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विपक्ष के नाम 26 दल जुटे मगर किसकी अगुवाई में होगी लड़ाई?

बेंगलुरु में विपक्षी जुटान में कौन-कौन पहुंचा,ट्रांसफर-पोस्टिंग के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा,भारत आपदाओं के इंश्योरेंस में क्यों पीछे है और कूनो में कैसे मरे चीते? सुनिए 'दिन भर' में.

चेतना काला
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  • 17 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST

कर्नाटक के बैंगलुरु में आज विपक्ष की महजुटान शुरू हुई. बिहार के पटना में 23 जून को हुई बैठक के बाद ये दूसरी ऐसी बैठक है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में विपक्षी पार्टियां जुटी हैं. पटना में 15 पार्टियों की जुटान के बाद दावा किया गया है कि इस बैठक में 26 दल जुटे हैं. एक बात और, पिछली बैठक में आम आदमी पार्टी की नाराज़गी हेडलाइंस बना रही थीं लेकिन इस बार सब स्लेट साफ करके पहुंच रहे हैं. सीटों का बंटवारा, गठबंधन का नया नाम और कई ऐसी बातें हैं जिन पर इस बैठक में फैसले होने हैं. तो कुल मिला कर 2024 के लिए विपक्ष की तस्वीर कैसी होगी इसका खाका इस बैठक के बाद थोड़ा साफ होगा. 
पार्टियों के बीच ये brainstorming सेशन कैसा रहा, ग्राउंड से क्या अपडेट्स मिल रहे हैं? सुनिए ‘दिन भर’ में. 

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दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकारों से जुड़ा केंद्र का एक अध्यादेश पिछले दिनों चर्चा में था. इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने तलवार खींच ली थी. कांग्रेस ने आप का समर्थन इस मुद्दे पर कर दिया, उधर सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी मुद्दे पर आज अहम सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजना चाहते हैं. दिल्ली सरकार की तरफ़ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मांग की थी कि इस अध्यादेश पर स्टे लगाया जाए. उनकी दलील थी कि अध्यादेश के जरिए एलजी को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की शक्ति देना सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले के खिलाफ है. कोर्ट ने कहा चूंकि दोनों पक्ष संवैधानिक पदों पर हैं और संविधान का हवाला देकर दावा कर रहे हैं इसलिए इसे संविधान पीठ को ही सुनना चाहिए. तो अब आज अदालत की अहम टिप्पणियों के बाद ये मामला संविधान पीठ के पास जा सकता है। अगली सुनवाई 20 जुलाई को होनी है. कोर्ट में इस सुनवाई के दौरान और क्या निर्देश दिए गए और संविधान पीठ जो इस मामले को सुनेगी उसका स्वरूप क्या होगा? सुनिए ‘दिन भर’ में. 

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टूटे हुए पेड़ो से ब्लॉक्ड सड़कें और आसमान में फटते बादल, लगातार बारिश के बाद कुछ ऐसा ही है हिमाचल का सूरत - ए – हाल. और ऐसा सिर्फ हिमाचल में नहीं हो रहा, तमाम राज्य मॉनसून की बारिश का असर भुगत रहे हैं. राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जल स्तर कुछ घटा तो है लेकिन अब उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के इलाकों में गंगा नदी खतरे के निशान के ऊपर आ गई है. इसके अलावा एक और तस्वीर है आंकड़ों की. एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट Ecowrap बताती है कि बाढ़ और बिपरजोय तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से देश भर में अब तक लगभग 10,000 से 15,000 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। पूरी दुनिया में यूएस और चीन के बाद प्राकृतिक आपदाएं भुगतने की लिस्ट में भारत का तीसरा स्थान है। साल 2001 से 2022 तक में भारत ने 361 प्राकृतिक आपदाएं झेली हैं. दुनिया भर में साल 2022 के अंदर आपदाओं से 275 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ लेकिन इस राशि में से 125 बिलियन डॉलर का अमाउंट  इंश्योरेंस में कवर्ड था। अब भारत का डेटा देखते हैं। 2020 में प्राकृतिक आपदाओं से टोटल 7.5 बिलियन का नुकसान हुआ था, इस राशि में केवल 11 प्रतिशत का इंश्योरेंस था. 
क्यों है भारत में प्राकृतिक आपदाओं के लिए इंश्योरेंस में ये प्रोटेक्शन गैप और इसकी मार कौन से सेक्टर्स सबसे ज़्यादा झेलते हैं? सुनिए ‘दिन भर’ में. 

 
मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बीते मंगलवार और शुक्रवार को दो और चीतों की मौत हो गई. बीते 5 महीनों में कुल 5 चीतों और 3 शावकों की मौत हो चुकी है.  ये सभी चीते पिछले साल दक्षिण अफ्रिका से भारत लाए गए थे. इन दोनों मौत पर दक्षिण अफ्रीकी चीता एक्सपर्ट विंसेंट वान डेर मेरवे का बयान चर्चा में बना हुआ है. विंसेंट का कहना है कि  दोनों नर चीतों की मौत सेप्टीसीमिया के कारण हुई है. सेप्टीसीमिया एक गंभीर ब्लड इंफेक्शन है और इससे खून में जहर बनने लगता है. उनका कहना है कि चीतों की गर्दन में जो रेडियो कॉलर पहनाया गया है, उसके कारण गर्दन के आसपास नमी बने रहने के कारण ये चीते बैक्टीरिया की चपेट में आ गए.  विंसेंट के इस बयान को सरकारी महकमे ने तो खारिज किया लेकिन इसके साथ ही बाकी चीतों से रेडियो कॉलर हटाने के भी आदेश दे दिए गए. सवाल है कि इन कॉलर्स से इंफेक्शन फैलने की बात कितनी सही है और अगर ऐसा है तो क्यों है ये ख़तरा? सुनिए ‘दिन भर’ में.

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