
अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले लोग निकाले जा रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या भारतीयों की भी है. अब तक 300 से ज्यादा लोगों को निर्वासित किया जा चुका है, और तीन अलग-अलग मिलिट्री विमानों से वे पंजाब के अमृतसर पहुंचे हैं. इन मामलों के साथ ही मानव तस्करों और संदिग्ध ट्रैवल एजेंट्स ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींचा है, जो अवैध इमीग्रेशन में संलिप्त हैं.
आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने जालंधर जैसे इमीग्रेशन हब्स में केंद्रित इस मल्टी-मिलियन डॉलर के उद्योग के कामकाज का पर्दाफाश किया है, जहां एजेंट स्टडी वीजा, वर्क परमिट से लेकर स्थायी निवास हासिल करने तक के लिए सुविधाएं प्रदान करते हैं - इन सभी कामों के लिए वे वसूलते हैं मोटी रकम.
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जालंधर में कैसे चल रहा अवैध इमीग्रेशन का खेल?
मानव तस्करी के धंधे का पर्दाफाश करने के लिए हमारी टीम पंजाब के जालंधर स्थित कृष्णा एंटरप्राइजेज पहुंची, जहां हमने एक गुजराती परिवार के रूप में अपने बच्चों को विदेश भेजने में मदद मांगी. यहां हमारी मुलाकात साहिल वर्मा से हुई, जो एक स्व-घोषित इमीग्रेशन कंसल्टेंट है, जिसकी जांच करने पर पता चला कि वह अन-रजिस्टर्ड है.
बातचीत के दौरान, साहिल ने कई इल्लीगल इमीग्रेशन के तरीकों के बारे में बात की. उसने उस कुख्यात 'डंकी रूट' का भी जिक्र किया, जिसके जरिए वे और उसकी टीम लोगों को अवैध रूप से विदेश भेजा करती है. साहिल ने हमें आश्वस्त करते हुए बताया कि शेंगेन वीजा हासिल करने के बजाय, ट्रैवलर सर्बिया के माध्यम से यूरोप में प्रवेश कर सकते हैं और टैक्सी में 'डंकी रूट' के माध्यम से इटली पहुंच सकते हैं.
जब हमने इसमें शामिल खतरों के बारे में पूछा तो साहिल ने आश्वस्त किया, "आप जितना अधिक पैसा खर्च करेंगे, यात्रा उतनी ही बेहतर होगी" - जिसक मतलब है कि भुगतान की गई राशि के आधार पर जोखिम का स्तर अलग-अलग होता है. अवैध इमीग्रेशन पर अमेरिकी कार्रवाई के बावजूद, साहिल ने दावा किया कि वह इसी तरह की रणनीति का इस्तेमाल करके लोगों को अमेरिका भेज सकता है.
साहिल ने बताया, "अगर आज आप मुझसे किसी को यूएसए भेजने के लिए कहते हैं, तो मैं उन्हें हवाई जहाज से भेजूंगा," उसने इसके साथ ही यह भी बताया कि जाने के लिए भुगतान दो किस्तों में किया जाएगा - आधा यहां से निकलने पर और बाकी का पैसा संबंधित देश में सफल प्रवेश के बाद दिए जाने की बात बताई. साहिल ने हमें मेक्सिको के माध्यम से अमेरिका में प्रवेश करने वाले प्रवासियों का एक वीडियो भी दिखाया, जिसमें दावा किया गया कि उसके दो ग्राहकों ने इस मार्ग से सफलता से अमेरिका में प्रवेश भी कराया है.
पॉलिटिकल असाइलम स्कैम
हमारी जांच में धोखाधड़ी वाली राजनीतिक शरण दिलाने वाली उन योजनाओं का भी पता चला, जिन्हें कनाडा में रेजिडेंसी हासिल के लिए एक आसान रास्ते के रूप में मार्केट किया जा रहा था. जालंधर में ही हम एक अन्य कंसल्टेंसी द वीजा इंजीनियर्स पहुंचे, जहां हमारी मुलाकात रमन नाम के एक एजेंट से हुई. उसने हमें कनाडा में पालिटिकल असाइलम हासिल करने में मदद की पेसकश की. पालिटिकल असाइलम की आमतौर पर उन लोगों को जरूरत पड़ती है, जो आमतौर पर राजनीतिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हों.
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रमन ने हमें बताया कि कनाडा में पालिटिकल असाइलम हासिल करने के लिए किन चीजों की जरूरत है, और इसे किस तरह से लागू किया जाता है. रमन ने बताया कि पर्यटक वीजा पर कनाडा में प्रवेश करना, वीजा हासिल होने से पहले शरण के लिए आवेदन करना, उत्पीड़न के सबूत के रूप में राजनीतिक रैलियों की तस्वीरों का इस्तेमाल करना - जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं.
रमन ने हमें बताया, "आपको यात्रा से पहले क्या करना है, हम आपको इस बारे में मार्गदर्शन करेंगे." उसने बताया कि वे मामले को वैध बनाने के लिए तस्वीरें और दस्तावेजों का भी इंतजाम उनकी टीम करेगी. उसने कहा कि कनाडा में उसके वकील प्रदान किए गए दस्तावेजो के आधार पर राजनीतिक शरण के लिए आवेदन करेंगे.
एजेंट रमन ने बताया कि इसके लिए शुरुआती दूतावास शुल्क 1.85 लाख रुपये देना होगा, और पूरा भुगतान वीजा दिए जाने के बाद ही लिया जाएगा. अगर कोई दस्तावेज गुम है, तो वे अतिरिक्त शुल्क लेकर उसका प्रबंध भी किया जाएगा. रमन ने स्वीकार किया कि इस तरीके का इस्तेमाल करके कई लोग सफलतापूर्वक कनाडा में प्रवेश कर चुके हैं.
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एक बढ़ता हुआ अवैध उद्योग
हमारी जांच से पता चलता है कि कैसे अनअथाराइज्ड एजेंट और भ्रष्ट बिचौलिए इमीग्रेशन सिस्टम में खामियों का फायदा उठाते हैं, और अवैध तरीकों से हताश लोगों को विदेश भेजते हैं. जबकि कुछ लोग खतरनाक "डंकी रूट्स" का जोखिम उठाते हैं, अन्य लोग पश्चिमी देशों में प्रवेश पाने के लिए पालिटिकल असाइलम कानूनों का दुरुपयोग करते हैं. इमीग्रेशन बढ़ने के साथ ही इस तरह के ऑपरेशन लगातार फलते-फूलते रहते हैं, जिससे धोखाधड़ी, सुरक्षा जोखिम और अप्रवास नीतियों के दुरुपयोग के बारे में तत्काल चिंताएं पैदा होती हैं.
इमीग्रेशन एक तेजी से बढ़ता उद्योग!
इलीगल इमीग्रेशन एक तेजी से बढ़ता उद्योग है, और जालंधर जैसे शहरों में ट्रैवल एजेंट और इमीग्रेशन कंसल्टेंट ने हर नियमों की खामियां निकालकर उसका गलत तरीके से इस्तेमाल किया है. फर्जी शादियों से लेकर आपराधिक रिकॉर्ड को खत्म कराने तक, ये एजेंट भारी फीस लेकर अवैध इमीग्रेशन की सुविधा मुहैया कराते हैं.
केस 1: जल्द वीजा हासिल करने के लिए कान्ट्रेक्ट पर शादी
आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम कान्ट्रेक्ट की शादियों के सहारे वीजा हासिल करने के तरीका को भी उजागर किया. जालंधर में फ्रेंड्स इमिग्रेशन सर्विसेज में, हमने ऐसे क्लाइंट के रूप में प्रवेश किया और हमने उनसे एक 10वीं कक्षा के सर्टिफिकेट वाले एक 32 वर्षीय शख्स को ब्रिटेन भेजने की बात की. यहां हमारी मुलाकात कंसल्टेंट करण से हुई, जिसने हमें आश्वासन दिया कि फर्जी शादी के जरिए वीजा की व्यवस्था की जा सकती है.
यहां देखें पूरा वीडियो:
यह कैसे काम करता है?
वीजा स्वीकार किए जाने की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए एजेंसी किसी पढ़ी-लिखी लड़की के साथ जाने वाले शख्स की कान्ट्रेक्ट पर शादी कराती हैं. इसके लिए क्लाइंट को ही लड़की की शिक्षा और यात्रा के सभी खर्चों को वहन करना होगा.
मसलन, यह एक ऐसी शादी है जो असल में नाटकीय होती है, और यहां से वे शादी की तस्वीरें दूतावास में जमा करने के लिए जमा कर लेते हैं, एल्बम और इसका वीडियो शूट भी किया जाता है - यानी दिखने में एकदम असली शादी जैसा.
इस स्कीम के तहत दोनों लोगों को साथ यात्रा करना होता है, और संबंधित देश पहुंचने के बाद वे अलग-अलग हो जाते हैं और स्वतंत्र रूप से रहते हैं.
करण ने प्रक्रिया के बारे में बताया:
रिपोर्टर: स्टडी वीजा हासिल करने के लिए क्या प्रोसेस है?
करण: हम शादी की व्यवस्था करेंगे और उसे जीवनसाथी के रूप में ब्रिटेन भेजेंगे. वह अपने जीवनसाथी के साथ जाएगा.
रिपोर्टर: जीवनसाथी कहां है?
करण: हम लड़की ढूंढेंगे. फिर शादी होगी.
शादी की व्यवस्था जालंधर के फुटबॉल चौक के पास इंद्रप्रस्थ में होती है, जो ऐसी गतिविधियों के लिए जाना जाता है.
करण: ब्रिटेन पहुंचने के बाद, लड़का दो साल तक काम करेगा और लड़की पढ़ाई करेगी. लड़के को उसके सारे खर्च उठाने होंगे. पढ़ाई के बाद, उसे वर्क परमिट मिल जाएगा और वे अलग हो सकते हैं.
केस 2: आपराधिक रिकॉर्ड को दरकिनार करके प्रवास करना
जालंधर में वेद जेनिथ इंस्टीट्यूट भी हम पहुंचे, जो पंजाब सरकार द्वारा लाइसेंस्ड इमिग्रेशन कंसल्टेंट होने का दावा करता है. हालांकि, हमने पाया कि वे गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों को प्रवास करने में सक्रिय रूप से मदद करते हैं. हमने धारा 307 (हत्या की कोशिश) के तहत आरोपित एक शख्स को विदेश भेजने के इच्छुक ग्राहक के रूप में खुद को पेश किया.
मुख्य निष्कर्ष:
कोई जांच की जरूरत नहीं: हेड काउंसलर सुनैना ने हमें आश्वस्त किया कि विजिटर वीजा के लिए किसी पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (PCC) की आवश्यकता नहीं है.
टूरिस्ट वीजा के जरिए आसान इमिग्रेशन: उन्होंने सुझाव दिया कि उस शख्स को विजिटर वीजा पर भेजा जाए, जहां वह बाद में बैकग्राउंड वेरिफिकेशन के बिना वर्क वीजा में बदल सकता है.
पसंदीदा डेस्टिनेशन: स्पेन - एजेंसी शख्स के समूह में यात्रा करने की व्यवस्था करती है, जहां पहुंचने पर फूड प्रोसेसिंग कंपनियों में नौकरी मिल जाती है.
सुनैना प्रक्रिया समझाती हैं और बताती हैं:
रिपोर्टर: मैडम, मैं आपको बता रही हूं कि उस पर धारा 307 (हत्या की कोशिश) के तहत मामला दर्ज है.
सुनैना: आपको कुछ भी दिखाने की ज़रूरत नहीं है. हम कोई रिकॉर्ड नहीं लेते हैं. अगर आप टूरिस्ट वीजा पर जाते हैं, तो वह दिखाई नहीं देता.
रिपोर्टर: क्या हमें उसकी एफआईआर की कॉपी जमा करने की जरूरत है?
सुनैना: नहीं, नहीं! विजिट-टू-एम्प्लॉयमेंट के लिए हमें पुलिस से जुड़ी किसी भी चीज की जरूरत नहीं है. हमें पीसीसी (पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट) की जरूरत नहीं है.
कानूनी जांच से बचने की कीमत?
सिर्फ 1.5 लाख रुपये में एजेंसी ने आरोपी को सभी कानूनी जांच से बचते हुए स्पेन में स्थायी रूप से बसने में मदद करने का वादा किया.
एक एफआईआर, अवैध एजेंटों को चेतावनी
अब जबकि सैकड़ों अवैध प्रवासी भारत लौट रहे हैं तो उन बिना लाइसेंस वाले इमीग्रेशन एजेंट्स पर सवाल उठने लगे हैं, जिन्होंने उन्हें अमेरिका पहुंचने में मदद की. हालांकि, बड़ी संख्या में निर्वासन के बावजूद, अब तक सिर्फ एक ही एफआईआर दर्ज की गई है.
पहली एफआईआर: निर्वासित ने इमीग्रेशन एजेंट पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया
पहली और एकमात्र एफआईआर में अमेरिका से निर्वासित किए गए जसविंदर सिंह ने दर्ज कराई है. उन्होंने एक किसान नेता और इमीग्रेशन एजेंट के रूप में काम करने वाले सुखविंदर सिंह उर्फ सुख गिल पर अमेरिका का वीजा दिलाने के लिए 45 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है. कानूनी वीजा के बजाय, उन्हें कथित तौर पर "डंकी रूट" के माध्यम से भेजा गया था, जो अन्य देशों में प्रवेश करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक खतरनाक और अवैध इमीग्रेशन का तरीका है.
सुख गिल भारतीय किसान यूनियन (टोटेवाल) के राज्य अध्यक्ष बताए जाते हैं और एक इमीग्रेशन कंसल्टेंसी भी चलाते हैं - जो अवैध इमीग्रेशन नेटवर्क में प्रभावशाली लोगों के शामिल होने के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करता है.
अधिकारियों ने फर्जी एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई का दावा किया
हमने जालंधर के अतिरिक्त उपायुक्त (ADC) मेजर डॉक्टर अमित महाजन से फेक इमीग्रेशन सर्विसेज के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई के बारे में बात की.
जालंधर के प्रशासन का क्या कहना है?
नियमित रूप से निरीक्षण किए जाते हैं. पिछले साल, हमने विशेष जांच की व्यवस्था की थी, और अब हमने नए आदेश जारी किए हैंय सभी ट्रैवल एजेंटों की जांच के लिए टीमें बनाई गई हैं. पुलिस भी सक्रिय रूप से छापेमारी कर रही है और शिकायतों को गंभीरता से ले रही है."
निगरानी और प्रवर्तन पर:
"हमारा कार्यालय और पुलिस विभाग इस मुद्दे पर कड़ी नजर रख रहे हैं. चाहे वह 'डंकी रूट' हो या कोई अन्य अवैध तरीका - चाहे रजिस्टर्ड या फर्जी ट्रैवल एजेंट द्वारा किया गया हो - इसकी कड़ी जांच की जा रही है."
ट्रैवल एजेंट लाइसेंसिंग पर:
'डंकी रूट' के लिए कोई लाइसेंस नहीं है. ट्रैवल एजेंट्स को अपनी कैटगरी के मुताबिक उचित लाइसेंस प्राप्त करना चाहिए, और वर्तमान में, लगभग 1,500 लाइसेंस मौजूद हैं."
फर्जी एजेंटों को चेतावनी:
"चेतावनी सरल है और वो ये कि अवैध गतिविधियों में शामिल न हों. ऐसे अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है, जिसके गंभीर परिणाम होंगे."
कड़ी कार्रवाई की जरूरत:
जबकि प्रशासन का दावा है कि वह अवैध इमीग्रेशन नेटवर्क पर सक्रिय रूप से निगरानी कर रहा है, सिर्फ एक एफआईआर दर्ज करना प्रवर्तन की प्रभावशीलता के बारे में चिंता पैदा करता है. सैकड़ों निर्वासितों के वापस लौटने के साथ, विशेषज्ञों का तर्क है कि अवैध आव्रजन को सुविधाजनक बनाने वाले नेटवर्क को खत्म करने के लिए सख्त कार्रवाई, अधिक जांच और नियामक निगरानी की आवश्यकता है.