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ऑपरेशन कावेरी: 'न बिजली थी, न पानी...लाश की तरह कमरे में बंद थे', सूडान से लौट रहे भारतीयों की आपबीती

सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच पिछले 12 दिन से जंग जारी है. इसमें अब तक 400 लोगों की जान जा चुकी है. सूडान में चल रहे गृहयुद्ध के चलते हजारों भारतीय भी वहां फंसे हैं. भारत सरकार इन्हें निकालने के लिए 'ऑपरेशन कावेरी' चला रही है. इसके तहत 670 भारतीय नागरिकों को सूडान से निकाल लिया गया है. 

ऑपरेशन कावेरी के तहत नई दिल्ली पहुंचे भारतीय नागरिक ऑपरेशन कावेरी के तहत नई दिल्ली पहुंचे भारतीय नागरिक
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

'ऐसे लग रहा था कि हम मृत्युशय्या पर थे...' ये शब्द हरियाणा के सुखविंदर सिंह के हैं, जो सूडान में फंसे थे और वहां से निकलकर सऊदी अरब के रास्ते नई दिल्ली पहुंचे हैं. 40 साल के सुखविंदर पेशे से इंजीनियर हैं और उन 360 भारतीयों में से एक हैं, जो 'ऑपरेशन कावेरी' के तहत पहले बैच में आए हैं. 

सुखविंदर हरियाणा के फरीदाबाद के रहने वाले हैं, वे सूडान की मौजूदा स्थिति को याद करके कहते हैं कि वे अभी भी बहुत डरे हुए हैं. उन्होंने बताया, ''हम एक बंद कमरे में रह रहे थे, यह ऐसा था कि हम मृत्युशय्या पर हों.''

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इसी तरह यूपी के कुशीनगर के रहने वाले छोटू सूडान में एक फैक्ट्री में काम करते थे, वे अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि भारत लौट आए हैं. वे कहते हैं, ''मैं मरकर वापस आ गया.'' समाचार एजेंसी से बातचीत में छोटू कहते हैं, ''कभी सूडान नहीं जाऊंगा. मैं देश में रहकर कुछ भी करूंगा, लेकिन अब सूडान कभी नहीं जाऊंगा.''

 

पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले तसमेर सिंह भी उन लोगों में शामिल हैं, जो सूडान की भयावह स्थिति से लौटे हैं. वे कहते हैं, ''हम एक लाश की तरह थे, एक छोटे कमरे में बिना बिजली-पानी के रह रहे थे. हमने कभी नहीं सोचा था कि हम अपने जीवन में ऐसी स्थिति का सामना करेंगे, लेकिन भगवान का शुक्र है कि हम जीवित लौट आए हैं. ''

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सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच पिछले 12 दिन से जंग जारी है. इसमें अब तक 400 लोगों की जान जा चुकी है. सूडान में चल रहे गृहयुद्ध के चलते हजारों भारतीय भी वहां फंसे हैं. भारत सरकार इन्हें निकालने के लिए 'ऑपरेशन कावेरी' चला रही है.
 
अभी सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच सीजफायर हुआ है, ऐसे में भारत सरकार तेजी से भारतीय नागरिकों को निकालने की कोशिश में जुटी है. ऑपरेशन कावेरी के तहत अब तक 670 भारतीय नागरिकों को सूडान से निकाल लिया गया है. 

गिरते बम, ताबड़तोड़ गोलीबारी... सूडान में फंसे अपने नागरिकों को कैसे निकाल रहे दुनिया के देश?
 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सूडान से रेस्क्यू किए गए लोगों के दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद निकाले गए उनकी तस्वीरें शेयर कीं. उन्होंने लिखा, "भारत अपनों की वापसी का स्वागत करता है. ऑपरेशन कावेरी के तहत पहली उड़ान में 360 भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाया गया.''

ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान से निकाले गए लोगों को सऊदी अरब के जेद्दा लाया जा रहा है, जहां से वे स्वदेश लौट रहे हैं. केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन सऊदी अरब से निकासी मिशन की देखरेख कर रहे हैं. 

क्या है 'ऑपरेशन कावेरी'?

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सूडान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए केंद्र सरकार ने 'ऑपरेशन कावेरी' शुरू किया है. इसके लिए वायुसेना और नौसेना की मदद ली जा रही है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के दो ट्रांसपोर्ट विमान C-130J सऊदी अरब के जेद्दाह में स्टैंडबाय पर हैं. इसी तरह नौसेना का जहाज आईएनएस सुमेधा तो पोर्ट सूडान भी पहुंच गया है. इसी जहाज के जरिए पहले भारतीयों को जेद्दाह लाया जा रहा है, जहां से लोग C-130J के जरिए नई दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंच रहे हैं. वहीं, सूडान के अलग अलग हिस्सों से पोर्ट सूडान तक पहुंचने के लिए बसों का सहारा लिया जा रहा है. 

नेवी शिप, एयरफोर्स के विमान... सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऐसे चल रहा 'ऑपरेशन कावेरी'
 

बताया जा रहा है कि गृहयुद्ध के वक्त करीब 4000 भारतीय सूडान में फंसे थे. इनमें से अब तक 1100 लोगों को सूडान से निकाला जा चुका है. जबकि तीन बैच में करीब 670 नागरिक भारत पहुंच चुके हैं.

सूडान में क्यों चल रहा युद्ध?

अफ्रीकी देश सूडान में संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच हो रहा है. जनरल बुरहान और जनरल डगालो, दोनों पहले साथ ही थे. 

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- मौजूदा संघर्ष की जड़ें अप्रैल 2019 से जुड़ी हैं. उस समय सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था. बाद में सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंका. बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बावजूद विद्रोह थमा नहीं. बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे. उसी साल अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. लेकिन इससे भी बात नहीं बनी.

 
- अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए. लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं. इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव होना है. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एकराय नहीं बन सकी. 

- इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में ही शामिल करने की बात थी. लेकिन फिर सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी, उसका प्रमुख कौन बनेगा. बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी, जिसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा.
 

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