
ट्रैवल बुकिंग करने वाली कंपनी OYO ने रविवार को अपनी चेक इन पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव किया है. नए नियमों के अनुसार, अब कपल्स को होटल में चेक-इन के लिए अपने रिश्तों का प्रूफ देना होगा. ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरह से बुकिंग करने पर ये दस्तावेज जरूरी होंगे. फिलहाल, कंपनी का ये नियम मेरठ में ट्रायल के तौर पर शुरू किया गया है. लेकिन सवाल ये उठता है कि ओयो अपनी जिस खासियत की वजह से इतना मशहूर हुआ और एक बड़ा ब्रांड बना अब भला वो उसी इमेज को बदलने की तैयारी में क्यों है. क्या ये कंपनी की रणनीति का हिस्सा है. ऐसे क्या उदाहरण हैं जब किसी देश या कंपनी ने अपनी इमेज बदलकर अपने ब्रांड को और मजबूत बनाया हो...
जब थाइलैंड ने बदली अपनी रणनीति
एक समय था जब थाईलैंड की पहचान सेक्स टूरिज्म को लेकर थी. लेकिन 2000 आते-आते थाईलैंड के रेस्टोरेंट्स की मांग दुनियाभर में अचानक बढ़ने लगी थी. थाई डिशेज को खूब लोकप्रियता मिली. पैड थाई नामक डिश हर कोने में मशहूर हुआ. आलम ये रहा कि 2001 से लेकर 2019 के बीच थाईलैंड में पर्यटकों की संख्या 10 मिलियन से बढ़कर 39.8 मिलियन तक पहुंच गई थी. कोरोना महामारी शुरू होने से पहले थाईलैंड दुनिया का आठवां सबसे अधिक विजिट किया जाने वाला देश था.
दरअसल, थाईलैंड की इस इमेज में हुए बदलाव के पीछे वहां की सरकार की एक बड़ी रणनीति थी. लोगों को ट्रेनिंग दी गई थी. वैश्विक स्तर पर कई पहल की गई थी. व्यंजनों का खूब प्रचार किया गया था. लोगों को ऑफर दिए गए थे.
एक कहानी अमेरिका की भी...
अमेरिका को लेकर एक समय पूरी दुनिया में ये धारणा बन गई थी कि वहां खाने में सिर्फ बर्गर और हॉट डॉग ही बेहतर मिलते हैं. लेकिन अमेरिका ने इस इमेज को बदलने के लिए एक रणनीति बनाई. अमेरिका ने व्हाइट हाउस के करीब 80 शेफ की एक टीम तैयार की और उन्हें स्थानीय और साउथ अमेरिकन डिश बनाने के लिए कहा. इन शेफ को दुनियाभर में भेजा गया. फूड रिलेटेड इवेंट आयोजित किए गए.
ऐसे ही कई देशों और कंपनियों ने अपनी इमेज को बदलकर अपनी एक मजबूत ब्रांडिंग की है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या OYO भी इसी राह पर है. इसे समझने के लिए पहले हमें इस कंपनी की जर्नी को समझना होगा.
2013 में शुरू हुई कंपनी, ये था बिजनेस मॉडल
OYO की शुरुआत 2013 में रितेश अग्रवाल ने की थी. तब कंपनी ने सस्ते होटल्स को टारगेट किया था. कंपनी को पहचान मिलने के पीछे दो बड़े कारण थे.पहला ये कि कंपनी बेहद सस्ते दामों में कमरे मुहैया कराती थी. जिसके कारण छोटे-छोटे शहरों में भी सस्ते होटल खुलने लगे थे. दूसरा- ये होटल अनमैरिड कपल्स के लिए भी बिना किसी दिक्कत के उपलब्ध थे. इस खासियत के चलते ओयो हर जुबान पर चढ़ने लगा. आलम ये हुआ कि लोग होटल बुक करने की बजाय 'ओयो बुक कर लेते हैं' कहने लगे.
यही पहचान विवाद का कारण भी बनी
ओयो की यही खासियत उसके विवाद का कारण भी बनी. कई बार इसकी पॉलिसी को लेकर विवाद हो चुका है. मेरठ में भी अनमैरिड कपल्स वाली पॉलिसी को लेकर ही प्रदर्शन हुआ था. होटल से वीडियो लीक होने और वैरिफिकेशन न होने के कारण अवैध गतिविधियों को लेकर भी ओयो सवालों में रहा. कुछ सामाजिक संगठनों ने भी ओयो के खिलाफ याचिका दायर की थी.
...तो OYO बदल रहा अपनी रणनीति
मेरठ से शुरू हुई ओयो की पहल को उसकी रणनीति का हिस्सा भी कहा जा सकता है. दरअसल, इन तमाम विवादों के बीच अब OYO अपनी पुरानी इमेज को बदलने की कोशिश में है. कंपनी खुद को फैमिली, स्टूडेंट्स, बिजनेस ट्रिप्स, धार्मिक यात्राओं और सोलो ट्रिप के लिए सेफ और सहज बनाने की कोशिश में है. वह अपनी ब्रांडिग को भी अब इन्हीं बदलावों के साथ आगे बढ़ाना चाहती है. कंपनी के इस बदलाव का उद्देश्य विजिटर्स के बीच विश्वसनीयता को मजबूत करने का है.
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OYO की ये कोशिशें भी हैं उदाहरण
चेक-इन पॉलिसी में हुए बदलाव से पहले ओयो अपनी रणनीतियों में बदलाव की शुरुआत कर चुका है. दरअसल, OYO ने पूरे देश में सेफ हॉस्पिटैलिटी को लेकर पुलिस और होटल चेंस के साथ संयुक्त सेमिनार आयोजित करा रहा है. OYO लगातार अनैतिक गतिविधियों में शामिल होटलों को ब्लैकलिस्ट करने और कंपनी के नाम पर चलने वाले फर्जी होटलों पर भी एक्शन ले रहा है.
80 से ज्यादा देशों में OYO का कारोबार
OYO के बिजनेस मॉडल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2020 के आंकड़ों के अनुसार, इस कंपनी का नेटवर्क एशिया, यूरोप और अमेरिका समेत 80 देशों के 800 शहरों में फैला है. 43 हजार से ज्यादा होटल ओयो ब्रांड के तहत संचालित होते हैं. देश के बाहर सबसे पहले OYO ने मलेशिया में कदम रखा था जब 2016 में वहां संचालन शुरू किया था. कंपनी के आंकड़ों के अनुसार, 2021 आते-आते वैश्विक स्तर पर 100 मिलियन से ज्यादा लोगों के पास OYO ऐप डाउनलोड था.
2019 में आई रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर ओयो ने 17 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया था. जिसमें 8 हजार से ज्यादा लोग भारत और साउथ एशिया के हैं.
रेवन्यू के लिहाज से देखें तो फाइनेंशिल ईयर 2019 में कंपनी का रेवन्यू 6329 करोड़ रुपये का था. जो 2020 में बढ़कर 13, 168 करोड़ तक पहुंच गया. 2022 में ये 4781, 2023 में 5464 तो फाइनेंशिल ईयर 2024 में 5388 करोड़ रुपये था. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में कंपनी को पहली बार मुनाफा हुआ था. बता दें कि इस कंपनी में जापानी मल्टीनेशनल कंपनी SoftBank की करीब 47 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि रितेश अग्रवाल की इस कंपनी में 33 फीसदी से ज्यादा कि हिस्सेदारी है.