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दुनिया भर के देशों में रहने वाले भारतीय प्रवासी पीएम मोदी के लिए एक खास महत्व रखते हैं, खासकर खाड़ी मुल्कों में. प्रधानमंत्री अभी कुवैत दौरे पर हैं, जहां प्रवासी भारतीयों की बड़ी मौजूदगी है. यहां कमोबेश 10 लाख भारतीय रहते हैं, जो आज कुवैत के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद हैं. अपनी यात्रा के पहले दिन कुवैत में, पीएम ने गल्फ स्पिक लेबर कैंप का दौरा किया, जहां 90% से ज्यादा कामगार भारतीय हैं, और उनके साथ बातचीत की. प्रधानमंत्री ने यहां कुवैत के महामहिम अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल सबा से मुलाकात भी की.
पीएम मोदी जब भी खाड़ी मुल्कों के दौरे पर जाते हैं तो वह भारतीय श्रमिकों से जरूर मुलाकात करते हैं. इसके कई उदाहरण हैं, जैसे कि 2016 में, उन्होंने सऊदी अरब के रियाद में एलएंडटी श्रमिकों से मुलाकात की थी. तब उन्होंने टाटा कंसल्टेंसी के ऑल वुमेन आईटी और आईटीईएस सेंटर का भी दौरा किया था. उसी साल, प्रधानमंत्री ने कतर के दोहा में श्रमिकों के शिविर का दौरा किया.
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इससे पहले 2015 में, पीएम ने अबू धाबी में एक श्रमिक शिविर का दौरा किया था, जहां उन्होंने अपने प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए भारत की चिंता जाहिर की थी. उन्होंने अपने शिविरों में भारतीय श्रमिकों के साथ बातचीत की और उनकी समस्याओं को जाना और उन तरीकों पर चर्चा की, जिनसे भारत सरकार उनकी मदद कर सकती है.
ई-माइग्रेट परियोजना, जिससे विदेश में आसान हो रही भारतीयों की लाइफ
पीएम मोदी सुरक्षित कानूनी प्रवासन सुनिश्चित करने को लेकर भी लगातार काम कर रहे हैं. इस संबंध में एक अहम कोशिश ई-माइग्रेट परियोजना है जिसे 2014 में रोजगार उद्देश्यों के लिए भारतीयों के प्रवासन की सुविधा के लिए लॉन्च किया गया था. इससे भर्ती प्रक्रिया को आसान बनाया गया और इसमें पारदर्शिता लाई गई. मसलन, इससे अथॉरिटी को भारतीय प्रवासियों का एक डेटाबेस मुहाया कराया जाता है, जिससे माइग्रेशन त्वरित और आसान होता है.
ई-माइग्रेट सिस्टम को पासपोर्ट सेवा प्रोजेक्ट के साथ भी इंटीग्रेट किया गया है, जिससे पासपोर्ट की ऑनलाइन वेलिडेशन आसान हुई है. साथ ही इसमें प्रवासी भारतीय बीमा योजना भी इंटीग्रेटेड है, जिसका इस्तेमाल भारतीय प्रवासी इंश्योरेंस के लिए आसानी से कर सकते हैं. ई-माइग्रेट सिस्टम के साथ डीजी शिपिंग सिस्टम को इंटीग्रेट किया गया है, जिससे इमीग्रेशन चेक पोस्ट्स और एयरपोर्ट्स पर भारतीयों को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता.
इमीग्रेशन क्लियरेंस रिक्वायर्ड कैटगरी पासपोर्ट
मोदी सरकार में ओवरसीज एम्पलॉयमेंट एंड प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमीग्रेंट्स डिवीजन को मजबूत किया गया है, जिससे रोजगार के लिए विदेश जाने वाले लोगों को ईसीआर यानी इमीग्रेशन क्लियरेंस रिक्वायर्ड कैटगरी पासपोर्ट हासिल करना आसान हुआ है. इस काम को और तेजी से करने के लिए देशभर में प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमीग्रेंट्स के 16 ऑफिस खोले गए हैं.
प्रवासन के बारे में जानकारी देने और प्रवासी श्रमिकों की शिकायतों को हल करने में मदद करने के लिए प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र पर भी सुधार किया गया है. इनके अलावा 5 क्षेत्रीय प्रवासी सहायता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं. ये केंद्र लखनऊ, हैदराबाद, चेन्नई, पटना और कोच्चि में हैं, जो प्रवासियों की शिकायतों का निपटारा करते हैं.
भारतीय कानगारों के हालात में सुधार की कोशिशें
पीएम मोदी इसके साथ-साथ विदेशों में भारतीय कामगारों के हालात में सुधार लाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं. इस साल की शुरुआत में यूएई की अपनी यात्रा में पीएम मोदी ने ऐलान किया था कि भारतीय कामगारों के लिए अस्पताल के निर्माण के लिए यूएई ने दुबई में जमीन मुहैया कराई है. इस साल कुवैत में आग की घटना में 40 से ज्यादा भारतीय नागरिकों के मारे जाने के बाद पीएम मोदी ने समीक्षा बैठक की थी.
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भारत और कुवैत ने 2021 में एक समझौता भी किया था, जिससे भारतीय कामगारों के कल्याण और अधिकारों को सुनिश्चित करने में मदद मिल रही है. इससे स्थानीय कानून के तहत भारतीय कामगारों और एम्पलॉयर के बीच बेहतर संबंध स्थापित करने और उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया जाता है. यह कुवैत में भारतीय श्रमिकों की भलाई को लेकर प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
2016 में, पीएम मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से मुलाकात की थी और भारतीय प्रवासियों के हालात पर चर्चा की थी. कतर ने आश्वस्त किया था कि श्रम सुधारों से पांच लाख से अधिक भारतीय प्रवासियों की स्थिति में सुधार होगा. यहां तक प्रधानमंत्री के नजरिए से प्रेरित होकर भारत ने खाड़ी देशों में अपने श्रमिकों के लिए उच्च वेतन के लिए एक अभियान भी चलाया था.