
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबेनट का विस्तार (Cabinet Reshuffle) हो चुका है. किसको क्या मंत्रालय मिले, यह भी साफ हो गया है. कैबिनेट में जगह पाने वाले नेताओं में से डॉ एल मुरुगन (Dr L Murugan) और सर्बानंद सोनेवाल (sarbananda sonowal) खास वजह से चर्चा में बने हुए हैं. दरअसल, दोनों ही संसद के किसी सदन का हिस्सा नहीं हैं. डॉ एल मुरुगन तमिलनाडु में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हैं, वहीं सर्बानंद सोनेवाल असम के पूर्व सीएम और अब विधायक हैं.
डॉ एल मुरुगन को मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री, और सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है. तमिलनाडु में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी दो दशक बाद चार सीट जीतने में सफल रही थी, माना जा रहा है कि इसी के पुरस्कार स्वरूप मुरुगन को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिली है.
तमिलनाडु में डॉ एल मुरुगन ने किया था कमाल
मुरुगन जब मार्च 2020 में बीजेपी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष बने थे तब उनके पास विधानसभा चुनाव की तैयारी करने के लिए मुश्किल से एक साल का समय था. मार्च 2020 में डॉ तमिलिसाई सुंदरराजन को तेलंगाना का गर्वनर बनाए जाने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का यह पद खाली हुआ था, जिसपर डॉ एल मुरुगन को लाया गया.
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राज्य में द्रविड़ विचारधारा की गहरी जड़ों के चलते हिन्दुत्व को आगे रखने वाली पार्टी का नेतृत्व करना मुरुगन के लिए कोई आसान काम नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत जरूरत पड़ने पर ‘सॉफ्ट द्रविड़ विचारधारा’ को अपनाने में झिझक नहीं दिखाई और इसके साथ ही अपनी पार्टी के राष्ट्रवाद को भी बरकरार रखा. चुनाव में मुरुगन खुद भी बहुत कम मतों के अंतर से हारे थे. वह धारापुरम (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र से 1,393 मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव हार गए थे.
तमिलनाडु के नामक्कल जिला निवासी 44 वर्षीय अधिवक्ता मुरुगन प्रदेश बीजेपी प्रमुख बनने से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष थे. उन्हें अब बीजेपी शासित किसी राज्य से राज्यसभा के लिए निर्वाचित किए जाने की उम्मीद है. कानून में स्नातकोत्तर मुरुगन ने मानवाधिकार कानूनों में डॉक्टरेट की है.
मोदी कैबिनेट में सोनेवाल की इसलिए वापसी
सर्बानंद सोनेवाल (Sarbananda Sonowal) को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में दूसरी बार जगह मिली है. वह असम में छात्र राजनीति से होकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे. इस बार सोनेवाल को बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री, आयुष मंत्री बनाया गया है. पिछले दिनों हुए चुनाव में जीत के बाद हिमंत बिस्व सरमा को असम का मुख्यमंत्री बनाया गया. यह साफ संकेत था कि सोनेवाल की मंत्रिपरिषद में वापसी होगी.
असम के मुख्यमंत्री के तौर पर उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन के दौरान सामने आई थी, जिसमें ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के उनके पूर्व साथी उनके खिलाफ हो गए थे. सोनेवाल का राजनीति में प्रवेश आसू में शामिल होने के साथ शुरू हुआ. इसमें उन्होंने 1992 से 1999 तक अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. वह आसू से 2001 में असम गण परिषद में शामिल हो गए, जिसकी स्थापना छात्रों के संगठन में उनके सीनियरों ने की थी और 2001 में वह ऊपरी असम के मोरन निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के विधायक चुने गए.
सोनेवाल ने पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेदों के बाद जनवरी 2011 में एजीपी छोड़ दी थी. फिर फरवरी 2011 में वह बीजेपी में शामिल हुए. अगले साल 2012 में उन्हें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. 2014 के संसदीय चुनावों में पार्टी के सात सांसदों की जीत का श्रेय उनको ही दिया जाता है.
(अक्षया नाथ के इनपुट के साथ)