लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में आयकर से दी गई राहत से लेकर तमाम कदम गिनाए. वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने सदस्यों की ओर से उठाए गए सवालों पर भी अपना पक्ष रखा. वहीं, राज्यसभा में आज आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया गया. आपदा प्रबंधन विधेयक पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस के नीरज डांगी ने की है.
राज्यसभा से आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 पारित हो गया है. इस बिल में गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ संशोधनों का प्रस्ताव रखा. राज्यसभा ने गृह मंत्री की ओर से प्रस्तुत संशोधनों के साथ यह बिल पारित कर दिया है. शाम 6 बजे लोकसभा की कार्यवाही 26 मार्च को 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी, इस बिल के पारित हो जाने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई.
अमित शाह ने कहा कि पीएम केअर्स को लेकर बात हुई. कहा गया कि इसमें ट्रांसपैरेंसी नहीं है. कांग्रेस के शासन में पीएम राहत कोष बनाया गया, पीएम केअर्स मोदी जी के शासन में बना. हमारे यहां प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री सदस्य हैं. पदेन व्यवस्था है. राहत कोष में कांग्रेस के अध्यक्ष सदस्य हैं. हमने नड्डा को नहीं रखा है. कोई पारदर्शिता नहीं थी. विपक्ष की ओर से यील्ड करने की मांग उठी. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर गलत हुआ तो लिखित में दे दूंगा नहीं तो ऑथेंटिकेट कर दूंगा. राहत कोष का क्या हुआ, राजीव गांधी फंड को दे दिया जो कांग्रेस की अध्यक्षा और उननका परिवार चलाता है. फंड के उपयोग के लिए कोई कमेटी नहीं थी. यहां पर पीएम के सचिव की अध्यक्षता में पांच सचिवों की कमेटी बनाई गई है जिसकी अनुशंसा पर ही खर्च किया जाता है. हमने राहत कार्य के साथ साथ कई तरह की इनोवेटिव सहायता भी की है और इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं है. देश की जनता तय करती है कि पारदर्शिता कहां है. आप तो इस पर बोलिए ही मत, जीप कांड से बोफोर्स और टूजी तक इतनी पारदर्शिता आपने बरती है कि बताते हुए देश थक जाएगा. राजीव गांधी फाउंडेशन को जाकिर नाइक के एनजीओ से भी 50 लाख का फंड मिला था.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2019 के कोविड के प्रबंधन के लिए जिन लोगों ने टिप्पणियां की, पूरी दुनिया में सबसे अच्छा प्रबंधन भारत में हुआ है. पूरी दुनिया इसकी तारीफ करता है. कोविड आते ही टीका बनाने की शुरुआत की. कई ऐसे रोग हैं जिनका टीका रहते हुए भी कांग्रेस के शासन में 20-20 साल लग गए. हमने टीका बनाया भी और दो साल में दो-दो टीके लगाए भी. टेक्नोलॉजी का इतना बढ़िया उपयोग कभी नहीं हुआ था. टीका लगाते ही मोदी जी की हंसती फोटो के साथ सर्टिफिकेट आ जाता था. ऑनलाइन ट्रीटमेंट, छोटे से छोटे डॉक्टर को यहां से गाइड करने का काम किया गया और लाखों लोगों की जान बची. 40 बार प्रधानमंत्री ने राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की. कोई बता दे कि किसी आपदा में किसी प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के साथ 40 बार बात की हो तो बता दो. टीका तो हम सबको देते थे, लगाने में राजनीति होती थी. आपदा के समय में जनता को गुमराह करते हैं. पूरी दुनिया में सबसे अच्छी लड़ाई हमने लड़ी नेतृत्व के कारण. नेतृत्व कई तरह का होता है. पूरी दुनिया में सरकारें कोविड के खिलाफ लड़ रही थीं, हमारे यहां केंद्र और राज्य की सरकारों के साथ ही 130 करोड़ जनता लड़ाई लड़ रही थी. हमने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया, थाली बजाया, दिया जलवाया, मजाक उड़ाते थे. जो हमारा मजाक उड़ाते थे, वो खुद ही मजाक हो गए और जनता ने हमें तीसरी बार चुनकर यहां भेजा.
अमित शाह ने कहा कि एक बात पूरी दुनिया स्वीकार कर चुकी है कि पर्यावरण के क्षेत्र में मोदी जी नेतृत्व संभाल रहे हैं और इसीलिए संयुक्त राष्ट्र ने इनको चैम्पियंस ऑफ अर्थ की उपाधि से सम्मानित किया है. उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक से लेकर सोलर एनर्जी और एक पेड़ मां के नाम अभियान तक, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हुए कार्य गिनाए और कहा कि 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य भारत ने रखा है. 20 प्रतिशत इको फ्रेंडली ईंधन हम सबकी गाड़ी में होता है. स्वच्छता अभियान को 39 से बढ़ाकर सौ फीसदी किया है. पीएम प्रणाम से लेकर गोवर्धन और पीएम सूर्य घर योजना तक, सरकार की योजनाएं गिनाते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इसने पूरी दुनिया में नई ऊर्जा भरने का काम किया है.
अमित शाह ने कहा कि हमने अपने आपदा राहत को पैना बनाने के लिए बांग्लादेश से लेकर जापान तक, समझौते भी किए हैं और अंतरराष्ट्रीय गोष्ठियां भी आयोजित की हैं जिनमें ढेर सारे आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ आए. सीडीआरआई आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में देश के वैश्विक नेतृत्व का उदाहरण है. न्यूयॉर्क में मोदी जी ने इसका विचार रखा और भारत में इसकी स्थापना की गई जिसमें 42 देश सदस्य हैं. आपदा मित्र योजना के माध्यम से हमने 350 डिजास्टर प्रोन जिलों में एक लाख स्वयंसेवकों की फोर्स बनाई और पोर्टल पर रजिस्टर किया. जब भी आपदा आती है, ये खुद पहुंचते हैं और इनका लेखा जोखा भी जिलाधिकारियों के पास है. इनमें 20 फीसदी मातृशक्ति है. इसका परिणाम ये हुआ कि 78 हजार लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया और 129 लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई गई. 1300 से ज्यादा आपदा मित्र को मास्टर ट्रेनर का काम दिया है जो 2 लाख 37 हजार नए आपदा मित्र को प्रशिक्षित करेंगे. उन्होंने मौसम से लेकर वन अग्नि तक, ऐप्स के नाम भी गिनाए और कहा कि ये सारे ऐप्स आज सबके पॉकेट में पहुंचाने का काम हमने किया है. इससे समय पर सबको जानकारी मिल जाती है.
गृह मंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए गुजरात के योगदान को भी सदन में रखना चाहता हूं. 2001 में भुज के भूकंप ने झकझोर कर रख दिया. भारत ने इतना बड़ा भूकंप कभी देखा नहीं था. प्रधानमंत्री जब वहां के मुख्यमंत्री थे, 2003 में उन्होंने आपदा प्रबंधन के लिए कानून लाया. 2013 में लू के लिए कानून बना. मोदी जी जब प्रधानमंत्री बने, राहत केंद्रित दृष्टिकोण की जगह समग्र दृष्टिकोण की शुरुआत की और मिनिमम कैजुएलिटी का लक्ष्य रखा. प्री डिजास्टर तैयारियां भी की जाती हैं. हमने इस क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है जिसका परिणाम है कि 1999 के ओडिशा सुपर साइक्लोन में 10 हजार लोग मारे गए थे और जब फानी आया तब एक ही व्यक्ति मारा गया. गुजरात में चक्रवात आया तो एक भी पशु की भी मौत नहीं हुई है और हमने जीरो कैजुएलिटी का लक्ष्य प्राप्त किया. आर्थिक सहायता की बात हुई, 2004 से 2014 में एसडीआरएफ का बजट 38 हजार करोड़ था. 2014 से 2024 में 1 लाख 24 हजार करोड़ था. 2004 से 2014 में 28 हजार करोड़ था वो मोदी जी के समय में 88 हजार करोड़ हुआ. हमने इनके समय से तीन गुना अधिक पैसा दिया है.250 करोड़ से राष्ट्रीय आपदा रिजर्व बनाया. हमने सुभाष चंद्र बोस एनडीएम अवॉर्ड की शुरुआत की. जो अंतर मंत्रालय परामर्श टीम भेजी जाती है, एक जमाने में छह छह महीने लग जाते थे. हमने निर्णय लिया कि पहले जाकर जायजा लेंगे और 10 दिन के भीतर जायजा लेकर तुरंत सहायता देने का काम किया है. एनडीआरएफ के भगवा रंग के कपड़े देखकर लोगों को शांति मिलती है कि ये आ गए अब हम बच जाएंगे. नागरिक सुरक्षा का भी कार्यक्रम लिया गया, कई सारे अंतरराष्ट्रीय अभियान भी एनडीआरएफ ने चलाए हैं.
गृह मंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए गुजरात के योगदान को भी सदन में रखना चाहता हूं. 2001 में भुज के भूकंप ने झकझोर कर रख दिया. भारत ने इतना बड़ा भूकंप कभी देखा नहीं था. प्रधानमंत्री जब वहां के मुख्यमंत्री थे, 2003 में उन्होंने आपदा प्रबंधन के लिए कानून लाया. 2013 में लू के लिए कानून बना. मोदी जी जब प्रधानमंत्री बने, राहत केंद्रित दृष्टिकोण की जगह समग्र दृष्टिकोण की शुरुआत की और मिनिमम कैजुएलिटी का लक्ष्य रखा. प्री डिजास्टर तैयारियां भी की जाती हैं. हमने इस क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है जिसका परिणाम है कि 1999 के ओडिशा सुपर साइक्लोन में 10 हजार लोग मारे गए थे और जब फानी आया तब एक ही व्यक्ति मारा गया. गुजरात में चक्रवात आया तो एक भी पशु की भी मौत नहीं हुई है और हमने जीरो कैजुएलिटी का लक्ष्य प्राप्त किया. आर्थिक सहायता की बात हुई, 2004 से 2014 में एसडीआरएफ का बजट 38 हजार करोड़ था. 2014 से 2024 में 1 लाख 24 हजार करोड़ था. 2004 से 2014 में 28 हजार करोड़ था वो मोदी जी के समय में 88 हजार करोड़ हुआ. हमने इनके समय से तीन गुना अधिक पैसा दिया है.250 करोड़ से राष्ट्रीय आपदा रिजर्व बनाया. हमने सुभाष चंद्र बोस एनडीएम अवॉर्ड की शुरुआत की. जो अंतर मंत्रालय परामर्श टीम भेजी जाती है, एक जमाने में छह छह महीने लग जाते थे. हमने निर्णय लिया कि पहले जाकर जायजा लेंगे और 10 दिन के भीतर जायजा लेकर तुरंत सहायता देने का काम किया है. एनडीआरएफ के भगवा रंग के कपड़े देखकर लोगों को शांति मिलती है कि ये आ गए अब हम बच जाएंगे. नागरिक सुरक्षा का भी कार्यक्रम लिया गया, कई सारे अंतरराष्ट्रीय अभियान भी एनडीआरएफ ने चलाए हैं. अमित शाह ने नेपाल भूकंप से लेकर कुवैत और टर्की तक, अभियान भी गिनाए और एनडीआरएफ के जवानों को साधुवाद भी दिया.
गृह मंत्री ने कहा कि हम रेडियो पर चेतावनी की जगह सोशल मीडिया की ओर जाना चाहते हैं. आपदा प्रबंधन में क्षमता, तीव्रता, दक्षता और सटीकता को समाहित करने के लिए ये विधेयक बनाया गया है. 10 साल के भीतर इस क्षेत्र में जो परिवर्तन आया है, हम ग्लोबल पावर बनकर उभरे हैं. भारत की इस सक्सेस स्टोरी को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए ये प्रयोग है. इससे एनडीएमए और एसडीएमए, दोनों प्रभावी होंगे और राष्ट्रीय-राज्य स्तर पर आपदा डेटा बेस का सृजन होगा और 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के सौ फीसदी अनुपालन के लिए भी वैधानिक खाका बनाने की ताकत इसमें होगी. हमने ट्रांसपैरेंसी, रिस्पॉन्सिबिलिटी, एफिशिएंसी और सिनर्जी ये चार पिलर्स हैं. संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए भी जिम्मेदारी तय की है. सिनर्जी के साथ आपदा के खिलाफ लड़ने का प्रयास किया गया है. ये केवल शब्द नहीं है, हमने धाराओं के जरिये इन्हें सुनिश्चित करने का काम किया है. धारा 13 को हटाने का सवाल उठा. धारा दो में जो परिवर्तन हुआ है, उसके बाद धारा 13 का कोई रोल नहीं रहा. उन्होंने एक-एक धारा गिनाई और कहा कि हमने सिविल सोसाइटी संगठनों को स्थान देने का प्रयास किया है. जहां-जहां सुधार किया गया है, इन चार पिलर्स पर किया गया है. कोई भी सुधार सत्ता के केंद्रीयकरण के लिए नहीं है. पर्यावरण संरक्षण के साथ ही आपदा प्रबंधन पर भी 10 साल में बहुत काम किया गया है.
गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में आपदा प्रबंधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे हैं. अमित शाह ने कहा कि कुछ सदस्यों ने कहा कि सत्ता का केंद्रीयकरण किया जा रहा है, फेडरल स्ट्रक्चर का ध्यान नहीं रखा गया है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन का विषय केंद्र और राज्य, दोनों की लिस्ट में है. हमारी मंशा केवल राज्य ही नहीं, पंचायतों और हर एक नागरिक को आपदा के खिलाफ लड़ाई से जोड़ने की है. केंद्रीयकरण का विषय ही उपस्थित नहीं होता. अमित शाह ने वेद-पुराण से हड़प्पा सभ्यता तक, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि हमने पर्यावरण की देखरेख के साथ दुनिया की अच्छी प्रैक्टिस को अपनाने का खुला मन रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2005 में इसे लेकर पहली बार कानून आया और एनडीएमए, एसडीएमए और डीडीएमए की बात है. अब केंद्रीयकरण की चिंता जताई जा रही है. अगर आप ध्यान से देखेंगे तो सबसे बड़ी जिम्मेदारी डीडीएमए की है.
मध्य प्रदेश के सागर से बीजेपी की सांसद डॉक्टर लता वानखेड़े ने बॉयलर विधेयक को श्रमिकों की सुरक्षा का संकल्प बताते हुए कहा कि ये नवाचार की क्षमता को बढ़ावा देगा. ये देश को सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाएगा.
वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया है कि 2023 में औद्योगिक वस्तुओं पर टैरिफ 13.5% था, लेकिन केंद्रीय बजट 2025-26 के बाद साधारण औसत इंडस्ट्रियल टैरिफ को घटाकर 10.66 कर दिया गया है.
यह भी पढ़ें: US से व्यापार वार्ता के बीच भारत ने उठाया ये बड़ा कदम, इतना घटा दिया इंडस्ट्रियल टैरिफ
आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने राज्यसभा में कहा कि मैन मेड डिजास्टर को भी इसके दायरे में लाया जाना चाहिए. जलवायु परिवर्तन भी महत्वपूर्ण मुद्दा है. वायु प्रदूषण के कारण भी लाखों लोगों की जान जा चुकी है. लू के कारण मौतों के मामले भी बढ़े हैं. इनको भी इस कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए.
लोकसभा में बॉयलर्स बिल पर चर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश की धौरहरा लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद आनंद भदौरिया ने कहा आप इसके जरिये विदेशी निवेशकों को फायदा पहुंचाने, देश के छोटे और मंझोले व्यावसायियों का गला घोंटना चाहती है. उन्होंने कहा कि ये ऐसा हथियार दे रहे हैं जिससे राज्य सरकार जिसे चाहेगी, उसे छूट देने का काम करेंगी. अधिकतर राज्यों में तो इन्हीं की सरकारें हैं. ऐसा हुआ तो बॉयलर दुर्घटनाएं बढ़ेंगी. इस एक्ट में इंस्पेक्टर्स को मनमानी की छूट दी जा रही है. क्या सरकार इस एक्ट में संशोधन करके फिर से इंस्पेक्टर राज लागू करना चाहती है. उनकी मनमानी पर लगाम कैसे लगेगी, इसका भी कुछ प्रावधान कर दीजिए. दंड प्रावधान पुराने जमाने के और प्रभावहीन हैं. छोटे उद्योगपतियों के लिए एक लाख रुपये का दंड रखिए लेकिन बड़े उद्योगपतियों पर कम से कम 10 लाख रुपये जुर्माना रखिए, 10 साल जेल रखिए, रखिए कि जमानत भी ना मिल पाए. ये विधेयक न तो आधुनिक है और ना ही जनहितैषी है. केंद्र और राज्य सरकारों की छूट देने की शक्ति सीमित करें. सपा सांसद ने आगे कहा कि सांसदों की सैलरी बढ़ाई गई जिस पर मिश्रित प्रतिक्रिया है. सैलरी बढ़ाने से ज्यादा जरूरी है सांसद निधि बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये सालाना किया जाए और जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक कम से कम 50 किलोमीटर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण कराने का अधिकार दिया जाए.
लोकसभा की ओर से जारी बुलेटिन में पहले इस बात की जानकारी दी गई थी कि इस बार सदन की कार्यवाही 29 मार्च, शनिवार को भी चलेगी. वित्त विधेयक पारित होने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने सदन में ये जानकारी दी कि कई दलों के नेताओं ने संसदीय कार्य मंत्री से शनिवार को सदन की बैठक न बुलाने का आग्रह किया था. ये फैसला लिया गया है कि 29 मार्च को पूर्व निर्धारित बैठक अब नहीं होगी और इस संबंध में जारी बुलेटिन को रद्द कर दिया गया है.
लोकसभा से वित्त विधेयक पारित हो गया है. लोकसभा ने ध्वनिमत से वित्त विधेयक को पारित कर दिया.
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक पेश कर दिया है. उच्च सदन में भोजनावकाश के बाद कार्यवाही शुरू होते ही अमित शाह ने ये बिल पेश किया. राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा की शुरुआत हो गई है. कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने इस बिल पर चर्चा की शुरुआत की है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब दे रही हैं. वित्त मंत्री ने बजट और इस वित्त विधेयक में उठाए गए कदमों की जानकारी दी और आयकर में दी गई छूट को भी बड़ी उपलब्धि बताया. उन्होंने सेस और सरचार्ज को लेकर भी विस्तार से जानकारी दी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा का जवाब देंगी. वित्त मंत्री को दोपहर दो बजे चर्चा का जवाब देना था. थोड़ी देर में वह चर्चा का जवाब देंगी.
केसी वेणुगोपाल ने वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि कल निशिकांत दुबे जी बोल रहे थे. 1947 से लेकर यूपीए की सरकार तक के कार्यकाल की बात कर इस सरकार को जस्टिफाई कर रहे थे. हम आज नई सोच के साथ आए हैं. नारा दिया सबका साथ, सबका विकास. सबका विनाश हो गया है सर. इस पर स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें टोकते हुए कहा कि ये आगे का शब्द ठीक नहीं है. आपकी पार्टी के लिए भी ठीक नहीं है. केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये सरकार के लिए है. निशिकांत जी जब बोलते हैं, उन्हें माइक दी जाती है. विपक्ष के नेता भी कोई बात कहते हैं तो माइक नहीं दी जाती. इस पर स्पीकर ने कहा कि चेयर पर कोई सवाल न उठाएं.
महराष्ट्र की हातकणंगले लोकसभा सीट से शिवसेना के सांसद धैर्यशील संभाजीराव माने ने कुणाल कामरा का नाम लिए बिना कहा कि पिछले दो दिन से आप देख रहे होंगे कि जिसका एक कमरा खाली है, वह जोकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री का नाम लेकर अनाप-शनाप बक रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ तो नीतियां बननी चाहिए, कुछ तो ड्रॉ लाइन होनी चाहिए. किसी व्यक्ति विशेष पर टिप्पणी करने से अच्छा आप उसकी नीतियों पर टिप्पणी करें तो उसका जरूर स्वागत होगा.
यह भी पढ़ें: 'महाराष्ट्र में कोई कॉमेडियन जोकर...', शिवसेना MP ने लोकसभा में उठाया डिप्टी CM शिंदे पर टिप्पणी का मुद्दा
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कर्नाटक में जयराम जी और खड़गे जी की सरकार है, इसीलिए कहा हूं कि आप कर्नाटक में कर दो. उन्होंने ये भी कहा कि सिर्फ जयराम जी और मैं नहीं, खड़गे जी और मैं भी एक ही हैं साहब. इस पर चुटकी लेते हुए सभापति धनखड़ ने कहा कि मतलब यहां पर नाटक है? बाहर एक हैं. प्रह्लाद जोशी ने कहा कि बाहर तो दोस्ती रहता है न साहब. सभापति ने कहा कि फिर यहां भी दोस्ती कर लो. प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इधर तो मंत्री के नाते हम हमारी जिम्मेदारी निभाते हैं.
यह भी पढ़ें: 'बाहर मैं और खड़गे जी भी एक ही हैं', जब राज्यसभा में बोले केंद्रीय मंत्री, सभापति धनखड़ भी हुए हैरान
राज्यसभा में प्रश्नकाल के बाद अब भोजनावकाश हो गया है. उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है.
लोकसभा की कार्यवाही फिर से शुरू हो गई है. लोकसभा में आसन पर जगदंबिका पाल आए हैं. जगदंबिका पाल ने कुछ विषयों पर स्थगन प्रस्ताव की सूचना मिलने की जानकारी सदन को दी और कहा कि स्पीकर ने इनमें से किसी भी सूचना को अनुमति नहीं दी है. आसन ने इसके बाद लिस्टेड बिजनेस लेना शुरू कर दिया. वहीं, राज्यसभा में प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू हो गई है. राज्यसभा में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से संबंधित प्रश्न पूछे जा रहे हैं. इन सवालों के जवाब केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी दे रहे हैं.
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन ने बिहार के सीवान जिले के एक गांव में स्थित बालिका गृह से 13 लड़कियों के फरार होने का मुद्दा उठाया. शून्यकाल के दौरान रंजीत रंजन ने 2018 में बिहार के एक बालिका गृह में कई लड़कियों के गर्भवती होने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह मामला भी महज फरारी का नहीं लग रहा. प्रशासन फरारी बता रहा है. जिस दीवार से उनके फरार होने की बात कही जा रही है, उसके आसपास लगे पांच सीसीटीवी कैमरे उस रात बंद थे. कुछ लड़कियों के परिवार के संपर्क में होने की बात कही जा रही है. इस मामले पर राजनीति न करते हुए इसकी गहन जांच कराई जाए.
लोकसभा में विपक्षी सदस्य वेल में आ गए और जोरदार हंगामा किया. विपक्ष के हंगामे पर स्पीकर ने कहा कि आप राज्य का राजनीतिक एजेंडा यहां सदन में लागू करना चाहते हैं. नियोजित तरीके से सदन में गतिरोध उत्पन्न कर रहे हैं. नियोजित तरीके से कार्यवाही बाधित करना उचित नहीं है. स्पीकर ने सदस्यों से अपनी सीट पर वापस जाने का आग्रह किया लेकिन इसका सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ. हंगामे के बीच स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी.
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. विपक्षी सदस्य वेल में आ गए और नारेबाजी शुरू कर दी. विपक्ष की नारेबाजी और हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही जारी है. सदन में प्रश्नकाल के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कामकाज से जुड़े सवालों के शिवराज सिंह चौहान जवाब दे रहे हैं. कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने खेती छोड़ रहे किसानों की बढ़ती संख्या को लेकर सवाल किया. इसके जवाब में कृषि मंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदम गिनाए.
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आपने नेता सदन और विपक्ष के नेता, दोनों को बुलाया और कानूनी पेच के बारे में भी बताया और जिस तरीके से करना चाहिए, वो भी बताए. एक तो जितनी नॉलेज संविधान और प्रक्रिया की आपके पास है, बहुत दिन आपने वकालत की और मैंने तो एक ही साल में वकालत छोड़ दी. हम आपसे बात करके यहीं सहमत हो गए तो कल के दिन बाकी फ्लोर लीडर्स ये सोचेंगे कि चेयरमैन साहब ने ऐसा क्या कर दिया कि जाकर ये दोनों राजी हो गए. हम फ्लोर लीडर्स को विश्वास में लेकर इसको आगे बढ़ाएंगे. हम चाहते थे कि आज आप बुलाइए. हम वहां आएंगे और अपना विचार रखेंगे और इसके बाद जो भी निर्णय लेना होगा, लेंगे. मुझे ये अच्छा नहीं लगा कि हमको बगैर सुने आप यहां जो एक घटना हुई थी, उसको लेकर आपने जो विचार दे दिया और फैसला दे दिया. हमको सुनकर आप विचार देते तो अच्छा था.
राज्यसभा में लिस्टेड बिजनेस लेने और कॉर्पोरेट मामलों के राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा के बयान के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने आठ सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत चर्चा का नोटिस मिलने की जानकारी दी. उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिया और कहा कि कुछ सदस्यों ने नियम 267 के नोटिस दिए हैं और वे सदन में नहीं हैं. उनके नाम नहीं लेना चाहते हैं. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने दिल्ली हाईकोर्ट जज के मुद्दे को गंभीर बताया. उन्हें टोकते हुए जगदीप धनखड़ ने सीजेआई की ओर से उठाए गए कदम की तारीफ करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सभी फ्लोर लीडर्स की 4.30 बजे बैठक बुलाई है. प्रमोद तिवारी ने कहा कि न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए, दिखना भी चाहिए कि हो रहा है. आपने नेता सदन को बुलाया, विपक्ष के नेता को बुलाया. इस पर सभापति ने कहा कि इस सदन ने मर्यादित तरीके से एक व्यवस्था बनाई थी.
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नारेबाजी देखने को मिली. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ जब अपने आसन पर आए, सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जय श्रीराम के नारे लगाए. जवाब में विपक्षी सदस्यों ने भी जय संविधान का नारा बुलंद किया. राज्यसभा की कार्यवाही आज शांतिपूर्ण तरीके से चल रही है. सदस्य अपने नाम के आगे अंकित प्रपत्र सदन में पेश कर रहे हैं. वित्त को लेकर स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश हो गई है.
वन नेशन, वन इलेक्शन पर जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव आज लोकसभा में आ सकता है. जेपीसी की अगुवाई कर रहे पीपी चौधरी रिपोर्ट पेश करने के लिए मॉनसून सत्र के अंतिम हफ्ते के पहले दिन तक बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव ला सकते हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक दिन पहले लोकसभा में वित्त विधेयक पेश किया था. इस विधेयक पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने की थी. देर रात चली चर्चा के बाद आज भी सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा जारी रहेगी. वहीं, राज्यसभा में बैंक कानून (संशोधन) विधेयक पर चर्चा होनी है.