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"देश तो बहुसंख्यक से चलेगा" कहने वाले और 'कठमुल्ला' शब्द का इस्तेमाल करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने शुक्रवार को राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया और उन्हें हटाने की मांग की.
समाजवादी पार्टी के सांसद कपिल सिब्बल और कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा के नेतृत्व में सांसदों ने शुक्रवार को राज्यसभा महासचिव को महाभियोग का नोटिस सौंपा. करीब 55 सांसदों के हस्ताक्षर वाले इस प्रस्ताव पर संसद के शीतकालीन सत्र के खत्म होने से पहले चर्चा होने की उम्मीद है.
प्रस्ताव पर विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर
प्रस्ताव में कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. इस प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया है कि जस्टिस यादव ने प्रथम दृष्टया यह दिखाया कि उन्होंने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया और उनके खिलाफ पूर्वाग्रह और पक्षपात जाहिर किया. जस्टिस शेखर कुमार यादव के द्वारा दिए गए विवादित बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. कोर्ट ने कहा, "मामला विचाराधीन है. हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी मांगी गई है.
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जज यादव ने दिया था ये बयान
जस्टिस यादव ने रविवार को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह टिप्पणी की थी. वायरल वीडियो में उन्होंने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन का समर्थन किया और कहा कि कानूनों को बहुसंख्यकों की प्राथमिकताओं के अनुरूप होना चाहिए.
इस दौरान उन्होंने कहा, “ये कहने में बिल्कुल गुरेज नहीं है कि ये हिंदुस्तान है. हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार ही देश चलेगा. यही कानून है. आप यह भी नहीं कह सकते कि हाई कोर्ट के जस्टिस होकर ऐसा बोल रहे हैं. कानून तो भइया बहुसंख्यक से ही चलता है. परिवार में भी देखिए, समाज में भी देखिए. जहां पर अधिक लोग होते हैं, जो कहते हैं उसी को माना जाता है.” उन्होंने ये भी कहा कि 'कठमुल्ले' देश के लिए घातक हैं.