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भारतीय सुरक्षा बलों की ओर से जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी संगठनों की कमर तोड़ने से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का मंसूबा अब घाटी में कभी पहले सक्रिय रहे आतंकी संगठनों को दोबारा झाड़-फूंक कर खड़ा करने का है. इन आतंकी संगठनों में सबसे प्रमुख नाम ‘अल बद्र’ का है.
दरअसल, पाकिस्तान ने अपना ट्रैक इसलिए बदला है क्योंकि लश्कर, जैश, हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों का पूरा कच्चा चिट्ठा भारतीय एजेंसियों ने टेरर फंडिंग पर इंटरनेशनल वाच डॉग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को मुहैया करा रखा है. इस वजह से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर किरकिरी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में पाकिस्तान की नजर अल बद्र समेत उन सारे आतंकी संगठनों पर है जो कश्मीर घाटी में कभी पहले एक्टिव रहे लेकिन अब हाशिए पर जा चुके हैं. पाकिस्तान ऐसे संगठनों को फंडिंग के साथ आतंकियों को ट्रेंड कर घाटी में घुसपैठ कराने की फिराक में है.
खुफिया एजेंसियों से आज तक को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक अल बद्र के आतंकियों को पाकिस्तान में दो जगह ट्रेनिंग दी जा रही है. इनमें एक जगह पाक-अफगान बार्डर के पास है जहां पहले जैश और अफगान आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. आतंकियों की ट्रेनिंग का दूसरा ठिकाना खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में है. खैबर पख्तूनख्वा में अल बद्र के कम से कम 50 आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई है. इनको फिर वहां से लाकर POK के लॉन्च पैड, अठमुगम (केरन सेक्टर के सामने), बरोह और ढोक (पूंछ सेक्टर के सामने), चनानिया (नौगाम सेक्टर के सामने) और चौकी समानी (नौशेरा सेक्टर के सामने) कंक्रीट बंकरों में रखा गया है.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक अल बद्र के इन आतंकियों को हथियार चलाने के अलावा GPS ट्रैकिंग और मैप रीडिंग की भी ट्रेनिंग दी गई है. खैबर पख्तूनख्वा के ट्रेनिंग कैम्प में आतंकियों को AK सीरीज़ की गन, PIKA, LMG, रॉकेट लांचर, UBGL और हैंड ग्रेनेड चलाना भी सिखाया गया है. यही नहीं अल बद्र के आतंकियों को यहां पर फॉरेस्ट सर्वाइवल, गोरिल्ला युद्ध, जंगल वॉरफेयर, कॉम्युनिकेशन और इंटरनेट से जुड़ी बारीकियों की भी जानकारी दी गई है.
क्या मंसूबा है पाकिस्तान का?
FATF के एक्शन से बचने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रही है. घाटी में अल बद्र जैसे आतंकी संगठन को खड़ा करने के लिए अलग-अलग रास्तों से फंडिंग जुटाने के लिए हाथ-पैर मारे जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक़ मानशेरा और खैबर पख्तूनख्वा में करीब दर्जन भर जगहों पर अल बद्र के नाम पर पैसा जुटाने के लिए इश्तिहार बांटे गए हैं. यही नहीं पाकिस्तान अल बद्र के अलावा हाशिए पर जा चुके लश्कर-ए-झांगवी, जैश-उल-अदल, हरहत-उल-मुजाहिद्दीन, अल-उमर-मुजाहिद्दीन, तहरीक-उल-मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों को भी फंडिंग कर रहा है.
जहां तक लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों का सवाल है तो पाकिस्तान एक रणनीति के तहत इनसे किसी तरह का जुड़ाव दिखाने से बच रहा है. पाकिस्तान अगले साल फरवरी में FATF की मीटिंग में अपने खिलाफ कड़े रुख से बचने के लिए ऐसा कर रहा है.
अल बद्र का कमांडर जावेद मट्टू भारतीय सुरक्षा बलों के रडार पर
जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों ने आतंकियों की जो लिस्ट तैयार कर रखी है, उसमें अल बद्र का A++ कैटेगरी का आतंकी जावेद अहमद मट्टू उर्फ फैसल उर्फ मुसैब भी शामिल है. ये आतंकी सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बचने के लिए इधर उधर छुपता फिर रहा है.
28 साल के मट्टू ने 2010 में आतंक की राह पकड़ी थी. ख़ुफ़िया सूत्रों की माने तो जम्मू-कश्मीर में 110 स्थानीय आतंकी सक्रिय हैं जिनमे से 15 अल बद्र के हैं. सूत्रों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में करीब 95 पाकिस्तानी आतंकी भी मौजूद हैं. पाकिस्तान की हरकतों को लेकर भारतीय सुरक्षा बल भी पूरी तरह अलर्ट है. यही वजह है कि पाकिस्तान को घाटी में घुसपैठ की हाल-फिलहाल की कोशिशों में मुंह की खानी पड़ी है.
पाक की खुराफात में चीन का भी साथ!
सुरक्षा मामलों के जानकार संजय कुलकर्णी के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां की सेना चीन से पैसे लेकर अल बद्र के आतंकवादियों को रिवाइव करने में जुटी हुई हैं. उन्होंने कहा, “खैबर पख्तूनख्वा और पाक-अफगानिस्तान बॉर्डर पर अल बद्र के आतंकवादियों को ट्रेनिंग करने का मकसद सिर्फ भारत के खिलाफ उनका इस्तेमाल करना हो सकता है, यह आतंकी संगठन लगभग समाप्त हो चुका था लेकिन अब पाकिस्तान चीन की मदद से इन आतंकी संगठनों को रिवाइव कर रहा है.” संजय कुलकर्णी ने कहा कि पाकिस्तान बेशक ऐसी तमाम कोशिशें करता रहे लेकिन मुस्तैद भारतीय सुरक्षा बलों के सामने उसकी एक नहीं चलने वाली.