
गुजरात के मोरबी जिले में केबिल ब्रिज हादसे में 141 लोगों की मौत हो गई है और बड़ी संख्या में घायल लोग अस्पताल में भर्ती हैं. कुछ लोग अभी भी लापता बताए गए हैं. इस हादसे के बाद रिनोवेशन से लेकर मैनेजमेंट तक पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. बताते हैं कि ब्रिज का 6 महीने तक रिनोवेशन का काम चला. उसके बाद 5 दिन पहले ही आम लोगों के लिए खोला गया था और वीकेंड के दिन हादसा हो गया. अब तक की जानकारी के मुताबिक, हैंगिंग ब्रिज का अनुबंध 15 साल के लिए अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (AMPL) के पास था. आईए जानते हैं इस कंपनी के बारे में...
बता दें कि गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर की शाम मच्छू नदी पर बना 100 साल से ज्यादा पुराना पुल (झूलता पुल के नाम से चर्चित) ढह गया था. इस पुल का ब्रिटिश शासन के दौरान निर्माण हुआ था. 6 महीने पहले इसका रिनोवेशन शुरू हुआ था. करीब 2 करोड़ की लागत से पुल को दुरुस्त किया गया. इसकी क्षमता 100 लोगों की थी. 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष पर जनता के लिए इस पुल को फिर से खोला गया था और 30 अक्टूबर को हादसा हो गया. घटना का एक सीसीटीवी वीडियो सामने आया है, जिसमें कुछ युवा पुल के आंशिक रूप से टूटने से कुछ सेकंड पहले पुल को बिना रुके झूलते हुए दिखा रहे हैं.
इस पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी मोरबी नगर पालिका ने 15 साल के लिए एक निजी फर्म ओरेवा ग्रुप (अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड) को सौंपी थी. गुजराती समाचार वेबसाइट देशगुजरात के मुताबिक, ओरेवा ग्रुप ने पुल के रिनोवेशन की जिम्मेदारी कथित तौर पर थर्ड पार्टी यानी देवप्रकाश सॉल्यूशन को दी थी.
निजी ठेकेदार से काम के बारे में जानकारी नहीं दी
जिला नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला ने दावा किया है कि उन्हें निजी ठेकेदार से रिनोवेशन करवाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. अगर सूचना दी जाती तो वे गुणवत्ता की जांच करवाते और पुल को खोलने से पहले फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करवाते.
जिस दिन ब्रिज खुला, तब कंपनी ने दी थी जानकारी
मोरबी के स्थानीय न्यूज आउटलेट ">'मोरबी अपडेट' के मुताबिक उनकी टीम 26 अक्टूबर मौके पर पहुंची थी, उसी दिन जब पुल को पर्यटकों के लिए फिर से खोला गया था. इसके फेसबुक पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें एक मीडियाकर्मी को ओरेवा ग्रुप के एक अधिकारी और पुल के रिनोवेशन के पीछे टेक्निकल टीम देवप्रकाश सॉल्यूशन से जुड़े एक व्यक्ति के साथ देखा जा सकता है. ग्रुप ने इस बारे में विस्तार से बातचीत की और ये बताया कि पुल के किन प्रमुख स्ट्रक्चर को बदला गया है या क्या बदलाव किए गए हैं. जिसमें लकड़ी के पुल का फर्श भी शामिल है, जिसे मधुकोश एल्यूमीनियम शीट से बदलने के बारे में बताया गया है.
दीवार घड़ियां बनाने से बिजनेस में उतरा था ग्रुप
बताते चलें कि 1971 में भारतीय बिजनेस टाइकून ओधवजी राघवजी पटेल ने 'अजंता क्वार्ट्ज' नाम की कंपनी की स्थापना कर थी. शुरुआत में ये कंपनी दीवार घड़ियों का निर्माण करती थी. इस फर्म को अब दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी निर्माता कंपनी के रूप में पहचाना जाता है. अजंता-ओरेवा ग्रुप का नेतृत्व मुख्य रूप से अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (AMPL) के प्रबंध निदेशक जयसुखभाई भालोदिया और अजंता एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (AEPL) के निदेशक समेत ऐसे चार अन्य संगठन करते हैं.
ग्रुप के पास एनर्जी से लेकर ई-बाइक तक का काम
अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (AMPL) की 9 नवंबर 1994 को स्थापना की गई थी. AMPL के निदेशकों में जयसुखभाई के परिजन शामिल हैं. इनमें चिंतन जयसुखभाई भालोदिया, मृदुलगौरी जयसुखलाल भालोदिया, अलीश जयसुखलाल भालोदिया, जयसुखभाई ओधवजीभाई भालोदिया, आशका चिंतन भालोदिया का नाम है. ये फर्म घरेलू उपकरणों जैसे एलईडी बल्ब, स्ट्रीट और फ्लड लाइट, और अन्य लाइट प्रोडक्ट्स के साथ-साथ घड़ियों और टूथपेस्ट का निर्माण करती है. इसने ई-बाइक में भी कदम रखा और इसके दो मॉडल हैं - जे 500 डीलक्स और जे 500 प्लस. कंपनी के पास समाख्याली (जिला कच्छ) और मोरबी (जिला राजकोट) में एक बड़ी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी है.
जुलाई 2019 में केंद्रीय जल आयोग, PMO के अधिकारियों और 18 अन्य विभागों ने एक बैठक बुलाई थी. इसमें AMPL के संस्थापक जयसुख पटेल भी शामिल थे. बैठक में समुद्री जल को LRK (कच्छ के छोटे रण) में प्रवेश करने से रोकने के लिए राम सरोवर परियोजना को पुनर्जीवित करने पर चर्चा हुई थी, ताकि संचित मीठा पानी खारा ना हो पाए.
2013 में ऊर्जा के उत्पादन में शामिल
साल 2013 में अजंता एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (AEPL) को ऊर्जा के उत्पादन क्षेत्र में कलेक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन के व्यवसाय में शामिल किया गया था. ये गुजरात राज्य में जलविद्युत परियोजनाओं में लगी एक पनबिजली विद्युत उत्पादन कंपनी है. जबकि, इस ग्रुप की अन्य कंपनियां सिरेमिक टाइल्स, एलईडी, इलेक्ट्रिकल/ इलेक्ट्रॉनिक आर्टिकल्स, क्वार्ट्ज क्लॉक और ई-बाइक के प्रोजेक्ट में लगी हुई हैं.
ओरेवा ग्रुप साइट के अनुसार, AEPL ने एक जलविद्युत परियोजना पर काम किया है जो गुजरात के महिसागर जिले के माही नदी पर स्थित डोलतपुरा वियर, कदना बांध में स्थित है. जौबा कॉर्प की रिपोर्ट के अनुसार, अजंता एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (AEPL) की अधिकृत पूंजी 8500 लाख है.
सबसे बड़ी कंपनी अजंता इंफ्रा-प्रोजेक्ट्स लिमिटेड है, जो रियल एस्टेट कारोबार में शामिल है. फिलहाल, पुल टूटने की घटना के बाद संबंधित ठेकेदार और एजेंसी के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया गया है.
(रिपोर्ट- दीप्ति यादव और आकाश शर्मा)