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विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा की कार्यवाही जारी है. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा करने से पहले कहा- आज का दिन भारतीय संसद के इतिहास में इतना दागी हो गया है कि विपक्ष के नेता खुद वेल में आ गए. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. मैं दुखी हूं कि भारतीय संसदीय परंपरा में इस हद तक गिरावट आ जाएगी कि विपक्ष के नेता वेल में आ जाएंगे. सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सदन के बाहर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति को दोषी बता दिया. बाद में सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति ने इसे लेकर नाराजगी व्यक्त की.
सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस तरह का आचरण हर भारतीय को आहत करता है. उन्होंने कहा कि पांच दशक से अधिक समय का संसदीय अनुभव रखने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को वेल में आते, अमर्यादित आचरण करते और गलत सूचनाएं फैलाते देखना मेरे लिए बहुत दुखद था. डिप्टी लीडर प्रमोद तिवारी, मुकुल वासनिक जैसे सीनियर नेता वेल में आए. राज्यसभा के सभापति ने कहा कि मेरे लिए सबसे अधिक पीड़ादायक है उनका सदन के बाहर दिया गया स्टेटमेंट जो ट्विटर पर पड़ा हुआ है.
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सभापति ने कहा कि नेताओं को अनुकरणीय आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए. इस तरह का आचरण व्यवस्था के संरक्षकों का करना अत्यंत गंभीर है, मेरे लिए अधिक दुखद है. उन्होंने ये भी कहा कि जो कदम उठाने चाहिए, वह उठाए जा रहे हैं. हमारा ऑफिस एक्शन में है. सभापति ने विपक्ष के नेता से जुड़े मामले में जब यह बात कही, विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा की कार्यवाही से वॉकआउट कर दिया.
सदन के बाहर आकर खड़गे ने क्या कहा, जिस पर भड़क गए सभापति
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद बाहर आकर कहा कि हम NEET को लेकर नियम 267 के तहत सदन में चर्चा करके इससे पीड़ित लाखों युवाओं की आवाज उठाना चाहते थे. इसलिए हमने एक विशेष चर्चा के लिए कहा. हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते थे. हम केवल छात्रों के मुद्दों को उठाना चाहते थे लेकिन उन्होंने इसका मौका नहीं दिया, इस पर ध्यान ही नहीं दिया. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापतिजी से ये कहूंगा कि विपक्ष के प्रति उनका आज का सौतेला व्यवहार भारतीय संसद के इतिहास में दागी हो गया है.
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उच्च सदन में नेता विपक्ष ने आगे कहा कि सभापतिजी केवल सत्ता पक्ष की ओर देख रहे थे. उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए 10 मिनट तक हाथ उठाया, खड़ा हुआ, संसदीय गरिमा और नियमों का पालन किया. फ़िर भी उन्होंने सदन में विपक्ष के नेता की ओर नहीं देखा. उन्होंने कहा कि जब नेता विपक्ष नियमानुसार उनका ध्यान आकर्षित करता है तो उन्हें उसकी ओर देखना चाहिए लेकिन इसकी बजाय उन्होंने (सभापति ने) मुझे अपमानित करने के लिए जानबूझकर मुझे नजरअंदाज कर दिया. मुझे या तो अंदर जाना होगा या बहुत जोर से चिल्लाना होगा. इसलिए निश्चित रूप से कहूंगा कि यह सभापति साहब की गलती है.