
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की किताब में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को लेकर कई बड़े खुलासे किए गए हैं. उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार उर्जित पटेल को 'पैसे के ढेर पर बैठने वाला सांप'कहा था.
गर्ग ने अपनी आगामी किताब, जिसका शीर्षक 'वी आल्सो मेक पॉलिसी' है, में खुलासा किया है कि उर्जित पटेल के खिलाफ पीएम मोदी ने यह टिप्पणी 14 सितंबर 2018 को एक आर्थिक समीक्षा बैठक में की थी.
सरकार और RBI के बीच थे तनावपूर्ण संबंध
गर्ग की इस किताब के कुछ अंश एक अखबार में प्रकाशित किए गए हैं. इसमें उर्जित पटेल के इस्तीफे तक की बैठक और घटनाओं का विवरण दिया गया है. इस किताब में तब की सरकार और आरबीआई के बीच तनावपूर्ण संबंधों पर प्रकाश डाला गया है. इसे अक्टूबर में रिलीज किया जाएगा.
पीएम मोदी ने व्यक्त की थी निराशा
किताब के मुताबिक 14 सितंबर 2018 की बैठक में पीएम मोदी ने आर्थिक स्थिति की समीक्षा के दौरान निराशा व्यक्त की थी. लगभग दो घंटे चले इस बैठक में उर्जित पटेल ने सिफारिशें प्रस्तुत कीं, यह सिफारिशें सरकार पर केंद्रित थीं, आरबीआई के लिए चल रहे प्रयासों के अलावा कोई प्रस्तावित कार्रवाई नहीं थी.
कोई कदम उठाने को नहीं थे तैयार!
गर्ग की किताब के मुताबिक,'पटेल ने कुछ सिफारिशें पेश कीं. इसमें कहा गया कि सब कुछ सरकार को करना है. आरबीआई का फोकस उस पर ही है, जिसे वह पहले स ही काम कर रहा है. गर्ग का कहना है कि पटेल की धारणा से ऐसा लग रहा था कि वह आरबीआई स्थिति को प्रभावी ढंग से संबोधित नहीं कर रहे हैं और आर्थिक चुनौतियों से निपटने या सरकार के साथ मतभेदों को हल करने के लिए कोई कदम उठाने को तैयार नहीं हैं.'
बोर्ड बैठक बुलाने का किया गया था आग्रह
इस बैठक के दौरान ही पीएम मोदी ने की उर्जित पटेल की तुलना 'पैसे के ढेर पर बैठने वाले सांप' से करने वाली टिप्पणी की. पीएम मोदी ने बिना किसी अनिश्चित शब्दों के पटेल से आग्रह किया कि वह एक बोर्ड बैठक बुलाएं और मौजूदा मुद्दों का समाधान खोजने के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली और वित्त टीम के साथ परामर्श करके काम करें.
सरप्लस फंड का मामला भी था विवादों में
आरबीआई और सरकार के बीच विवादास्पद मामलों में से एक मामला आरबीआई से सरप्लस फंड के ट्रांसफर का भी है. अगस्त 2017 में आरबीआई बोर्ड की एक बैठक को याद करते हुए गर्ग ने बताया कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए आरबीआई के 44,200 करोड़ रुपये के सरप्लस में से 13,400 करोड़ रुपये को बनाए रखने का प्रस्ताव रखा था.
फरवरी 2018 में शुरू हुआ था असली तनाव
सरकार और उर्जित पटेल के बीच तनाव की जड़ें फरवरी 2018 में शुरू हुईं, जब पटेल ने बैंकिंग क्षेत्र में नॉन-परफॉर्मिंग लोन से निपटने के लिए एक सख्त ढांचा पेश किया. अंततः सरकार के साथ नीतिगत असहमति का हवाला देते हुए पटेल को 10 दिसंबर, 2018 को आरबीआई गवर्नर के पद से इस्तीफा देना पड़ा.