
वक्फ संशोधन बिल 2024 को लेकर अध्यक्ष जमीयत उलमा-ए-हिंद मौलाना अरशद मदनी के विशेष निर्देश पर जमीयत उलमा के सदस्य सभी विपक्षी दलों के नेता और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्यों से लगातार मिल रहे हैं. इन मुलाकातों के दौरान जमीयत के सदस्य इस बिल के हानिकारक संशोधनों को चिह्नित करते हुए यह बताने की कोशिश भी कर रहे हैं कि बिल पारित होने की स्थिति में मुसलमानों पर इसके क्या हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं. किस तरह इस प्रकार के कानून की आड़ में मुसलमानों को उनकी वक्फ संपत्तियों से वंचित किया जा सकता है.
यह मुलाकातें राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर चल रही हैं. इसी संबंध में पिछले दिनों जमीयत उलमा महाराष्ट्र का एक प्रतिनिधि मंडल जेपीसी में सदस्य के रूप में शामिल एनसीपी नेता बाल्य मामा महात्रे और शिवसेना सांसद अरविंद सावंत से मुंबई में मुलाकात की. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलमा-ए-हिंद का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से भी मुलाकात कर रहा है. बिहार समेत अन्य राज्यों में भी जमीयत उलमा के सदस्य राजनीतिक दलों के नेताओं और जेपीसी के सदस्यों से मुलाकात करके प्रस्तावित बिल की खामियों और इसकी हानिकारक धाराओं के बारे में बता रहे हैं.
इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि संशोधनों के जो विवरण सामने आए हैं, उसने हमारी इस आशंका को यक़ीन में बदल दिया है कि वक्फ के सम्बंध में सरकार की नीयत ठीक नहीं है. संशोधन के नाम पर जो नया बिल लाया गया है उसका उद्देश्य वक्फ संपत्ति की सुरक्षा नहीं बल्कि मुसलमानों की इस महान विरासत से वंचित कर देना है जो उनके पूर्वज ग़रीब, बेसहारा और जरूरतमंद मुसलमानों के उत्थान एवं कल्याण के लिए छोड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि यह बिल हमारे धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप और एक बड़ी साज़िश है.
उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान हर प्रकार का नुक़सान सह सकता है लेकिन अपनी शरीयत में हस्तक्षेप कदापि नहीं बर्दाश्त कर सकता. दूसरी बात यह कि यह बिल मुसलमानों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों पर भी आघात है. देश के संविधान ने हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता के साथ अपनी धार्मिक आस्था और नियमों का स्वतंत्र रूप से पालन करने का अधिकार दिया है.वर्तमान सरकार संविधान में दी गई इस धार्मिक स्वतत्रंता को विभिन्न प्रकार के कानून बनाकर छीनना चाहती है.