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'चिराग ने पैर छुए तो लोगों को गलतफहमी हुई', बोले पशुपति पारस, हाजीपुर सीट छोड़ने को नहीं तैयार

पशुपति पारस से जब ये पूछा गया कि चिराग पासवान हाजीपुर सीट पर अपना दावा कर रहे हैं, वह इसे अपने दिवंगत पिता की कर्मभूमि कहते हैं, इस पर पारस ने कहा दिवंगत रामविलास पासवान मेरे भी भाई थे. उन्होंने कहा कि चिराग को याद रखना चाहिए कि मैं कभी भी लोकसभा चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं था. साथ ही कहा कि चिराग ने जब दिल्ली में NDA की मीटिंग में मेरे पैर छुए तो लोगों को गलतफहमी हो गई. ऐसा प्रचारित किया गया कि चाचा-भतीजे मिल गए, लेकिन ऐसा नहीं है. हमारा दल अलग है, चिराग का दल अलग है.

NDA की मीटिंग में जब भतीजे चिराग ने चाचा पशुपति के पैर छुए तो अटकलों का बाजार गर्म हो गया था (फाइल फोटो) NDA की मीटिंग में जब भतीजे चिराग ने चाचा पशुपति के पैर छुए तो अटकलों का बाजार गर्म हो गया था (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • पटना,
  • 22 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 9:12 PM IST

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगियों की दिल्ली में बैठक बुलाई गई थी. मौका था NDA के 25 साल पूरे होने का. इस दौरान पशुपति पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान आमने-सामने थे. भतीजे चिराग ने पैर छुए तो चाचा पशुपति ने चिराग को गले लगा लिया था. तब कहा जा रहा था कि चाचा-भतीजे के बीच सब कुछ सामान्य हो गया है, लेकिन अब केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि वह हाजीपुर से अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने अपने भतीजे चिराग पासवान को फटकार लगाई, जिन्होंने दिवंगत पिता राम विलास पासवान की लोकसभा सीट पर दावा किया था.

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अपनी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के हेडक्वार्टर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पशुपति पारस ने विश्वास दिलाया कि बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए इस सीट पर उनके दावे का समर्थन करेगा, न कि चिराग पासवान के दावे का. जो अभी तक गठबंधन का हिस्सा नहीं बने हैं. पारस ने कहा कि मैं एनडीए का हिस्सा हूं और इसमें कोई संदेह नहीं है. दूसरी ओर चिराग दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल हुए होंगे, लेकिन संसद में बुलाई गई गठबंधन के सांसदों की बैठक में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया. 

'चिराग ने छुए पैर तो लोगों को हुई गलतफहमी'

केंद्रीय मंत्री पारस ने यह भी कहा कि दिल्ली में मेरे भतीजे चिराग पासवान ने मेरे पैर छूए और मैंने उन्हें दिल से आशीर्वाद दिया था. ये बिहार और मिथिला क्षेत्र की संस्कृति का एक हिस्सा है, जहां से हम आते हैं. लेकिन इस बात को गलत ढंग से प्रचारित किया जा रहा है कि चाचा-भतीजा मिल गए. इस तरह की कोई बात नहीं है. उनका दल अलग है मेरा दल अलग है. 
 

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राज्यसभा जाने के सवाल पर कही ये बात

पारस ने उन खबरों को भी खारिज कर दिया कि जिसमें कहा जा रहा था कि वह राज्यसभा जा सकते हैं. पशुपति पारस ने कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे अगले चुनाव में हाजीपुर से चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती. ऐसी सभी खबरें बरसात के मौसम में मेंढकों की आवाज की तरह हैं. आप इन्हें सुन सकते हैं, क्योंकि यह चुनावी साल है, लेकिन ऐसी कहानियों में कोई दम नहीं है.

'रामविलास मेरे भाई भी थे'

जब पारस से पूछा गया कि चिराग हाजीपुर सीट पर अपना दावा कर रहे हैं, वह इसे अपने दिवंगत पिता की "कर्मभूमि" कहते हैं, जिन्होंने दशकों से यहां के लोगों की सेवा की. इस पर पारस ने कहा दिवंगत रामविलास पासवान मेरे भी भाई थे. उन्होंने कहा कि चिराग को याद रखना चाहिए कि मैं कभी भी लोकसभा चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं था. 

पशुपति ने याद किया पुराना किस्सा

रामविलास पासवान के निधन के कुछ महीने बाद कैबिनेट में शामिल किए गए केंद्रीय मंत्री पारस ने दावा किया कि जब मेरे भाई ने मुझे बताया कि वह चाहते हैं कि मैं हाजीपुर से लड़ूं, तो मैंने शुरू में अपनी अनिच्छा जाहिर की थी. मैंने उनसे कहा था कि इस सीट के लिए चिराग या उनकी मां (भाभी जी) के बारे में विचार करें, लेकिन मेरे भाई जिद पर अड़े रहे. पारस ने याद करते हुए कहा कि आखिरकार मैंने हार मान ली, क्योंकि मैंने कभी भी अपने भाई की अवज्ञा नहीं की. जब उन्होंने संसद जाने के लिए दशकों पहले अपनी अलौली विधानसभा सीट छोड़ दी, तो मैं उनके कहने पर अपनी सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़कर मैदान में उतर गया था. उन्होंने कहा कि मैंने अपने भाई के झंडे को लहराते हुए दशकों तक अलौली सीट का पालन-पोषण किया. यही कारण था कि वह चाहते थे कि मेरे अलावा कोई भी हाजीपुर से चुनाव न लड़ें. इसके अलावा मेरे भाई को इस बात का ध्यान था कि चिराग पहले से ही जमुई से सांसद हैं और उन्हें उस सीट पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

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