
गणतंत्र दिवस पर कई पद्म हस्तियों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. जिसमें उत्तर प्रदेश के रहने वाले बाबू राम यादव भी शामिल हैं जिनको पद्म श्री से सम्मानित किया गया है. बाबू राम यादव यूपी के मुरादाबाद जिले के रहने वाले हैं जिनको कला और शिल्प श्रेणी में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बाबू राम यादव पीतल शिल्पकार हैं और पिछले छह दशकों से अधिक समय से पारंपरिक शिल्पकला तकनीकों का उपयोग करके पीतल की कलाकृतियाँ बना रहे हैं.
विश्व स्तर पर 40 प्रदर्शनियों में दिखाया अपना काम
मिली जानकारी के मुताबिक, बाबू राम ने विश्व स्तर पर 40 प्रदर्शनियों में अपना काम प्रदर्शित किया है और पीतल शिल्पकार के कौशल को जीवित रखने के लिए वह मुरादाबाद में एक कार्यशाला चलाते हैं, जहां वह कुष्ठ रोगियों सहित 1000 से अधिक कारीगरों को मुफ्त प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, ताकि शिल्प कौशल को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होती रहे.
1962 में पीतल पर कला का कौशल सीखना शुरू हुआ
जानकारी के मुताबिक,74 वर्षीय बाबू राम यादव ने 1962 में पीतल पर कला का कौशल सीखना शुरू किया और इसे पेशे के रूप में अपनाया और पीतल मैरोरी शिल्पकार बन गए, जिनके पास पारंपरिक शिल्पकला तकनीकों का उपयोग करके पीतल के बर्तनों पर जटिल और बढ़िया डिजाइन की कलाकृतियाँ बनाने में महारत हासिल है और इस काम में छह दशकों से अधिक का अनुभव है. उन्होंने इस कला की जटिलताओं और बारीकियों को सीखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया और उत्पादों का निर्यात करने के साथ-साथ विश्व स्तर पर 40 प्रदर्शनियों में अपने काम का भी प्रदर्शन किया.
कई युवा सीख रहे हैं यह कला
वहीं आज तक को जानकारी देते हुए बाबू राम यादव ने बताया कि उन्हें प्रसन्नता है कि उन्हें पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है. आज तक से बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी इस कला ने उन्हें देश में बड़ी पहचान दिलाई है. बाबू राम ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पिता भुगन लाल यादव अमर सिंह के नामक व्यक्ति के पास ले गए, जिनसे 1986-87 में शिष्य के तौर पर काम सीखा और उसके बाद फिर स्वतंत्र रूप से अपना काम शुरू किया और आज मेरे इस काम को कई युवा भी सीख रहे हैं और इस कला में माहिर हो रहे हैं.
उन्होंने कहा, नई पीढ़ी को यह कला सिखाकर खुशी मिलती है. बाबू राम बताते हैं कि उनका काम विशेष है और इसमें बहुत अधिक समर्पण की आवश्यकता है और यह विशेष इसलिए भी है क्योंकि, जैसे घर बनाने से पहले एक नक्शा बनाया जाता है जिसमें किचन, वाशरूम, लॉबी और ड्राइंग रूम आदि का स्थान शामिल होता है वैसे मेरे इस काम में फूलों, पंखुड़ियों और पत्तियों के स्थान के जटिल मूल्यांकन और चयन की आवश्यकता पड़ती है कि किसे किस स्थान पर गढ़ कर उसे रूप देकर संवारा जाए.
बताते चलें कि राम बाबू यादव के तीन बेटे हैं, जिनमें से दो उनके साथ काम करते हैं और एक स्कूल में शिक्षक है वहीं उनकी पत्नी मुन्नी यादव हैं जोकि गृहिणी हैं. बाबू राम यादव के पिता का नाम भुगन लाल यादव है और गुरु का नाम अमर सिंह है. बाबू राम यादव प्रदेश के मुरादाबाद जिले से ताल्लुक रखते हैं और वह 74 वर्ष के हैं.