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'गुवाहाटी से लौटें बागी MLAs, संवैधानिक जिम्मेदारी निभाएं', बॉम्बे HC में याचिका

जनहित याचिका में कहा कि इस PIL का किसी राजनीतिक नेता या पार्टी के विद्रोह से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन यह राज्य में निरंतर राजनीतिक अस्थिरता से संबंधित है. इस घटनाक्रम की वजह से नागरिकों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है.
विद्या
  • मुंबई,
  • 27 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST
  • हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इंकार किया
  • याचिका में कहा- राजनीतिक संकट से असुरक्षा की भावना बढ़ी

बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. इसमें 6 दिन से गुवाहाटी में डटे बागी विधायकों को वापस मुंबई लौटने के आदेश देने की मांग की है. याचिका में ये भी कहा गया है कि कोर्ट इन विधायकों को फिर से काम शुरू करने के लिए आदेश दे. चुने हुए जनप्रतिनिधियों को भागने की बजाय संवैधानिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए.

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हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि सुनवाई के लिए बाद में तारीख दी जाएगी. याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट चल रहा है. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायक गुवाहाटी में डेरा डाले हैं. इन विधायकों को तुरंत महाराष्ट्र में लौटने का निर्देश दिए जाए.

सुशासन का अनादर करने वालों पर कार्रवाई हो

अधिवक्ता असीम सरोदे और अजिंक्य उडाने के जरिए ये जनहित याचिका दायर की गई है. बुलढाणा से लेकर ठाणे, मुंबई और पुणे तक के रहने वाले लोगों ने याचिका दायर की है. इसमें कहा है कि जन अधिकारों और सुशासन के प्रति अनादर दिखाने के लिए बागी विधायकों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए. 

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नागरिकों में बढ़ रही असुरक्षा की भावना

इस याचिका का किसी राजनीतिक नेता या पार्टी के विद्रोह से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन यह राज्य में निरंतर राजनीतिक अस्थिरता से संबंधित है. इस घटनाक्रम की वजह से नागरिकों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है. याचिका में कहा गया है कि देश और प्रदेश को गंदी राजनीति देखने को मिल रही है. 

राजनीतिक नाटक दिखाने के लिए नहीं चुना था

राजनीतिक नेताओं का एक ग्रुप और निर्वाचित प्रतिनिधियों का ग्रुप या एक राजनीतिक दल सत्ता हथियाने और अपने प्रतिद्वंद्वियों को सबक सिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. नागरिकों ने इस तरह के राजनीतिक नाटक और सार्वजनिक अधिकारों की उपेक्षा के लिए नेताओं को नहीं चुना है.

सार्वजनिक उपद्रव करने पर दंडित किया जाए

याचिका में भारतीय दंड संहिता की धारा 268 (सार्वजनिक उपद्रव पर दंडित करना) का जिक्र किया गया है और दावा किया है कि इस राजनीतिक उपद्रव को माफ नहीं किया जा सकता है. ये जनता को भी प्रभावित करता है. कोर्ट को इस 'कानून के सवाल' की पृष्ठभूमि में फैसला करना चाहिए. इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि बागी विधायकों में ज्यादातर कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे समेत मौजूदा मंत्री हैं, जिनके पास शहरी विकास विभाग (यूडीडी) है.

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बारिश के बीच जिम्मेदारी छोड़कर भागे मंत्री

मंत्री अपने व्यवहार में संवैधानिक नैतिकता को बनाए रखने और नागरिकों की भलाई के लिए काम करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं. हालांकि, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि बरसात के मौसम में जब अधिकांश शहरी क्षेत्रों में कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है, तब यूडीडी मंत्री 37 विधायकों के साथ भाग गए हैं. उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी थी. इस तरह का आचरण जनता के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है. 

किसानों को भी ध्यान में नहीं रखा...

याचिका में कहा गया है कि हालांकि बागी ग्रुप में शामिल होने वाले विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. अंत में कहा गया है कि वर्तमान सीजन किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और संबंधित कृषि मंत्री को कई फैसले लेने हैं लेकिन दुर्भाग्य से मौजूदा मंत्री दादा भुसे गुवाहाटी में हैं.

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