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Personal Data Protection Draft Bill क्या है, विपक्ष की कौन सी आपत्तियां हैं?

दो साल बाद संयुक्त संसदीय समिति ने Personal Data Protection Draft Bill को मंजूरी तो दे दी, लेकिन कई सांसदों ने असहमति भी जताई है. सांसदों ने प्रस्तावित कानून में जांच एजेंसियों को छूट देने का विरोध किया है.

इस बिल को दिसंबर 2019 में जेपीसी के पास भेजा गया था. (फाइल फोटो) इस बिल को दिसंबर 2019 में जेपीसी के पास भेजा गया था. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:37 PM IST
  • डेटा प्रोटेक्शन ड्राफ्ट बिल पर अब भी असहमति
  • जांच एजेंसियों को छूट देने का विरोध कर रहे सांसद

Personal Data Protection Draft Bill Explainer: संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के ड्राफ्ट को मंजूर कर लिया. दो साल से ये ड्राफ्ट समिति के पास था. बीजेपी सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति ने इसे मंजूरी दी. इस बिल को 2019 में संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था. हालांकि, अब भी विपक्ष ने इस पर आपत्ति जताई है. 

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कांग्रेस सांसद जयराम रमेश समेत कांग्रेस के 4 सांसदों ने बिल के ड्राफ्ट पर असहमति जताई है. उनके अलावा तृणमूल कांग्रेस के 2 और बीजू जनता दल के एक सांसद ने भी इस पर आपत्ति जताई है.

किन-किन सांसदों ने जताई असहमति?

- इस बिल के ड्राफ्ट पर जयराम रमेश के अलावा कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, गौरव गोगोई और विवेक तन्खा ने असहमति जताई है. उनके अलावा टीएमसी के डेरेक ओ'ब्रायन, महुआ मोइत्रा और बीजेडी के अमर पटनायक ने भी असहमति जाहिर की है.

बिल के ड्राफ्ट में क्या है?

- ये बिल केंद्र सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को प्रस्तावित कानून के प्रावधानों से बाहर रखने की इजाजत देता है. 

- किसी भी अपराध को रोकने या जांच के लिए केंद्रीय एजेंसियां पर्सनल डेटा को एक्सेस कर सकती हैं. इस बिल में सीबीआई, ईडी जैसी सभी केंद्रीय एजेंसियों को छूट देने का प्रावधान है. कुल मिलाकर जांच एजेंसियों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है. 

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विपक्ष को क्यों है आपत्ति?

- इस ड्राफ्ट बिल का विरोध करने वाले सांसदों का कहना है कि केंद्र सरकार कैसे बिना संसद की अनुमित के केंद्रीय एजेंसी को इस कानून के प्रावधानों से छूट दे सकती है. 

-  कुछ सांसदों का ये भी कहना है कि केंद्र सरकार कानून के दायरे से जांच एजेंसियों को बाहर रखकर उन्हें 'बेहिसाब ताकत' दे रही है. उन्होंने सुझाव दिया था ताकत देने वाले से पहले संसदी की मंजूरी होनी चाहिए ताकि दुरुपयोग से बचा जा सके.

- इसके साथ ही कुछ सांसदों ने इस मुद्दे को भी उठाया है कि इस बिल में उल्लंघन करने वाले टेक कंपनियों पर कम जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

सरकार का क्या है कहना?

इस संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद पीपी चौधरी थे. पीपी चौधरी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि राष्ट्र के हित में सरकार और उसकी एजेंसियां किसी भी व्यक्ति का पर्सनल डेटा निकाल सकती हैं और इसके लिए उस व्यक्ति की सहमति की जरूरत भी नहीं होगी. उन्होंने बताया कि जेपीसी को 93 सुझाव मिले थे. उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट बिल की ये रिपोर्ट सभी सदस्यों और स्टेकहोल्डर के सुझावों के आधार पर तैयार की गई है. 

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