
पेगासस जासूसी (Pegasus Spying) मामले को लेकर जारी विवाद के बीच आईटी मामलों की संसदीय कमेटी के प्रमुख शशि थरूर का अहम बयान सामने आया है. शशि थरूर का कहना है कि उनकी कमेटी के पास अधिक ताकत होती है, ऐसे में वह इस मामले में किसी को भी समन कर सकते हैं. किसी को बुलाने के लिए जेपीसी जांच की जरूरत भी नहीं है.
शशि थरूर का ये बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि विपक्ष की कई पार्टियों द्वारा इस मामले में ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) जांच की मांग की जा रही है. कांग्रेस, टीएमसी समेत अन्य पार्टियों ने सदन में इस मसले को उठाया है.
ऐसे में शशि थरूर (Shashi Tharoor) के बयान से संकेत साफ है कि आईटी मामले की संसदीय कमेटी आने वाले दिनों में पेगासस मामले को लेकर एक्शन ले सकती है.
बता दें कि कमेटी के पास मंत्रालय के अधिकारियों, किसी कंपनी के प्रमुख समेत अन्य लोगों से पूछताछ करने का अधिकार होता है. हाल ही में ट्विटर समेत अन्य सोशल प्लेटफॉर्म से कई मसलों पर इस कमेटी ने सवाल किए हैं.
संसद में जारी है पेगासस मामले पर बवाल
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान पेगासस जासूसी मामले पर हंगामा बरकरार है. संसद के दोनों सदनों में विपक्ष द्वारा इसको लेकर हंगामा किया जा रहा है, इसी हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित भी कर दी गई है.
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि सरकार की ओर से विपक्षी नेताओं, पत्रकारों की जासूसी करवाई गई है. जबकि सरकार ने इन आरोपों को नकार दिया है. केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव इस मामले पर लोकसभा में बयान दे चुके हैं, जबकि गुरुवार को वह राज्यसभा में बयान देंगे.
गौरतलब है कि कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत समेत कई देशों ने इज़रायल के पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर अपने यहां के नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों की जासूसी करवाई थी. भारत में राहुल गांधी समेत कई नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों के फोन को निशाना बनाया गया था.