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राज्यसभा में उठा दो जजों का मुद्दा, विपक्ष की डिमांड पर बोले सभापति- जरूरी कदम...

राज्यसभा में शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के जज के आवास से कैश बरामदगी और रेप को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज की रेप को लेकर टिप्पणी का मुद्दा उठा. विपक्ष ने सरकार से न्यायपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने की डिमांड की है.

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 8:57 AM IST

शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के आवास से भारी मात्रा में कैश बरामदगी और रेप को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज की टिप्पणी का मुद्दा उठाया. जयराम रमेश ने सभापति से न्यायपालिका की जवाबदेही बढ़ाने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की. सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष को आश्वस्त किया कि उनकी ओर से मिले प्रस्ताव पर वह जरूरी कदम उठा रहे हैं.

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दरअसल, शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि 55 सदस्यों ने आपको पत्र लिखकर यह मांग की है कि सरकार न्यायपालिका की अकाउंटेबिलिटी बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाए. उन्होंने आगे कहा कि आज सुबह हमने दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के आवास से बड़ी मात्रा में कैश बरामद होने की खबर पढ़ी. कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि हाल ही में 50 सदस्यों ने आपको नोटिस दिया था जो इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज की टिप्पणी को लेकर था.

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उन्होंने कहा कि आप (सभापति) खुद भी न्यायपालिका की जवाबदेही को जरूरी बताते रहे हैं. आपने नेता सदन को भी इस संबंध में निर्देश दिए थे. जयराम रमेश ने इस संबंध में ऑब्जर्वेशन देने के साथ ही सरकार को जरूरी कदम उठाने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया. इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सदन के 55 सदस्यों का प्रतिनिधित्व वाला प्रस्ताव देखा और वेरिफिकेशन के लिए हर जरूरी कदम उठाए. उन्होंने कहा कि पहला मेल उन सभी सदस्यों को भेजा गया और अच्छी बात ये है कि उनमें से अधिकतर सदस्यों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है.

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सभापति जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि प्रक्रिया के तहत हर कदम उठा रहा हूं लेकिन एक चिंता है जिसे आप सभी के साथ साझा करना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि जिन 55 सदस्यों ने संबंधित प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, उनमें एक सदस्य का हस्ताक्षर दो बार है. संबंधित सदस्य ने अपने हस्ताक्षर से इनकार किया है. सभापति ने यह भी कहा कि अगर सदस्यों की संख्या 50 है तो हम उसके हिसाब से जरूरी कदम उठाएंगे. जिन सदस्यों की ओर से अभी जवाब नहीं मिला है, उनको फिर से ई-मेल भेजा जाएगा.

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