
सभी धर्मों के युवकों और युवतियों की शादी की उम्र 21 साल करने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. सभी धर्मों में शादी की उम्र समान किए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर अब अगले सप्ताह सुनवाई होगी.
इस मामले में राजस्थान और दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं को उच्चतम न्यायालय में ट्रांसफर करने की मांग की गई है. इस बाबत केंद्र से जवाब तलब किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा इसलिए किया है ताकि इस मुद्दे पर अलग अलग विचार की स्थिति पैदा न हो जाए.
चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने वरिष्ठ वकील गीता लूथरा के प्रतिवेदन पर संज्ञान लिया है. उन्होंने कहा था कि इस तरह की दो याचिकाएं हाई कोर्ट में लंबित हैं और उन्हें इस मुद्दे पर एक आधिकारिक आदेश के लिए शीर्ष अदालत में स्थानांतरित किया जा सकता है. बता दें कि गीता लूथरा यहां वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश हुई हैं.
बता दें कि अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में लड़के और लड़की के विवाह की न्यूनतम उम्र 21 साल करने की मांग की गई है.
अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर अगस्त 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और भारत के विधि आयोग को नोटिस जारी किया था.
इसी मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने केंद्र ये जवाब तलब किया था. ये याचिका अब्दुल मन्नान नाम के शख्स के द्वारा दायर की गई थी.
बता दें कि अभी देश में लड़कियों के लिए शादी की न्यूनत्तम उम्र 18 है, जबकि लड़कों की न्यूनत्तम उम्र 21 साल है.
इससे पहले भी हाई कोर्ट ने शादी के लिए पुरुष और महिला की उम्र समान करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.