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पंजाब सरकार का दावा- पराली की वजह से दिल्ली के प्रदूषण के लिए हम जिम्मेवार नहीं

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में पंजाब के साल 2018 और 2019 के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का हवाला देते हुए कहा गया है कि दौरान पंजाब का एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली की तुलना में बेहतर था.

पंजाब का दावा पराली जलाने के दौरान दिल्ली से बेहतर थी यहां की हवा (सांकेतिक-पीटीआई) पंजाब का दावा पराली जलाने के दौरान दिल्ली से बेहतर थी यहां की हवा (सांकेतिक-पीटीआई)
मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 15 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 7:17 PM IST
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च की रिपोर्ट का हवाला
  • PPCB का दावा, पंजाब का एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली से बेहतर
  • 'पराली जलाने के दौरान दिल्ली से ज्यादा बेहतर थी पंजाब की आबोहवा'

पंजाब सरकार ने उन खबरों का खंडन किया है जिसमें दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में फैल रहे वायु प्रदूषण के लिए पंजाब में जलाई जा रही प्रणाली को जिम्मेवार माना जा रहा है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) द्वारा 2018-19 में किए गए एक अनुसंधान का हवाला देते हुए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के अधिकारियों ने कहा है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण के लिए उत्तर प्रदेश और स्थानीय तौर पर स्वयं दिल्ली द्वारा पैदा किया गया प्रदूषण जिम्मेवार है ना कि पंजाब से उठता पराली का धुआं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण के लिए स्थानीय कारण ज्यादा जिम्मेवार हैं.

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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में पंजाब के साल 2018 और 2019 के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का हवाला देते हुए कहा गया है कि दौरान पंजाब का एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली की तुलना में बेहतर था.

रिसर्च पेपर में दावा किया गया कि अगर पंजाब का प्रदूषण दिल्ली के वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेवार होता तो पंजाब का खुद का एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब होता.

पंजाब पोलूशन कंट्रोल बोर्ड के मेंबर सेक्रेट्री करुणेश गर्ग ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा है कि अगर पंजाब के क्षेत्रों में जलाई जा रही पराली दिल्ली के प्रदूषण के लिए जिम्मेवार होती तो पंजाब में हवा ज्यादा जहरीली होती.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च के अनुसंधान में सामने आया था कि साल 2018 और 2019 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 179 था और इसमें 2.5 फ़ीसदी पार्टिकुलेट मैटर शामिल था जबकि पंजाब के लुधियाना, जालंधर और अमृतसर का एयर क्वालिटी इंडेक्स क्रमशः 161, 156 और 159 था. 

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कई बड़े कदम उठाए

सरकार का दावा है कि उसने पिछले कुछ सालों से किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. पंजाब सरकार ने राज्य की विभिन्न पंचायतों को पराली नहीं जलाने को लेकर प्रस्ताव पास करने के लिए अधिकृत किया है. राज्य की 9,217 पंचायतें अब तक प्रणाली के खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी हैं.

अक्सर दावा किया जाता है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के खेतों में पराली जलाने के बाद उठने वाला धुआं दिल्ली की आबोहवा में जहर घोल रहा है. पिछले साल कुछ रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि पाकिस्तान के खेतों से भी धुआं हवा में उड़ कर दिल्ली के एयर क्वालिटी इंडेक्स को प्रभावित करता है.

पंजाब और हरियाणा के खेतों से उठने वाला धुआं दिल्ली के वायु प्रदूषण में कितना योगदान देता है फिलहाल इसका कोई विस्तृत अध्ययन नहीं किया गया है.

 

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