
3 मई का दिन मणिपुर के लिए एक ऐसा तूफान लेकर आया जो 86 दिन बाद भी थमा नहीं है. पहाड़ी राज्य में कुकी-मैतेई समुदाय का संघर्ष इतना भयावह है जिसे पूरा देश देख चुका है. आलम ये है कि इन दोनों समुदायों के लोग वहां बंकर बनाकर बैठे हैं. कब- कहां फायरिंग हो जाए, कहा नहीं जा सकता. चुराचांदपुरा में तो रह-रहकर हिंसा भड़क रही है. मणिपुर की इसी जमीनी हकीकत को जानने के लिए विपक्षी पार्टियों का एक डेलिगेशन शनिवार को पहाड़ी राज्य के दौरे पर गया है. डेलिगेशन ने पीड़ितों से मुलाकात कर उनका दर्द जाना. साथ ही उन महिलाओं के परिवार से भी मुलाकात की, जिन्हें 4 मई को निर्वस्त्र कर दौड़ाया गया था.
4 शिविरों में जाकर सुना लोगों का दर्द
हिंसा प्रभावित राज्य के कई इलाकों का दौरा करने के बाद विपक्षी गुट I.N.D.I.A. के सांसदों ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक कठिन दिन रहा है. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि हम 4 राहत शिविरों में गए और लोगों का दर्द सुना. महिलाएं यह बताते हुए रो पड़ीं कि कैसे उन पर हमला किया गया. गोगोई ने कहा कि हम लोग नई दिल्ली लौटेंगे और संसद में इस दौरे में सामने आई डरावनी कहानियों को उठाएंगे.
आज का दिन हमारे लिए बहुत कठिन था: गौरव गोगोई
कांग्रेस सांसद गोगोई ने कहा कि आज रात हम उन मुद्दों पर चर्चा करेंगे जो हमने देखा. जबकि रविवार को हम राज्यपाल से मिलेंगे. हमने जो हालात देखे हैं, उसके आधार पर हम राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपेंगे. हम इन कहानियों को अपने साथ दिल्ली भी ले जाएंगे और इन्हें संसद में उठाएंगे. आज का दिन हम सभी के लिए एक कठिन दिन रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना चाहिए था और उनकी पार्टी को इसका हिस्सा बनकर खुशी होती.
गोगोई ने कहा कि संसद को अब तक मणिपुर हिंसा पर चर्चा करनी चाहिए थीय. हम संसद को रचनात्मक सुझाव देंगे. बहुत देरी हुई है. बीजेपी के इस आरोप पर कि विपक्षी दलों का दौरा फोटो-ऑप के लिए है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को मणिपुर में आने से कौन रोक रहा है? NDA कहां है? वह क्या कर रहा है?
पीड़ितों का छलका दर्द, कहा- सीएम पर भरोसा नहीं
TMC सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि पूरा विपक्ष मणिपुर के साथ है. JMM सांसद महुआ माजी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि मणिपुर में शांति लौट आई है, लेकिन शांति कहां है? राज्य अभी भी जल रहा है. जबकि DMK सांसद कनिमोझी ने कहा कि लोग सरकार द्वारा अपमानित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया यहां के लोगों को लगता है कि सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया और हिंसा जारी रही तो उन्हें सीएम एन बीरेन सिंह पर कोई भरोसा नहीं है.
पीड़ित परिवार की महिलाओं की गुजारिश- पति और बेटे का शव दिलवा दें
I.N.D.I.A.का प्रतिनिधिमंडल उन पीड़ित महिलाओं के परिवार से भी मिला, जिन्हें 4 मई को भीड़ ने निर्वस्त्र कर दौड़ाया और पीटा था. पीड़ित महिलाओं में से एक की मां ने डेलिगेशन से गुजारिश की कि वे उसके पति और बेटे का शव दिलवाने में उनकी मदद करें, जिनकी भीड़ ने हत्या कर दी थी. टीएमसी सांसद सुष्मिता देव और डीएमके सांसद कनिमोझी ने पीड़ितों में से एक की मां से मुलाकात की, तो उन्होंने गुजारिश की कि उन्हें कम से कम अपने बेटे और पति के शव तो देखने दें. उन्होंने दोनों नेताओं को यह भी बताया कि स्थिति ऐसी है कि कुकी और मैतेई समुदाय अब एकसाथ नहीं रह सकते.
पीड़िता बोली- पुलिस के सामने मेरा रेप किया
सांसद सुष्मिता देव ने बताया कि पीड़ित महिलाओं की मां ने कहा कि उनकी बेटी के साथ रेप बलात्कार किया गया. उसके पति और बेटे को भीड़ ने मणिपुर पुलिस की मौजूदगी में मार डाला, लेकिन आज तक एक भी पुलिस अधिकारी को निलंबित नहीं किया गया है. इससे उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा है. वे कह रहे हैं कि 1000 से अधिक लोगों की भीड़ थी और उन्होंने एक विशेष मांग की है, जिसे मैं राज्यपाल के सामने उठाऊंगी. उन्होंने बताया कि एक लड़की ने आरोप लगाया कि पुलिस के सामने उसके साथ रेप किया गया, लेकिन पुलिस ने उसकी मदद नहीं की. सांसद देव ने दावा किया कि पीड़िता अब पुलिस से डरती है. इससे साफ होता है कि किसी पीड़ित को पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो यह एक संवैधानिक संकट है.
परिवार के साथ हुआ अन्याय, नहीं मिला इंसाफ
सांसद कनिमोझी ने कहा कि पीड़िता के पिता ने सेना में सेवा की और देश की रक्षा की, लेकिन वह अपने परिवार की रक्षा नहीं कर सके. उन्होंने कहा कि एक ऐसी महिला को देखना बहुत दुखद है जिसकी बेटी के साथ रेप हुआ हो. उसने एक ही दिन अपने पति और बेटे को खो दिया. उसे अब तक इंसाफ नहीं मिला है.
आदिवासियों ने की मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की मांग
मणिपुर में आदिवासियों के एक समूह इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने विपक्षी गठबंधन के डेलिगेशन को एक पत्र लिखकर मणिपुर में एक अलग प्रशासन और राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की. पत्र में कहा गया है कि हम I.N.D.I.A. के सदस्यों से गुजारिश करते हैं कि वह हमारा मुद्दा उठाए और देश को हमारी दुर्दशा से अवगत कराए. आईटीएलएफ ने अपने दो पेज के पत्र में कहा कि हम आपसे अनुरोध करते हैं कि मणिपुर से अलग प्रशासन की हमारी मांग का समर्थन कर इस हमले से बचने में हमारी मदद करें. केंद्र सरकार से हिंसा को खत्म करने के लिए मणिपुर में तुरंत राष्ट्रपति शासन लागू करने का आग्रह करें. आईटीएलएफ के अध्यक्ष पागिन हाओकिप और सचिव मुआन टोम्बिंग ने पत्र में कहा कि सांप्रदायिक संघर्ष के लगभग तीन महीने बाद भी पूर्वोत्तर राज्य में शांति एक दूर का सपना बनी हुई है. पत्र में दावा किया गया है कि हिंसा से सभी पक्षों को नुकसान हुआ है, अल्पसंख्यक कुकी समुदाय को हिंसा का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.
ITLF का आरोप- हमारी दुर्दशा के लिए पुलिस भी जिम्मेदार
ITLF ने आरोप लगाया कि राजधानी इंफाल में सरकारी शस्त्रागारों से लूटे गए हजारों हथियारों का इस्तेमाल जातीय सफाई अभियान" में किया जा रहा है. साथ ही कहा कि हमारी दुर्दशा के लिए राज्य की पुलिस भी जिम्मेदार है, क्योंकि अत्याधुनिक बंदूकों और मोर्टारों के साथ पुलिस के कमांडो खुले तौर पर आदिवासी गांवों पर छापा मारने और हमला करने में मैतेई बंदूकधारियों के साथ शामिल हो रहे हैं. सैन्य बफर जोन में शोषण किया जा रहा है. सेना और अन्य सुरक्षा बल पंगु बने हुए हैं. यहां राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की जरूरत है.
मणिपुर में कब भड़की हिंसा?
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय की ओर से निकाले गए 'आदिवासी एकता मार्च' के दौरान हिंसा भड़की थी. इस दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई थी. तब से ही वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. जानकारों का मानना है कि बातचीत से ही इस हिंसा को शांत किया जा सकता है, लेकिन समस्या ये है कि बातचीत को कोई तैयार हो नहीं रहा है. हिंसा में अब तक 150 लोग मारे जा चुके हैं.