
India Today के ऑपरेशन इन्फिल्ट्रेशन (Operation Infiltration) ने भारत की पूर्वी सीमा पर मौजूद गंभीर चुनौतियों को उजागर किया है. इस आखिरी हिस्से में, हम पीड़ितों से जुड़ी कुछ कहानियों पर प्रकाश डालते हैं. निराशा, शोषण और जिंदा रहने की कहानियां जो भारत-बांगलादेश सीमा पर गहरी जड़ों वाले मुद्दों को दर्शाती हैं.
15 साल से भारत में रह रहा परिवार
दो बांगलादेशी महिलाएं, जो वर्तमान में कूचबिहार में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) की हिरासत में हैं, अवैध प्रवासन की दर्दनाक हकीकत को दिखाती हैं. उन्हें बांगलादेश में पारिवार की एक शादी में शामिल होने के लिए घर वापस जाते हुए पकड़ा गया था. इनमें से एक महिला ने बताया कि वह और उसका परिवार पिछले 15 वर्षों से भारत में रह रहा था और हरियाणा में ईंट भट्ठों पर काम कर रहा था. महिलाओं को 1,000 ईंटों के लिए पर 500 रुपये मिलती थी.
जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने अपने देश में काम करना क्यों नहीं चुना, तो एक महिला ने एक कड़वी सच्चाई बताई. बांगलादेश में महिलाओं के लिए कोई अवसर उपलब्ध नहीं हैं, जब तक वे पढ़ी लिखी न हों. उसने कहा, 'वे महिलाओं को ऐसा काम नहीं देते. यह पड़ोसी देश में फैले लिंग भेदभाव को उजागर करता है.
बांग्लादेश में वापस जाने के लिए उसने अपने परिवार के लिए 75,000 रुपये और अपने बच्चों और पति के लिए प्रति व्यक्ति 15,000 रुपये का भुगतान किया. भारतीय आधार कार्ड होने के बावजूद, वह और उसकी साथी बॉर्डर का तार तोड़ने की कोशिश करते हुए पकड़े गए. उनकी कहानी एक परेशान करने वाली सच्चाई को दर्शाती है. जाली दस्तावेज अवैध प्रवासन को बढ़ावा देते हैं. दोनों महिलाओं को अब कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है.
कई वेश्यालयों में मौजूद बांग्लादेश की सेक्स वर्कर्स
हमारी इन्वेस्टिगेशन से हमें बीस साल की एक महिला का भी पता चला, जिसने दावा किया कि वह कोलकाता, आसनसोल और कूच बिहार के रेड लाइट इलाकों में काम कर चुकी है. हालांकि उसने जोर देकर कहा कि वह पश्चिम बंगाल से है, लेकिन उसने स्वीकार किया कि उसने कई वेश्यालयों में ऐसी सेक्स वर्कर देखीं हैं, जो बांग्लादेश से आई हैं. उसने खुलासा किया, 'उन्होंने घर खरीदे हैं और कई तो कोठों की मालकिन भी बन गई हैं.' इस तरह सीमा पार से घुसपैठ का एक और चेहरा उजागर हुआ, जो महिलाओं की तस्करी से जुड़ा हुआ है.
एक और केस एक हिंदू लड़के से जुड़ा हुआ था, जिसे कुछ दिन पहले बॉर्डर के पास से गिरफ्तार किया गया था. वह बांग्लादेश से भागकर भारत में अपने रिश्तेदारों से मिलने की कोशिश कर रहा था. लड़के ने दावा किया कि उसका परिवार अलीपुरद्वार और दिनहाटा में रहता है, लेकिन उसके भागने का कारण स्पष्ट नहीं था. क्या वह धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भाग रहा था या बेहतर जीवन की तलाश में था, इसका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है.
सीमा पर पहरा देना कितना मुश्किल?
इन लोगों की कहानियां उत्तर बंगाल सीमा पर लोगों की बेतहाशा आवाजाही को उजागर करती हैं. इस अस्थिर क्षेत्र की सुरक्षा में बीएसएफ को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. सूत्रों ने बताया कि चुनाव के मौसम में, सैनिकों की संख्या बहुत कम हो जाती है. एक जवान आमतौर पर 200 मीटर की जगह 800 मीटर सीमा की पहरेदारी करता है.
नदी के किनारे के इलाके भी इस समस्या को और जटिल बना देते हैं, जहां रात में अंधेरा छा जाता है. नदियों के बदलते रास्ते और मौसमी मानसून की बाढ़ के कारण इन्फ्रारेड कैमरे या सीसीटीवी जैसे दीर्घकालिक निगरानी उपकरण लगाना लगभग असंभव हो जाता है. अस्थायी ढांचे अक्सर बह जाते हैं, जिससे बड़े हिस्से असुरक्षित हो जाते हैं.
घुसपैठ से पैदा होते हैं कई खतरे
इस तरह की अनियंत्रित घुसपैठ के परिणाम बेहद चिंताजनक हैं. तत्काल सुरक्षा जोखिमों के अलावा, अवैध प्रवासियों की लगातार आमद से सीमावर्ती क्षेत्रों के जनसांख्यिकीय संतुलन में बदलाव आने और आतंकवादी गतिविधियों के लिए संभावित कवर मिलने का खतरा है.
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण भारत की सुरक्षा के लिए पहले से कहीं ज्यादा जोखिम है. ऑपरेशन इन्फिल्ट्रेशन के दौरान सामने आई कहानियां इस बात की याद दिलाती हैं कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर चुनौतियों का समाधान करने के लिए तत्काल, समन्वित कार्रवाई की जरूरत है.