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कोरोना: उखड़ती सांसों को नई जिंदगी दे रहा कोलकाता का Oxygen On Wheels

इस पहल के जरिए हर उस कोविड मरीज की मदद की जा रही है जिसे ऑक्सीजन की जरूरत है. कहा गया है कि जब तक उस मरीज के लिए कोई बेहतर सुविधा का इंतजाम नहीं हो जाता, उन्हें 'ऑक्सीजन ऑन व्हील्स' के जरिए जीवित भी रखा जाएगा और पर्याप्त ऑक्सीजन भी दी जाएगी.

कोलकाता में शुरू Oxygen On Wheels कोलकाता में शुरू Oxygen On Wheels
सूर्याग्नि रॉय
  • कोलकाता,
  • 15 मई 2021,
  • अपडेटेड 8:31 AM IST
  • कोलकाता में शुरू Oxygen On Wheels
  • मुफ्त में उखड़ती सांसों को मिला सहारा
  • लिवर फांउडेशन ने की है पहल की शुरुआत

पश्चिम बंगाल में कोरोना की स्थिति हर बीतते दिन के साथ बिगड़ती दिख रही है. राज्य में रोज के 20 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं और मौत का आंकड़ा भी डराने लगा है. चुनाव के बाद से तो संक्रमित मरीजों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है. मरीज इतने ज्यादा हो गए हैं कि अस्पताल में बेड की कमी है और जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन का भी इंतजाम नहीं हो पा रहा है. ऐसे में कोलकाता में कोविड मरीजों के लिए 'ऑक्सीजन ऑन व्हील्स' नाम से एक नई पहल शुरू की गई है.

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कोलकाता का Oxygen On Wheels

इस पहल के जरिए हर उस कोविड मरीज की मदद की जा रही है जिसे ऑक्सीजन की जरूरत है. कहा गया है कि जब तक उस मरीज के लिए कोई बेहतर सुविधा का इंतजाम नहीं हो जाता, उन्हें 'ऑक्सीजन ऑन व्हील्स' के जरिए जीवित भी रखा जाएगा और पर्याप्त ऑक्सीजन भी दी जाएगी. बता दें कि इस अनूठी पहल की शुरुआत लिवर फांउडेशन ने की है. बताया गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय भी इस पहल में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.

मुफ्त में उखड़ती सांसों को मिला सहारा

इस पहल के तहत कोलकाता में दो एंबुलेंस चलाई जा रही हैं जो किसी भी कोविड मरीज को घर पर ही ऑक्सीजन उपलब्ध करवा रही है. लेकिन इस पहल का फायदा लोगों को सिर्फ तब मिलेगा जब उनके द्वारा कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट दिखाई जाएगी. अभी के लिए इस पहल के जरिए कुछ लोगों की मदद की जा रही है, लेकिन आने वाले दिनों में इसे और बड़े स्तर पर शुरू करने की तैयारी है. जानकारी मिली है कि 'ऑक्सीजन ऑन व्हील्स' को सिलिगुड़ी और कोलकाता के आस-पास के नगरों में शुरू किया जा सकता है. ऐसा होते ही इस पहल का फायदा और ज्यादा लोगों तक पहुंच पाएगा.

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वैसे फांउडेशन की तरफ से दावा किया गया है कि वे इस मदद का कोई पैसा नहीं लेते हैं, बल्कि वे मुश्किल समय में इस पहल को मुफ्त में सभी तक पहुंचाने पर जोर दे रहे हैं. फांउडेशन संग जुड़े दिपेश ने इस बारे में कहा है कि हमे कई कॉल आते हैं, लेकिन हम सभी की मदद नहीं कर पाते हैं. हमारा मेन गोल तो यहीं है कि समय रहते सभी को ऑक्सीजन मिल जाए. हम 24 घंटा काम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमारी भी कुछ सीमाएं हैं. कुछ ऐसे मरीज भी देखे गए हैं जो वैसे तो ठीक हैं, लेकिन उन्हें उनकी ऑक्सीजन कम होने का डर रहता है. हम उनकी भी मदद करने कोशिश करते हैं. कई मरीज ऐसे भी सामने आते हैं जो काफी क्रिटिकल होते हैं और उन्हें तुरंत ऑक्सीजन देना होता है.

दूसरे राज्यों में भी अनूठी पहल

बता दें कि देश के दूसरे राज्यों में भी मुश्किल समय में अनूठी पहल देखने को मिल रही हैं. गाजियाबाद में ऑक्सीजन लंगर शुरू किया गया है तो वहीं नोएडा में कोई संस्थान मुफ्त में क्वारंटीन लोगों को खाना खिला रही है. सभी के काम जरूर अलग हैं, लेकिन उदेश्य सिर्फ मदद करना है. इसी वजह से कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी लोगों ने उम्मीद नहीं खोई है और आशा की एक किरण लगातार जलाए रखी है.

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