगी बल्कि प्रशासनिक कामकाज और क्षमता में भी बढ़ोतरी की जा सकेगी.

कमेटी के किसी सदस्य ने नहीं ली फीस कमेटी के किसी सदस्य ने नहीं ली फीस
अशोक उपाध्याय
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST

केंद्र सरकार ने दिसंबर 2024 में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' से जुड़े दो विधेयक संसद में पेश किए थे, जिन्हें चर्चा के लिए संयुक्त समिति से पास भेजा गया है. इससे पहले कैबिनेट ने इससे जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट को भी मंजूरी थी जिसे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने तैयार किया था. अब आरटीआई से खुलासा हुआ है कि इस रिपोर्ट को तैयार करने में केंद्र सरकार ने करीब 95 हजार रुपये खर्च किए हैं. इंडिया टुडे की ओर से दाखिल RTI के जवाब में कानून मंत्रालय की ओर से ये जानकारी दी गई है.

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प्रति दिन का खर्च 500 रुपये से भी कम

'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर उच्च स्तरीय कमेटी की ओर से तैयार की गई इस रिपोर्ट का मकसद देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराना है. सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ सरकारी खर्च में कमी आएगी बल्कि प्रशासनिक कामकाज और क्षमता में भी बढ़ोतरी की जा सकेगी. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को कमेटी का गठन किया गया था और 14 मार्च 2024 को कमेटी ने विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप दी.

इस रिपोर्ट को तैयार करने में प्रति दिन 491 रिपोर्ट का खर्च आया है और कमेटी ने रिपोर्ट बनाने में कुल 95 हजार 344 रुपये खर्च किए हैं. ऐसे माना जा सकता है कि कमेटी ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए दिन-रात काम किया है और अगर छुट्टियों के साथ गैर कामकाजी दिनों को जोड़ दिया जाए तो प्रति दिन आया खर्च थोड़ा ज्यादा हो सकता है. 

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इंडिया टुडे की ओर से दाखिल RTI में सरकार से रिपोर्ट तैयार करने में आए खर्च की विस्तृत जानकारी मांगी गई थी. इसमें ड्राफ्ट का खर्च, रिसर्च का खर्च, ट्रैवल और प्रिटिंग का खर्च शामिल था. सरकार की ओर से दी गई जानकारी में भी खर्च को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है जिसमें सूचना, कंम्प्यूटर और टेलीकम्यूनिकेश कोस्ट शामिल है. साथ ही ऑफिस खर्च और प्रोफेशनल फीस को भी इसमें जोड़ा गया है. इसके अलावा मशीनरी, डिजिटल उपकरण, ट्रैवल, प्रिटिंग और पब्लिकेशन का खर्च जोड़कर यह जानकारी मुहैया कराई गई है.  

कमेटी से सदस्यों  ने नहीं ली फीस

कमेटी के सदस्यों के भुगतान को लेकर मांगी गई एक अन्य जानकारी में सरकार ने बताया कि रिपोर्ट तैयार करने वाली कमेटी के किसी भी सदस्य ने कोई फीस नहीं ली है और यह काम उन्होंने बिना भुगतान के किया है. कमेटी के सदस्य अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं जिनमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राज्य सभा में पूर्व नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी शामिल हैं. इसके अलावा कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य थे. साथ ही नितिन चंद्र ने इस हाई लेवल कमेटी में सेक्रेटरी के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं.

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