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संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से न कराने पर नाराज विपक्ष, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं. संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं. लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा संसद भवन के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा संसद भवन के उद्घाटन का मामला
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2023,
  • अपडेटेड 10:50 AM IST

नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अवकाशकालीन पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. 

कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं. संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं. लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है वह गलत है.

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राष्ट्रपति के बिना सत्र कैसा?

याचिकाकर्ता वकील सीआर जया सुकीन ने अपनी याचिका में कहा है कि देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं. सभी बड़े फैसले भी राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं. याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं. संविधान के अनुच्छेद 87 के तहत हर साल के पहले सत्र यानी बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है. यानी उस सत्र के पहले दिन उनका संसद में अभिभाषण होता है. उसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करते हैं.

संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं. इसलिए, राष्ट्रपति से ही संसद के नए भवन का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए.

विपक्ष ने किया बहिष्कार

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आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद की नई और शानदार इमारत का उद्घाटन करेंगे. लेकिन उद्घाटन कार्यक्रम में ज्यादातर विपक्षी पार्टियां नहीं होंगी. अब तक 20 विपक्षी पार्टियां नई संसद के उद्घाटन के बहिष्कार का ऐलान कर चुकी हैं. विपक्ष की दलील है कि नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए ना कि प्रधानमंत्री को. वहीं बीजेपी विपक्ष की दलीलों को बेबुनियाद करार दे रही है.

1200 करोड़ में बनकर तैयार हुई नई संसद 

पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. इस कार्य के लिए राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त 2019 को आग्रह किया था. इसकी लागत 861 करोड़ रुपये आंकी गई थी. हालांकि बाद में इसके निर्माण की कीमत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. संसद के नवनिर्मित भवन को गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है. चार मंजिला संसद भवन में 1224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है.

कैसा होगा नया संसद भवन? 

तिकोने आकार में बना नया संसद भवन चार मंजिला है. ये पूरा कैम्पस 64,500 वर्ग मीटर के दायरे में फैला हुआ है. इसकी लागत 1200 करोड़ रुपये है. नए भवन में एक संविधान हॉल भी होगा, जिसमें भारतीय लोकतंत्र की विरासत को दिखाया जाएगा. इसके अलावा, इस संसद में संसद सदस्यों के लिए लाउंज, कई सारे कमेटी रूम, डायनिंग एरिया और पार्किंग स्पेस होगा. संसद भवन के तीन मेन गेट- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्मा द्वार होंगे. वीआईपी, सांसदों और विजिटर्स की एंट्री अलग-अलग गेट से होगी. नए संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 300 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है. अगर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होती है तो एक समय में इसमें 1,280 सांसद बैठ सकेंगे.

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