
कुल 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री, दशकों तक सिख और पंजाबी राजनीति के केंद्र रहे प्रकाश सिंह बादल का कल रात निधन हो गया. वो 95 साल के थे. लम्बे समय से स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे थे. प्रकाश सिंह बादल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत कई नेताओं और उनके चाहने वालों ने दुःख जताया है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है. प्रकाश सिंह बादल के निधन पर 26 और 27 अप्रैल को दो दिनों का राजकीय शोक होगा. इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. अब तक की जानकारी के मुताबिक प्रकाश सिंह बादल के पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ स्थित सेक्टर 28 में शिरोमणि अकाली दल के मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए सुबह 10 बजे लाया जाएगा. इसके बाद दोपहर 12 बजे उनके पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ से राजपुरा, पटियाला, बरनाला रामपुरा फूल बठिंडा होते हुए बादल गांव ले जाया जाएगा. कल दोपहर 1 बजे बादल गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
बतौर सरपंच अपनी राजनीतिक सफ़र शुरू करने वाले बादल कभी पंजाब के सबसे नौजवान तो बाद के वक़्त में सबसे बुजुर्ग मुख्यमंत्री भी रहे. वे शिरोमणी अकाली दल के सर्वेश्ववा रहे. सिखों के प्रतिनिधित्व की राजनीति की. कहना था उनका कि लंबे समय तक राजनीति में प्रासंगिक बने रहने की इकलौती वजह है उनका उसूल और एक पार्टी के साथ ताउम्र उनका जुड़ाव. वे पार्टी बदलने वालों को नीची नज़र से देखते थे. अब की जब प्रकाश सिंह बादल नहीं हैं, पंजाब की राजनीति में क्या रहकर भी क्या नहीं होगा? उनका सियासी सफ़र कैसा रहा? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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2011 तक अफ्रीका का सबसे बड़ा देश रहा सूडान पिछले 11 दिनों से भयानक खूनी संघर्ष झेल रहा है. कोई दुश्मन देश नहीं बल्कि सूडान की अपनी सेना और पैरामिलिट्री फोर्स एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं. वजह बस एक की अपनी ताकत और वर्चस्व दिखा कर सूडान की सत्ता हथिया ली जाए. लगातार जारी धमाकों और गोलीबारी में 450 से अधिक लोगों के मारे जाने और 4,000 से अधिक लोगों के घायल होने की ख़बर है. आज इस संघर्ष का 12वा दिन है. कल अमेरिका की दखल और 48 घण्टे की बातचीत के बाद दोनों पक्षों में संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान भी हमले होते रहे.
तेल, गैस से लेकर अकूत सोने के भंडार वाले सूडान की राजधानी खारतूम में स्थिति सबसे अधिक ख़राब है. कई लोगों को डर है कि खारतूम कहीं वॉर ज़ोन न बन जाए. सूडान में संघर्ष विराम के ऐलान के बाद फ़िलहाल स्थिति कैसी है, क्या ये फ़ौरी राहत स्थाई समाधान की तरफ़ आगे बढ़गी या ये संघर्ष अभी और खूनी हो सकता है और वहां फंसे भारतीय लोगों के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन कावेरी का करेंट स्टेटस क्या है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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चंद महीने पुरानी बात है, जब दिल्ली एमसीडी चुनाव के बाद स्टैंडिंग कमेटी की वोटिंग हुई तो सदन में माननीय पार्षदों के बीच जमकर जूतमपैजार हुई. कपड़े फाड़ने से लेकर चप्पल तक चला. कई दौर की कोशिशों के बाद आखिरकार डॉक्टर शैली ओबेरॉय आम आदमी पार्टी की ओर से मेयर चुन ली गयीं. लेकिन 30 मार्च को उनका टर्म समाप्त हो गया और अब आज साल 2023 के लिए मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होना है. दरअसल, दिल्ली में ऐसा नहीं है कि एक बार आप चुन लिए गए तो पांच साल के लिए मेयर हो गएं. यहां महापौर पद के लिए बारी-बारी से एक-एक साल के पांच कार्यकाल होते हैं. जिसमें पहला साल मेयर का पद महिलाओं के लिए जबकि तीसरे बरस अनुसूचित जाति के लिए होता है. बाकी के जो तीन कार्यकाल हुए, (दूसरे, चौथे और पांचवें बरस में), उस दौरान यह पद अन रिजर्व्ड होता है. यानी दूसरे, चौथे और पांचवे बरस के दौरान महिला भी खड़ी हो सकती है, कोई आरक्षित वर्ग या सामान्य तबके का प्रत्याशी भी, हर किसी को खड़े होने की छूट है. आज जो चुनाव होना है, उसमें सीधा मुकाबला आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय और भारतीय जनता पार्टी की नेता शिखा राय के बीच होगा. नम्बर गेम में जब बीजेपी क्लियरली पीछे है, फिर वो क्यों ज़ोर आज़माइश कर रही है, क्या उलटफेर के भी कोई आसार हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.