
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिल्ली में एनडीए (National Democratic Alliance) की अहम बैठक को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने एनडीए के 25 सालों की यात्रा पर बात की. उन्होंने एनडीए के अब तक के शासनकाल की विकास रिपोर्ट को पेश किया. लेकिन साथ में उन्होंने बेंगलुरु में विपक्षी दलों के जुटान पर भी जमकर निशाना साधा.
पीएम मोदी ने कहा कि आज विपक्ष हमें नीचा दिखाने में जुटा है. लेकिन देश के 140 करोड़ देशवासी सब देख रहे हैं. वे जानते हैं कि ये स्वार्थी विपक्ष क्यों जुटे हुए हैं. ये गलबहियां मिशन नहीं बल्कि मजबूरी है.
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने देश के लोगों को गलत हाथों में जाने से बचाया है. एनडीए के सभी सहयोगी राजनीति सौहार्द और शांति बनाए रखने का प्रयास करते हैं.एनडीए सरकार ने प्रणब दा को भारत रत्न दिया. वह जीवनभर कांग्रेसी रहे लेकिन एनडीए ने उन्हें सम्मान देने से संकोच नहीं दिया. ये एनडीए सरकार ही थी जिन्होंने मुलायम सिंह यादव, शरद यादव, गुलाम नबी आजाद, तरुण गोगोई और ना जाने कितने विपक्षी नेताओं को सम्मान दिया.
ये पब्लिक सब जानती है
पीएम मोदी ने कहा कि ये जनता सब जानती है कि ये विपक्षी बेंगलुरु में क्यों इकट्ठा हुए हैं? केरल में लेफ्ट और कांग्रेस एक दूसरे के खून के प्यासे हैं लेकिन बेंगलुरु में दोनों पार्टियां एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले हुए हैं. बंगाल में लेफ्ट और टीएमसी एक दूसरे के खून के प्यासे हैं. टीएमसी के कार्यकर्ता कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर हमले कर रहे हैं लेकिन बेंगलुरु में कुछ और ही नजारा देखने को मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के नेता एक दूसरे को भर-भरकर गालियां देते हैं. आरजेडी और जेडीयू के नेता एक दूसरे को कैसे-कैसे शब्दों से नवाजते हैं लेकिन यहां अलग ही गलबहियां चल रही हैं. हम देश के लोगों को जोड़ते हैं लेकिन वो देश को तोड़ते हैं. जनता खुली आंखों से देख रही है कि ये लोग इकट्ठा क्यों हो रहे हैं. वो कौन सा गोंद है,जो इन लोगों को जोड़ रहा है. किस तरह से छोटे-छोटे स्वार्थ के लिए मूल्यों और सिद्धांतों से समझौता किया जा रहा है. लेकिन ये लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए पास-पास तो आ सकते हैं लेकिन साथ-साथ नहीं आ सकते. आज हकीकत देश के 140 करोड़ देशवासियों के सामने आ चुकी है.
एनडीए के तीसरे कार्यकाल में हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया में तीसरे स्थान पर होगी
पीएम मोदी ने कहा कि मुझसे गलती हो सकती है लेकिन मैं बदनीयत से मैं दूर रहूंगा. मैं बदनीयत से कोई काम नहीं करुंगा. मेरा जीवन आपने देखा है. मेरे शरीर का हर कण और समय का हर क्षण देश को समर्पित है. आपका यह विश्वास, यह आशीर्वाद मेरी ऊर्जा है. 2014 में देश की अर्थव्यवस्था 10वें नबंर थी लेकिन आज यह पांचवें नंबर पर है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि एनडीए के तीसरे कार्यकाल में हमारे देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में तीसरे नंबर पर होकर रहेगी. देश को लोग अब मन बना चुके हैं कि तीसरी बार भी एनडीए को ही अवसर देना है. देश का मन आप जानते हैं. लेकिन अब विदेश का मन भी बहुत कुछ संकेत दे रहा है.
एनडीए के 25 साल एक उपलब्धि
पीएम मोदी ने कहा कि एनडीए के 25 सालों की यात्रा के साथ एक और सुखद संयोग जुड़ा है. यह वो समय है जब हमारा देश आने वाले 25 वर्षों में बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कदम बढ़ा रहा है. ये लक्ष्य विकसित भारत का है. आत्मनिर्भर भारत का है. कोटि-कोटि भारतीय आज नए संकल्पों की ऊर्जा से भरे हुए हैं. इस महत्वपूर्ण कालखंड में एनडीए की बहुत बड़ी भूमिका है. इस नई ऊर्जा से बढ़ी हुई त्रिशक्ति है. आज देश का गरीब, मध्यमवर्ग, देश का युवा, महिलाएं, दलित, पीड़ित, वंचित, शोषित और आदिवासी सभी का विश्वास एनडीए पर है.
उन्होंने कहा कि हमारे समाजशास्त्री, राजनीतिक शास्त्री और अर्थशास्त्री भारत के विकास के लिए एनडीए को पॉजिटिव रूप में देख रहे हैं. हमारा संकल्प, एजेंडा पूरी तरह से पॉजिटिव है. भावना पॉजिटिव है, हमारा रास्ता भी पॉजिटिव है. मैं अक्सर कहा करता हूं सरकारें बहुमत से बनती हैं लेकिन देश सबके प्रयास से चलता है.
नकारात्मक नीयत से बने गठबंधन नहीं टिकते
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में राजनीतिक गठबंधनों की एक लंबी परपंरा रही है, लेकिन जो भी गठबंधन नेगेटिविटी के साथ बने हैं, वे कभी सफल नहीं हो पाए. कांग्रेस 90 के दशक में देश में अस्थिरता लाने के लिए गठबंधनों का इस्तेमाल किया गया. इसी दौर में 1998 में एनडीए का गठन हुआ. लेकिन एनडीए क्यों बना? सिर्फ सत्ता हासिल करना एनडीए का लक्ष्य नहीं था. एनडीए किसी के विरोध में नहीं बना था. एनडीए किसी को सत्ता से हटाने के लिए नहीं बना था बल्कि एनडीए का गठन देश में स्थिरता लाने के लिए हुआ.
उन्होंने कहा कि ये पिछले नौ सालों में हम बार-बार देख रहे हैं. भारत में स्थिर और मजबूत सरकार बनने से आज पूरे विश्व का भारत पर भरोसा बढ़ा है. एनडीए की एक और विशेषता रही है कि जब हम विपक्ष में थे, तब भी हमने हमेशा सकारात्मक राजनीति की. हमने कभी नकारात्मक राजनीति का रास्ता नहीं चुना. हमने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए अपना हर दायित्व निभाया. हमने विपक्ष में रहकर सरकार का विरोध किया. उनके घोटालों को सामने लाए. लेकिन कभी जनादेश का अपमान नही किया. हमने सरकारों का विरोध करने के लिए कभी भी विदेशी मदद नहीं मांगी. हम विपक्ष में रहे लेकिन हमने देश के विकास में ना रोड़ें अटकाए ना ही रुकावट बने.
पीएम मोदी ने कहा कि आजकल हम देखते हैं कि केंद्र सरकार की योजनाओं को विपक्ष की कई राज्य सरकारें अपने यहां लागू नहीं होने देती. अगर ये योजनाऐं लागू होती भी है, तो उन्हें रफ्तार नहीं पकड़ने दी जाती. ये लोग सोचते हैं कि अगर उनके राज्यों में गरीबों को केंद्र की योजनाओं का लाभ मिल गया तो कैसे काम चलेगा? उनकी राजनीति कैसे चलेगी? जब गठबंधन सत्ता की मजबूरी का हो, जब गठबंधन भ्रष्टाचार की नीयत से हो, गठबंधन परिवारवाद की नीति पर आधारित हो. जातिवाद या क्षेत्रवाद को ध्यान में रखकर गठबंधन किया गया हो तो इससे देश को नुकसान पहुंचता है.
एनडीए की विचारधारा नेशन फर्स्ट, प्रोग्रेस फर्स्ट है
पीएम मोदी ने कहा कि एनडीए एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है. आपने देखा है कि 2014 हो या 2019 भाजपा को बहुमत से अधिक सीटें मिली लेकिन सराकर एनडीए की ही रही. एनडीए की भागीदारी बनी रही. एनडीए के गठन से लेकर ही हमारा संकल्प समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का रहा, जो वंचित है, शोषित है उसे सशक्त करना हमारा प्राथमिकता है. आज देश की जनता देख रही है कि एनडीए में कौन-कौन से दल है. एनडीए में जितने भी दल है, वे समाज के ऐसे वर्गों के बीच काम करते हैं, जो वंचित रहे हैं, शोषित रहे हैं. आदिवासियों के बीच काम करने वाले नेता हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि एनडीए एक प्रकार से क्षेत्रीय आकांक्षाओं का खूबसूरत इंद्रधनुष है. एनडीए देश के लिए देश के लोगों के लिए समर्पित है. एनडीए की विचारधारा नेशन फर्स्ट है. एनडीए की विचारधारा प्रोग्रेस फर्स्ट है. एनडीए की बैठक में हमने संकल्प लिया था कि देश की गरीबी को गरीबों की ताकत से ही हराएंगे. इसलिए इन सालों में हमारा सबसे ज्यादा जोर गरीबों को मजबूत करने पर रहा है. नीति आयोग की स्टडी में कहा गया है कि 2015-2016 के बाद से पांच सालों में 13.5 करोड़ गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं. इससे पहले वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में सामने आया है कि कैसे बहुत कम समय में ही 40-42 करोड़ लोगों ने गरीबी को हराया है. आईएमएफ के मुताबिक, अति गरीबी भी भारत में खत्म होने की कगार पर है.