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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पवन खेड़ा की रिहाई, बोले- मेरा संघर्ष जारी रहेगा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को जमानत मिल गई है. खेड़ा को गिरफ्तार करने के बाद असम पुलिस ने उनको द्वारका कोर्ट में पेश किया था. यहीं से उनको बेल पर छोड़ दिया गया है. पुलिस खेड़ा को अपने साथ असम ले जाना चाहती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा.

पवन खेड़ा को मिली अंतरिम जमानत (फाइल फोटो) पवन खेड़ा को मिली अंतरिम जमानत (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:48 PM IST

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को जमानत मिल गई है. उनको द्वारका कोर्ट ने 30 हजार रुपये के मुचलके पर बेल दी है. पवन खेड़ा को ये जमानत सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दी थी. बता दें कि खेड़ा को दिल्ली एयरपोर्ट से असम पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उनपर पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है. इस मामले में खेड़ा के खिलाफ असम के साथ-साथ यूपी के लखनऊ और वाराणसी में भी FIR दर्ज हुई थी.

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कोर्ट से बाहर आने के बाद पवन खेड़ा ने कहा कि मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. सच की जो लड़ाई है, उसमें संघर्ष करना पड़ता है. मैं लोकतंत्र को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा. अपने ऊपर हुए केस पर सवाल किए जाने पर खेड़ा ने कहा कि मैं इसपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.

क्या था मामला?

पवन खेड़ा को गुरुवार को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. तब वह इंडिगो की फ्लाइट से रायपुर जा रहे थे. इसके बाद पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के खिलाफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी. अब मंगलवार तक उनको गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा. मंगलवार से पहले खेड़ा को रेगुलर बेल के लिए अर्जी देनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट में पवन खेड़ा की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखी थी. सिंघवी ने कहा कि पीएम मोदी पर दिया गया खेड़ा का बयान स्लिप ऑफ टंग (गलती से कही गई बात) का मामला था, जिसके लिए खेड़ा ने तब ही माफी मांग ली थी.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

- सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को मंगलवार तक की अंतरिम जमानत दी. इस बीच उनको रेगुलर बेल के लिए अप्लाई करना होगा. फिर रेगुलर बेल पर सुनवाई करते वक्त कोर्ट दलीलों को सुनकर तय करेगा कि रेगुलर बेल दी जाए या नहीं.

- कांग्रेस ने यह मांग भी की थी कि खेड़ा पर दर्ज सभी FIR को मर्ज करके रद्द कर दिया जाए. इसपर कोर्ट ने कहा कि मौजूदा स्टेज पर FIR को रद्द नहीं किया जा सकता. बस उसको दूसरी FIR के साथ मर्ज किया जा सकता है.

- बयान के खिलाफ पवन खेड़ा पर दो राज्यों में केस दर्ज हुए थे. इसमें लखनऊ, बनारस और असम शामिल है. कांग्रेस की मांग थी कि सभी मामलों को क्लब करके एकसाथ इनपर सुनवाई होनी चाहिए. कोर्ट ने इसकी रजामंदी देते हुए तीनों FIR को क्लब कर दिया. कोर्ट ने यह ऑर्डर देते हुए यूपी और असम पुलिस को नोटिस भी जारी किया. यह निर्देश देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सभी एफआईआर के एक राज्य में निर्धारित कर देते हैं. ताकि वह राहत के लिए हाईकोर्ट जा सकें. अब सोमवार को कोर्ट यह तय करेगा कि इन क्लब FIR पर सुनवाई दिल्ली, यूपी-NCR या असम में से कहां हो.

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- सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की तरफ से खेड़ा को चेतावनी दी गई. चीफ जस्टिस ने खेड़ा के वकील सिंघवी से कहा कि हमने आपको संरक्षण (गिरफ्तारी से) दिया है. लेकिन बातचीत-बयानबाजी का भी कुछ स्तर होना चाहिए. इसपर सिंघवी ने कहा कि हां हम भी इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करता हूं. सिंघवी ने कहा कि दरअसल कन्फ्यूजन था कि असल नाम दामोदर दास है या कुछ और. मैं खुद टीवी पर बैठता हूं मैं मानता हूं कि ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था.

पवन खेड़ा पर किन धाराओं के तहत केस?

असम पुलिस ने पवन खेड़ा पर कई IPC की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था. इसमें 500 (मानहानि), 504 (अपमानित करना), 505 (1) फर्जी खबर फैलाना, 505 (2) समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करना, 120B (आपराधिक साजिश), 153A (माहौल बिगाड़ना), 153B(1) (देश की एकता पर चोट) शामिल है. इसमें दोषी पाए जाने पर खेड़ा को 3 से 5 साल की सजा हो सकती है.

क्या था मामला?

पवन खेड़ा ने कुछ दिन पहले गौतम अडानी के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इस दौरान उन्होंने कहा था, अगर अटल बिहारी वाजपेयी जेपीसी बना सकते हैं तो नरेंद्र 'गौतम दास' मोदी को क्या दिक्कत है? हालांकि बयान देने के बाद खेड़ा ने अपने आसपास मौजूद लोगों से पूछा कि क्या उन्होंने प्रधानमंत्री का मिडिल नेम सही पुकारा है? खेड़ा ने इस पर कहा कि 'नरेंद्र गौतम दास मोदी को क्या समस्या है?' कांग्रेस नेता ने बाद में पूछा, 'क्या यह गौतम दास या दामोदर दास है?' इस दौरान पवन हंसते हैं और यह कहते हुए तंज करते हैं कि भले ही नाम दामोदर दास है, लेकिन उनके काम गौतम दास के समान हैं. बाद में एक ट्वीट में खेड़ा ने स्पष्ट किया कि वह वास्तव में प्रधानमंत्री के नाम को लेकर भ्रमित थे.

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