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मिशन 2040: चंद्रयान-3 के बाद अब चांद पर इंसान भेजेगा भारत, PM मोदी ने बताया टारगेट

इसरो ने बताया कि प्रोपल्शन मॉड्यूल को चांद की कक्षा से वापस पृथ्वी की कक्षा में लाने के प्रयोग का मुख्य फायदा आगामी मिशनों की योजना तैयार करने के दौरान होगा. खासकर मिशन को चांद से वापस पृथ्वी तक लाने में.

पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को पृथ्वी की कक्षा में वापस लाने पर इसरो को बधाई दी है. पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को पृथ्वी की कक्षा में वापस लाने पर इसरो को बधाई दी है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:53 AM IST

इसरो ने चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इसे भारत के भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों में हासिल एक और मील का पत्थर बताया. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'इसरो को बधाई. हमारे भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों में एक और मील का पत्थर हासिल किया गया, जिसमें 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय को भेजने का हमारा लक्ष्य भी शामिल है.'

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इसरो ने मंगलवार को इस ऑपरेशन को एक अनोखा प्रयोग बताया. चंद्रयान-3 मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास एक सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना और 'विक्रम' लैंडर व 'प्रज्ञान' रोवर पर लगे उपकरणों के जरिए चांद की सतह का अध्ययन करना शामिल था. अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिएलॉन्च किया गया था. चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की थी.

इसरो ने बताया कि प्रोपल्शन मॉड्यूल को चांद की कक्षा से वापस पृथ्वी की कक्षा में लाने के प्रयोग का मुख्य फायदा आगामी मिशनों की योजना तैयार करने के दौरान होगा. खासकर मिशन को चांद से वापस पृथ्वी तक लाने में. फिलहाल मॉड्यूल के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जो कि शुरुआती स्टेज में है. चंद्रयान-3 मिशन का प्रोपल्शन मॉड्यूल 17 अगस्त 2023 को विक्रम लैंडर से अलग हुआ था और चांद का चक्कर लगा रहा था.

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पहले प्रोपल्शन मॉड्यूल की लाइफ 3 से 6 महीने बताई जा रही थी. लेकिन ISRO ने दावा किया है कि अभी वह कई सालों तक काम कर सकता है, क्योंकि उसमें इतना फ्यूल बचा हुआ है. अब यह समझ में आ रहा है कि आखिरकार परमाणु तकनीक की मदद से प्रोपल्शन मॉड्यूल कई सालों तक चांद के चारों तरफ चक्कर लगा सकता है. जब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई थी. चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के वक्त प्रोपल्शन मॉड्यूल में 1696.4 kg फ्यूल था. 

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