Advertisement

राहत के साथ-साथ चेतावनी भी... पवन खेड़ा को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी. खेड़ा के ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी करने का मामला दर्ज हुआ है. उनपर असम के साथ-साथ यूपी में भी दो केस दर्ज हुए हैं. इसी मामले में गुरुवार को असम पुलिस ने उनको दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था.

पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी (फाइल फोटो) पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:38 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. SC ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी, इसके बाद द्वारका कोर्ट ने उनको रिहा कर दिया. असम पुलिस ट्रांजिस्ट रिमांड के लिए उनको वहां लेकर पहुंची थी. फिलहाल मंगलवार तक उनको गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा. इस बीच खेड़ा को रेगुलर बेल के लिए अर्जी देनी होगी. पवन खेड़ा को गुरुवार को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त वह इंडिगो की फ्लाइट से रायपुर जा रहे थे. इसके बाद पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के खिलाफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

Advertisement

मामले पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की, जिसमें चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, एम आर शाह और पी एस नरसिम्हा शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट में पवन खेड़ा की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखी. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पर दिया गया खेड़ा का बयान स्लिप ऑफ टंग (गलती से कही गई बात) का मामला था, जिसके लिए खेड़ा ने तब ही माफी मांग ली थी.

दूसरी तरफ असम पुलिस ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने खेड़ा को गिरफ्तार किया है और वह ट्रांजिस्ट रिमांड चाहते हैं, जिसके लिए खेड़ा को द्वारका कोर्ट लेकर जाया गया है. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने खेड़ा को राहत और चेतावनी दोनों दी. दोनों पक्षों की बातें सुनकर कोर्ट ने जो फैसला दिया, उसकी बड़ी बातें नीचे पढ़ें

- सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को मंगलवार तक की अंतरिम जमानत दी. इस बीच उनको रेगुलर बेल के लिए अप्लाई करना होगा. फिर रेगुलर बेल पर सुनवाई करते वक्त कोर्ट दलीलों को सुनकर तय करेगा कि रेगुलर बेल दी जाए या नहीं.

Advertisement

- कांग्रेस ने यह मांग भी की थी कि खेड़ा पर दर्ज सभी FIR को मर्ज करके रद्द कर दिया जाए. इसपर कोर्ट ने कहा कि मौजूदा स्टेज पर FIR को रद्द नहीं किया जा सकता. बस उसको दूसरी FIR के साथ मर्ज किया जा सकता है.

- बयान के खिलाफ पवन खेड़ा पर दो राज्यों में केस दर्ज हुए थे. इसमें लखनऊ, बनारस और असम शामिल है. कांग्रेस की मांग थी कि सभी मामलों को क्लब करके एकसाथ इनपर सुनवाई होनी चाहिए. कोर्ट ने इसकी रजामंदी देते हुए तीनों FIR को क्लब कर दिया. कोर्ट ने यह ऑर्डर देते हुए यूपी और असम पुलिस को नोटिस भी जारी किया. यह निर्देश देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सभी एफआईआर के एक राज्य में निर्धारित कर देते हैं. ताकि वह राहत के लिए हाईकोर्ट जा सकें. अब सोमवार को कोर्ट यह तय करेगा कि इन क्लब FIR पर सुनवाई दिल्ली, यूपी-NCR या असम में से कहां हो.

- सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की तरफ से खेड़ा को चेतावनी दी गई. चीफ जस्टिस ने खेड़ा के वकील सिंघवी से कहा कि हमने आपको संरक्षण (गिरफ्तारी से) दिया है. लेकिन बातचीत-बयानबाजी का भी कुछ स्तर होना चाहिए. इसपर सिंघवी ने कहा कि हां हम भी इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करता हूं. सिंघवी ने कहा कि दरअसल कन्फ्यूजन था कि असल नाम दामोदर दास है या कुछ और. मैं खुद टीवी पर बैठता हूं मैं मानता हूं कि ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था.

Advertisement

पवन खेड़ा पर किन धाराओं के तहत केस?

असम पुलिस ने पवन खेड़ा पर कई IPC की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था. इसमें 500 (मानहानि), 504 (अपमानित करना), 505 (1) फर्जी खबर फैलाना, 505 (2) समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करना, 120B (आपराधिक साजिश), 153A (माहौल बिगाड़ना), 153B(1) (देश की एकता पर चोट) शामिल है. इसमें दोषी पाए जाने पर खेड़ा को 3 से 5 साल की सजा हो सकती है.

क्या था मामला?

पवन खेड़ा ने कुछ दिन पहले गौतम अडानी के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इस दौरान उन्होंने कहा था, अगर अटल बिहारी वाजपेयी जेपीसी बना सकते हैं तो नरेंद्र 'गौतम दास' मोदी को क्या दिक्कत है? हालांकि बयान देने के बाद खेड़ा ने अपने आसपास मौजूद लोगों से पूछा कि क्या उन्होंने प्रधानमंत्री का मिडिल नेम सही पुकारा है? खेड़ा ने इस पर कहा कि 'नरेंद्र गौतम दास मोदी को क्या समस्या है?' कांग्रेस नेता ने बाद में पूछा, 'क्या यह गौतम दास या दामोदर दास है?' इस दौरान पवन हंसते हैं और यह कहते हुए तंज करते हैं कि भले ही नाम दामोदर दास है, लेकिन उनके काम गौतम दास के समान हैं. बाद में एक ट्वीट में खेड़ा ने स्पष्ट किया कि वह वास्तव में प्रधानमंत्री के नाम को लेकर भ्रमित थे.

Advertisement

अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान असम पुलिस के वकील ने यह वीडियो दो-तीन बार चलाया. दिखाने की कोशिश हुई कि खेड़ा ने यह बात गलती से नहीं बल्कि सोचे-समझे तरीके से कही थी.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement