Advertisement

पाकिस्तान ने खोली ई-जिहाद की फैक्ट्री, भारतीय युवाओं को कट्टर बनाने के लिए भर्ती किए प्रोफेशनल

पाकिस्तान ने भारत में आतंक फैलाने और युवाओं को बहकाकर उन्हें आतंकी संगठन में शामिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. उसने अपनी सरजमीं से भारत के खिलाफ ई-जिहाद छेड़ रखा है. सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन जमात उद दावा, लश्कर, जैश ए मोहम्मद और D कंपनी के गुर्गे भारत के युवाओं को रेडिकलाइज कर रहे हैं. हालांकि भारत की खुफिया एजेंसी इन पर नजर बनाए हुए हैं.

पाकिस्तान से कई आतंकी संगठन भारत के युवाओं को बना रहे कट्टर (सांकेतिक फोटो) पाकिस्तान से कई आतंकी संगठन भारत के युवाओं को बना रहे कट्टर (सांकेतिक फोटो)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:28 AM IST

भारत से सीधे टक्कर न ले पाने वाला पाकिस्तान अब क्षद्म तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है. इस समय पाकिस्तान के आतंकियों ने ई-जिहाद को अपना सबसे बड़ा टूल बना लिया है. पाकिस्तान भले ही आतंकियों के सरगनाओं को जेल में डालने की बात करता हो लेकिन वह दुनिया की आंखों में धूल झोंककर भारत के खिलाफ ऑनलाइन जिहाद करने में जुटा हुआ है.

Advertisement

भारतीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि आतंकी संगठन जमात उद दावा, लश्कर, जैश ए मोहम्मद और D कंपनी के गुर्गे भारत के युवाओं को रेडिकलाइज्ड कर रहे हैं. इसके लिए बकायदे उन्होंने मोटी सैलरी पर टेक्नोक्रेट हायर किए हुए हैं.

20 हजार सैलरी पर हायर की जिहादी टीम

खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान में लश्कर सरगना हाफिज सईद के कराची और लाहौर के दफ्तरों में जहां से युवाओं भड़काने के लिए कभी कभी सईद तकरीरें किया करता था, आज वहां से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत के खिलाफ ऑनलाइन जिहाद को अंजाम देने के लिए सैकड़ों की संख्या में टेक्नोक्रेट को काम पर लगा रखा है, जिन्हें बाकायदा हर महीने 20 हजार रुपये तक सैलरी दी जा रही है.

जानकारी के मुताबिक लश्कर ए तैयबा के साथ साथ अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के आतंकी भी कश्मीर, असम, केरल, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन कर युवाओं को आतंक की राह में धकेलने में लगे हुए हैं.

Advertisement

तीन चरणों में करते हैं रेडिकलाइज

ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड करने के लिए आतंकी खास तरीका इस्तेमाल कर रहे हैं. ई-जिहादी बनाने के लिए आतंकियों ने चार तरीके का लेयर सिस्टम बनाया हुआ है.

- पहले लेयर जिसे कोर कहा जाता है, उसमें बेहद ट्रेंड और भरोसेमंद ई-जिहादियों को रखा जाता है. कोर टीम में शामिल ई-जिहादी पूरे ऑपरेशन की  प्लानिंग तैयार करते हैं. 

- दूसरे लेयर में शामिल करने के लिए उन ई-जिहादियों को रखा जाता है, जिन्हें कोर टीम के तैयार किए गए ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड मैटेरियल को सोशल मीडिया पर डिस्ट्रीब्यूट करना होता है.

- तीसरा लेयर वह है, जिसे मीडियम कोर कहा जाता है. मीडियम कोर में उन लोगों को शामिल किए जाते हैं. जिन्हें ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड आसानी से करने के लिए आसान टारगेट्स दिए जाते हैं. इसके बाद सबसे बाहरी और चौथी लेयर होती है, जिसमें आउटर कोर होता है. आउटर कोर में शामिल ई-जिहादी ऑनलाइन कंटेंट को वैसे लोगों तक फैलाते हैं, जो एक क्लिक पर वीडियो और जिहादी कंटेंट पर टाइम स्पेंड करते हैं.

CTCR ऑनलाइन जिहाद पर रखता है नजर

रेडिक्लाइजेशन और ऑनलाइन जिहाद की घटनाओं से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और दूसरी एजेंसियां मिलकर काम करती हैं. गृह मंत्रालय ने इसके लिए स्पेशल डिवीजन बनाया है, जो आतंक ऑनलाइन जिहाद और रेडिक्लाइजेसन से निपटने के हर पहलू पर काम कर रहा है. हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुफिया विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर एक बैठक किया था. इसके कामों को लेकर समीक्षा की थी.

Advertisement

दरअसल जिस तरह से सोशल मीडिया के जरिए आईएसआईएस, अल कायदा, जैश, हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर अपनी पैठ बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करता है, जिसमें उसकी पूरी टीम काम कर रही है. इसको ध्वस्त करने के लिए DGP/IGP कॉन्फ्रेंस में भी पुलिस प्रमुखों के बीच चर्चा हुई और पूरी तरीके से इसको खत्म करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश भी दिए गए.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement