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सीबीएसई के बच्चों की एग्जाम फीस माफ करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका

देश भर में सीबीएसई के स्कूलों में कक्षा 10वीं और 12वीं में पढ़ रहे 30 लाख बच्चों की एग्जाम फीस को माफ करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. इन 30 लाख बच्चों में से अकेले दिल्ली में ही 10वीं और 12वीं के 3 लाख बच्चे सीबीएसई बोर्ड से इस बार परीक्षा में बैठने वाले हैं.

सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका (प्रतीकात्मक तस्वीर) सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका (प्रतीकात्मक तस्वीर)
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 08 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:51 PM IST
  • सीबीएसई की एग्जास फीस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका
  • याचिका में एग्जाम फीस को इस बार माफ करने की अपील की गई
  • इससे पहले यही याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में भी लगाई गई थी

देश भर में सीबीएसई के स्कूलों में कक्षा 10वीं और 12वीं में पढ़ रहे 30 लाख बच्चों की एग्जाम फीस को माफ करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. इन 30 लाख बच्चों में से अकेले दिल्ली में ही 10वीं और 12वीं के 3 लाख बच्चे सीबीएसई बोर्ड से इस बार परीक्षा में बैठने वाले हैं.

इस याचिका में कहा गया है कि या तो दिल्ली में केजरीवाल सरकार एग्जाम फीस को खुद भरे और बाकी देश के और इलाकों में केंद्र सरकार पीएम केअर्स फंड की मदद से 10वीं और 12वीं के बच्चों की एग्जाम फीस को भरें. या फिर सीबीएसई इस साल दसवीं और बारहवीं के बच्चों की एग्जाम फीस को माफ कर दे.

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इससे पहले याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में लगाई गई थी लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका पर कोई आदेश देने के बजाय जनहित याचिका को रिप्रेजेंटेशन के तौर पर लेने के सीबीएसई, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे, लेकिन छात्रों के अभिभावकों को किसी तरह की कोई राहत न मिलने के बाद याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं दिखे और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इस याचिका पर अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने की उम्मीद है.

सोशल जुरिस्ट की तरफ से वकील अशोक अग्रवाल द्वारा लगाई गई इस याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन और कोरोना वायरस कोरोना महामारी के चलते प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावकों की स्थिति इतनी खराब है कि वो बच्चों की फीस भरने में भी असमर्थ हैं. अशोक अग्रवाल ने बताया है कि तमाम अभिभावकों ने उनको चिट्ठियां लिखी हैं और अपनी आर्थिक खस्ताहाल स्थिति के बारे में भी बताया है. सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए एग्जाम फीस को जमा करने की आखिरी तारीख 15 अक्टूबर तय की गई है.

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याचिका को लगाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया है कि 2 साल पहले सीबीएसई ने एग्जाम फीस को 300 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया था. पिछले साल भी सीबीएसई ने एग्जाम फीस को 500 रुपये से तीन गुना बढ़ाकर 1500 सौ रुपए कर दिया था. ऐसे में याचिका में सीबीएसई पर यह सवाल खड़ा किया गया है कि एग्जाम फीस जब पिछले साल की तुलना में तीन गुना बढ़ा दी गई है तो इस साल कोरोना और लॉकडाउन में फीस बढ़ाना कैसे तर्कसंगत है.

याचिका में बताया गया है कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले अभिभावकों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है वो अपने दैनिक खर्चे भी नहीं उठा पा रहा है. अलग-अलग जगहों से स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों ने अशोक अग्रवाल को पत्र लिखे हैं और बताया है कि वह स्कूलों की फीस भरने तक में सक्षम नहीं हैं. ऐसी स्थिति में एग्जाम फीस का एक और अतिरिक्त बोझ अभिभावकों पर डालना इस वक्त ठीक नहीं होगा.

अशोक अग्रवाल ने बताया कि सीबीएसई के पास पहले से ही फंड की कोई कमी नहीं है. ऐसे में एग्जाम फीस को इस साल पूरी तरह से माफ करके पिछले सालों में सीबीएसई द्वारा इकट्ठे किए गए सरप्लस फंड को इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इसके अलावा सीबीएसई इस खर्चे को केंद्र सरकार के माध्यम से पीएम केअर्स फंड से भी मांग सकती है. इसके अलावा दिल्ली में सरकारी स्कूलों के मार्च से ही बंद होने के कारण इस बार बहुत सारी मदों में खर्च होने वाला दिल्ली सरकार का पैसा बच गया है. मसलन टीचर ट्रेनिंग से लेकर मिड-डे-मील, स्पोर्ट्स पर खर्च होने वाले पैसे से लेकर बच्चों की ड्रेस का पैसा इस साल पूरी तरह से बच गया है. ऐसे में इस पैसे का इस्तेमाल दिल्ली सरकार सीबीएसई को एग्जाम फीस के तौर पर देकर कर सकती है.

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