Advertisement

ड्रोन अटैक: पहले भी मिलिट्री स्टेशन को निशाना बनाते रहे हैं आतंकी, अब ऑफेंस ही बेस्ट डिफेंस!

जम्मू में एयरफोर्स के बेस पर हुए ड्रोन अटैक ने देश में सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी पहले भी इस तरह मिलिट्री स्टेशन को निशाना बनाते आए हैं, ऐसे में वक्त की मांग है कि भारत को इतिहास से सीखने की ज़रूरत है.

जम्मू एयरबेस पर हुए ड्रोन अटैक से सुरक्षा एजेंसियां चौकन्ना (फाइल फोटो: PTI) जम्मू एयरबेस पर हुए ड्रोन अटैक से सुरक्षा एजेंसियां चौकन्ना (फाइल फोटो: PTI)
गौरव सावंत
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2021,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST
  • जम्मू में एयरबेस पर ड्रोन अटैक से बढ़ी चिंता
  • पहले भी ऐसे हमले कर चुके हैं आतंकवादी
  • ड्रोन अटैक तकनीक की ओर शिफ्ट होने का इशारा

जम्मू में भारतीय वायुसेना के बेस पर हुए ड्रोन हमले और बाद में आसपास के कुछ इलाकों में दिखे ड्रोन से खतरे की घंटी बजती हुई दिख रही है. इस पूरी बेल्ट में सेना के कई बेस, स्टेशन और कैंट इलाके हैं, पूर्व में इनमें से कई को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने निशाना भी बनाया है. लेकिन पुरानी हर घटना में एक साफ सबूत होता था, जो आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान के हाथ होने की गवाही देता था. 

लेकिन, अब जिस तरह ड्रोन हमला किया गया है वो आतंकियों द्वारा तकनीक की ओर किए गए बड़े शिफ्ट की ओर इशारा करते हैं. इससे ना सिर्फ उन्हें किसी आत्मघाती हमले के बदले दूसरा ऑप्शन मिला है, बल्कि बार-बार ऐसा करने का रास्ता भी खुला है. क्योंकि अब किसी आत्मघाती दस्ते को भेजने के बजाय आतंकियों को Kamikaze ड्रोन में ही इन्वेस्ट करना होगा. 

इन सैन्य अड्डों के आसपास मौजूद रोहिंग्या और अन्य अवैध अतिक्रमण खतरे को और भी बढ़ाती हैं. सुंजवान मिलिट्री स्टेशन की दीवार के पास ही रोंहिग्याओं की अवैध बस्ती बड़ी चिंता का विषय रही है. इसे पहले इग्नोर किया गया, इस बात का शक भी है कि साल 2018 में मिलिट्री स्टेशन पर हुए हमले, जिसमें सुरक्षाकर्मियों, उनके परिवार को निशाना बनाया गया था, उसमें इसका इस्तेमाल हुआ था. 

Advertisement

क्लिक करें: जम्मू एयरबेस अटैक के 48 घंटे बाद भी ड्रोन का कोई सबूत नहीं मिला, NIA को सौंपी गई जांच

कलुचक हमला, 2002
पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा किसी भारतीय मिलिट्री स्टेशन पर किया गया, सबसे घातक हमला 2002 में कलुचक मिलिट्री स्टेशन पर हुआ था, ये साल 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले की बाद की घटना थी. 

तब तीन पाकिस्तानी आतंकी अबु सोहेल, अबु मुर्शीद और अबू जावेद सांबा बॉर्डर से मिलिट्री वालों की ड्रेस पहनकर आए थे. इन आतंकियों के पास एके-47 थी, अन्य हथियार थे. साथ ही चॉकलेट, बिस्कुट भी थे, जो पाकिस्तान से खरीदे हुए थे. इन आतंकियों ने विजयपुर में हिमाचल प्रदेश रोडवेज़ की एक बस पकड़ी, जो जम्मू के लिए रवाना हो रही थी.  

कलुचक में सुबह करीब 6 बजे ये बस पहुंची, आतंकियो ने बस की रोका, गोलियां चलाई, ड्राइवर-कंडेक्टर और कई यात्रियों को मौत के घाट उतार दिया. इस फायरिंग ने वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों को अलर्ट कर दिया, बाद में दोनों ओर से गोलीबारी हुई. लेकिन इस बीच भी तीन आतंकी कलुचक पहुंच गए और यहां मौजूद फैमिली लाइन्स की ओर बढ़ने लगे. 

इतना सबकुछ घटने के बीच क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) तुरंत एक्शन में आई और एक बार फिर आतंकियों-सुरक्षाबलों में फायरिंग शुरू हुई. पाकिस्तान समर्थित इन आतंकियों ने वहां पर तबाही मचाई, जवानों के बच्चों, परिवार को निशाना बनाया गया. आतंकियों के इस कायराना हमले में तब हवलदार मेजर मंजीत सिंह का दो महीने का बेटी गगनदीप कौर भी थी, जबकि इसमें जान गंवाने वाली सबसे उम्रदराज़ एक हवलदार की मां थी.  

तब कलुचक में हुए उस आतंकी हमले में जवानों के परिवार के कुल 18 सदस्य मारे गए थे. जबकि पूरे आतंकी हमले में कुल 31 लोगों की जान गई थी, जिनमें 3 जवान, 18 परिवार के सदस्य और 10 नागरिक थे, जो कि उस बस में मौजूद थे.  



‘ऑफेंस ही सबसे सही डिफेंस’
कलुचक की बाद अगर दूसरी बड़ी घटना को देखें, तो साल 2013 में सांबा, फिर 2016 में पठानकोट एयर बेस, नागरौता कॉर्प्स ऑफिसर्स पर हमला, फिर 2018 में संजुवान के पास हुआ हमला शामिल है. इतना ही नहीं, जम्मू बॉर्डर बेल्ट में घुसपैठ की कोशिश, सुरक्षाबलों, मिलिट्री कैंप पर किए गए कुछ अन्य हमले भी शामिल हैं. 

अब ड्रोन की तकनीक आने से हमलावरों के पास एक और हथियार पहुंच गया है, जो किसी भी हमले में उनका हाथ होने से नकारने में मदद करेगा. लद्दाख से लेकर लक्षद्वीप तक इस तरह की घटनाओं से खुद को सुरक्षित रखना काफी मुश्किल भी हो सकता है. ऐसे में वक्त की नज़ाकत यही कहती है कि घर के अंदर और घर के बाहर मौजूद दुश्मन को पहचाना जाए. 

अगर दुश्मन के पास किसी तरह का प्लस प्वाइंट है, तो फिर खेल को उसी तरीके से खेलने की ज़रूरत है और मिलिट्री स्टेशन के पास मौजूद सभी अवैध अतिक्रमण को हटाने की ज़रूरत है. सबूतों के आधार पर सज़ा जल्दी और कठोर होनी चाहिए. क्योंकि ऑफेंस ही सबसे सही डिफेंस है. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement