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क्या पाकिस्तान जाएंगे PM मोदी? इस खास मकसद से न्योता भेज रही है शहबाज शरीफ सरकार

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम एससीओ के सभी राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रण भेजेंगे. हमें उम्मीद है कि एससीओ के सभी सदस्य इसमें शिरकत करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान की सरकार से न्योता मिलने जा रहा है. पाकिस्तान सरकार अक्टूबर में होने जा रही शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्रध्यक्षों की बैठक के लिए पीएम मोदी को आमंत्रित करेगी.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम एससीओ के सभी राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रण भेजेंगे. हमें उम्मीद है कि एससीओ के सभी सदस्य इसमें शिरकत करेंगे.

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इससे पहले कजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इस बीच जयशंकर ने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में LAC पर भी बात हुई थी.

एससीओ से इतर जयशंकर की वांग यी से मुलाकात में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) का मुद्दा भी उठा था. इस मुलाकात के दौरान जयशंकर ने सीमावर्ती इलाकों में विवादित मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत पर जोर दिया था. दोनों नेताओं के बीच सीमावर्ती इलाकों में विवादित मुद्दों के जल्द से जल्द समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य माध्यमों से किए जा रहे प्रयासों को दोगुना करने पर बातचीत हुई थी.

इस बैठक के बाद जयशंकर ने कहा कि एलएसी का सम्मान करते हुए और सीमावर्ती इलाकों में शांति और सौहार्द सुनिश्चित करना जरूरी है. साझा सम्मान, साझा संवेदनशीलता और साझा हित ही द्विपक्षीय संबंधों के मार्गदर्शक हो सकते हैं. 

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बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन की 24वीं बैठक का आयोजन तीन से चार जुलाई तक है. एससीओ में भारत, चीन, पाकिस्तान और रूस समेत नौ देश हैं. विदेश मंत्री जयशंकर इस समिट में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद सत्र की व्यस्तता की वजह से इस समिट में शामिल नहीं हो पाए. 

SCO क्या है?

अप्रैल 1996 में एक बैठक हुई. इसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हुए. इस बैठक का मकसद था आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए सहयोग करना. तब इसे 'शंघाई फाइव' कहा गया.

हालांकि, सही मायनों में इसका गठन 15 जून 2001 को हुआ. तब चीन, रूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने 'शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन' की स्थापना की. इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के अलावा कारोबार और निवेश बढ़ाना भी मकसद बन गया.

1996 में जब शंघाई फाइव का गठन हुआ, तब इसका मकसद था कि चीन और रूस की सीमाओं पर तनाव कैसे रोका जाए और कैसे उन सीमाओं को सुधारा जाए. ये इसलिए क्योंकि उस समय बने नए देशों में तनाव था. ये मकसद सिर्फ तीन साल में ही हासिल हो गया. इसलिए इसे सबसे प्रभावी संगठन माना जाता है.

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