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पुरानी संसद में बोले PM मोदी- इसे विदेशी शासकों ने बनाया था, लेकिन इसमें पैसा, परिश्रम और पसीना भारतीयों का लगा

पीएम मोदी ने कहा, आजादी के बाद संसद भवन के रूप में इसे पहचान मिली. ये सही है, इस इमारत के निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था. लेकिन ये बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना और परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था और पैसे भी हमारे देश के लगे थे. 

पीएम मोदी ने संसद के विशेष सत्र को किया संबोधित पीएम मोदी ने संसद के विशेष सत्र को किया संबोधित
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST

आज से संसद का विशेष सत्र शुरू हो गया. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सदन को संबोधित किया. पीएम मोदी ने कहा, नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ियों का स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है. हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं. आजादी से पहले ये सदन काउंसिल का स्थान हुआ करता था. आजादी के बाद संसद भवन के रूप में इसे पहचान मिली. ये सही है, इस इमारत के निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था. लेकिन ये बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना और परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था और पैसे भी हमारे देश के लगे थे. 

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पीएम मोदी ने कहा, 75 साल की यात्रा ने तमाम लोकतांत्रित प्रक्रियाओं का देश ने सृजन किया है. सदन में सक्रियता से योगदान भी दिया है और साक्षी भाव से देखा भी है. हम नए भवन में भले ही जाएंगे, लेकिन पुराना भवन भी आगे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा. ये भारत के लोकतंत्र  की स्वर्णिम यात्रा का अहम अध्याय है. 

पीएम मोदी ने कहा, भारत इस बात का गर्व करेगा कि जी-20 में भारत की अध्यक्षता के समय अफ्रीकन यूनियन जी-20 का सदस्य बना. भारत के भाग्य में अफ्रीकन यूनियन की अपेक्षाओं को पूरा करने का काम आया. ये भारत की ताकत है कि जी-20 समिट में घोषणा पत्र पर सहमति से हस्ताक्षर हुए. आपके नेतृत्व में दुनियाभर के जी-20 के सदस्य पी-20 की समिट को सरकार का पूरा समर्थन रहेगा और साथ रहेगा. हम सब के लिए ये गर्व की बात है कि भारत विश्व मित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया है. पूरा विश्व भारत में अपना मित्र खोज रहा है. 

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गरीब बच्चा संसद पहुंच गया- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, मैं पहली बार जब संसद का सदस्य बना, जब पहली बार सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया. इस संसद भवन के दरवाजे पर अपना शीश झुकाकर इस लोकतंत्र के मंदिर में श्रद्धा भाव से कदम रखा था. ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है. रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला गरीब बच्चा संसद पहुंच गया. मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि देश इतना आशीर्वाद देगा, इतना प्यार देगा, ये कभी सोचा नहीं था.

पीएम मोदी ने कहा, कोरोना काल में भी हमने देश का काम रुकने नहीं दिया. मास्क लगाकर आना पड़ता था. सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करते थे. सदन से सदस्यों का हमने लगाव देखा है. कोई पुराना सदस्य जो पहले रहा हो, वह सदन के सेंट्रल हॉल जरूर आता है. 

राष्ट्र सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ते रहा- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, ये राष्ट्र पूरे सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ते रहा. इस विश्वास के साथ की भले ही काले बादल होंगे, लेकिन हम आगे बढ़ते रहेंगे. किसका गौरव गान करने का ये अवसर है. इसी भवन में 2 साल 11 महीने तक संविधान सभा की बैठकें हुई हैं. संसद ने हमें मार्ग दर्शक जो आज भी हमें चलाता है, संविधान दिया. लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत ये है कि इस व्यवस्था के प्रति विश्वास अटूट रहे, विश्वास उनका बना रहे.

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पीएम मोदी ने कहा, जब देश ने तीन पीएम खोए, तब ये सदन आंसुओं से भर गया. अनेक चुनौतियों के बावजूद हर स्पीकर ने दोनों सदनों को सुचारू रूप से चलाया है. 

पीएम मोदी ने कहा, इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है, परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती है और हम यह सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है. उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है. 

संसद को बचाने के लिए गोलियां खाने वालों को किया नमन

पीएम मोदी ने कहा, आतंकी हमला हुआ, पूरे विश्व में ये हमला एक इमारत पर नहीं था. ये लोकतंत्र की मां, हमारी जीवात्मा पर ये हमला था. ये देश उस घटना को कभी भूल नहीं सकता है. लेकिन आतंकियों से लड़ते लड़ते सदन को बचाने के लिए और सदस्य को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोली झेली मैं उन्हें भी नमन करता हूं. वे हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बहुत बड़ी रक्षा की. 

पीएम मोदी ने पत्रकारों को किया याद

पीएम मोदी ने कहा, मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं. कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने जीवनभर संसद को ही कवर किया है. उन्होंने पल पल की जानकारी देश तक पहुंचाई है. वे अंदर की भी बात जनता तक पहुंचाते थे और अंदर से अंदर की भी बात पहुंचाते थे. मैंने देखा ऐसे पत्रकारों को जिन्होंने संसद को कवर किया, उनके नाम नहीं जाने जाते होंगे, लेकिन उनके योगदान को भूल नहीं सकते. पुराने मित्र मिल जाते हैं, वे तमाम ऐसी बातें बतातें हैं, जो अचरच वाली होती हैं. उन्होंने कलम के प्रति अहोभाव का भाव जगाया होगा. इन पत्रकार बंधुओं के लिए सदन छोड़ना भी भावुक पल होगा. कुछ पत्रकार ऐसे हैं, जिन्होंने हमसे ज्यादा यहां समय बिताया होगा. 

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पीएम मोदी ने कहा, बम की गूंज भी देश को भला चाहने वालों को सोने नहीं देती है. पंडिंत नेहरू को कई बातों के लिए याद किया जाता है. लेकिन ये वह सदन है, जहां पंडिंत नेहरू का स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट की गूंज रात में सोने नहीं देगी.  

पीएम मोदी ने कहा, नेहरू की सरकार में शामिल बाबा साहब अंबेडकर ने वॉटर पॉलिसी दी थी. बाबा साहब अंबेडकर का मानना था कि भारत का औद्योगिकी करण बहुत जरूरी है. 

पीएम मोदी ने कहा, 1965 के युद्ध लाल बहादुर शास्त्री ने देश के वीर जवानों को प्रेरणा इसी सदन से दी थी. हरित क्रांति की नींव भी इसी सदन से रखी गई थी. बांग्लादेश की आजादी भी इसी सदन से इंदिरा गांधी ने सुनिश्चित की थी. इसी सदन से इमरजेंसी भी देखी थी. ग्रामीण मंत्रालय का गठन इसी सदन से पीएम चौधरी चरण सिंह ने किया था.

अटल जी सरकार भी हमने इसी सदन से देगी. इसी सदन में मनमोहन सिंह की सरकार कैश फॉर वोट का कांड भी इसी सदन में देखा. लंबी समस्याओं का समाधान भी इसी सदन से हुआ. आर्टिकल 370 का समाधान भी इसी सदन से हुआ. जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन, गरीबों के लिए 10% आरक्षण भी इसी सदन में हुआ. भारत के लोकतंत्र में तमाम उतार चढ़ाव हमने देखे. ये सदन लोकतंत्र की ताकत है. जनविश्वास का बिंदू रहा है. इस सदन की ताकत देखिए, यह वही सदन है, जहां 4 सांसद वाली पार्टी सत्ता में होती थी, 100 सांसद वाली पार्टी विपक्ष में होती थी.

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पीएम मोदी ने कहा कि इसी सदन के सदस्यों ने कैंटीन में मिलने वाले खाने पर सब्सिडी को छोड़ दिया. इसी सदन के सांसदों ने कोरोना काल में अपनी सैलरी में कटौती की और देश के सामने आए संकट में बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाई. हम गर्व से कह सकते हैं कि ये सदस्य भी गर्व से कह सकते हैं कि हमने अपने ऊपर जनप्रतिनिधि कानून में समय समय पर परिवर्तन किए. आज का दिवस संसद के सदस्यों के गौरवगान का दिवस है. बहुत सी बातें ऐसी थीं, जो हरकिसी की ताली की हकदार थीं, लेकिन राजनीति उनमें भी आड़े आ गई. कौन ऐसा सदस्य होगा, जो नेहरू जी के गुणगान के समय ताली बचाने का मन न करे. मुझे पूरा विश्वास है कि आपके मार्गदर्शन में हम नई संसद में जाएंगे, तो नए विश्वास के साथ जाएंगे. 

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