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कोरोना के फिर बढ़ रहे मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर बैठक करेंगे. बैठक दोपहर साढ़े 12 बजे वर्चुअल माध्यम से होगी. बैठक में कोरोना की तेज रफ्तार के साथ टीकाकरण की रणनीति पर चर्चा होगी. कुछ हफ्तों पहले तक जहां भारत में कोरोना कंट्रोल में आता दिख रहा था, वो फिर डराने लगा है. इसीलिए एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के साथ वर्चुअल मीटिंग करने का फैसला किया है. आज दोपहर साढ़े 12 बजे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक है.
मीटिंग के लिए मुख्यमंत्रियों ने अपना-अपना एजेंडा तय किया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य में वैक्सीनेशन की प्रोग्रेस रिपोर्ट देने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर लॉकडाउन का समर्थन कर सकते हैं. मीटिंग से पहले कर्नाटक सरकार की ओर से साफ संकेत दिया गया है कि अगर ढिलाई नहीं रुकी तो कड़ाई करेंगे.
महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर!
देश में सबसे ज्यादा चिंताजनक हालत महाराष्ट्र की है. जहां अकेले देश के 50 फीसदी से ज्यादा कोरोना के मामले हैं. केंद्र सरकार खुलकर कह रही है कि महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है. ऐसा क्यों है, अब ये समझिए. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोरोना के 23,47,328 केस आए हैं. जिसमें से 1,38,813 सक्रिय हैं. ठीक हुए मरीजों की संख्या 21.54 लाख है और राज्य में 52,996 लोग कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं.
महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर का आगाज क्यों हो चुका है. उससे जुड़ा एक और आंकड़ा समझिए. देश में हर 10 लाख में से 8560 लोग कोरोना संक्रमित हैं. लेकिन महाराष्ट्र में ये 19070 है. जो दोगुने से ज्यादा है. अगर महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की बात करें तो सबसे ऊपर पुणे है. जहां पर 26468 सक्रिय केस हैं. यानी महाराष्ट्र के अकेले 20 फीसदी से ज्यादा केस अकेले पुणे में हैं. इस फेहरिस्त में दूसरे नंबर पर नागपुर है. तीसरे नंबर पर मुंबई फिर ठाणे और नासिक है.
24 घंटे में महाराष्ट्र में 17,864 नए मामले
महाराष्ट्र में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 17,864 नए मामले सामने आए जो कि इस साल प्रतिदिन सामने आने वाले मामलों में सबसे ज्यादा हैं. इसके साथ ही महामारी से 87 और मरीजों की मौत हो गई. राज्य में संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 23,47,328 हो गए हैं और मृतकों की संख्या 52,996 पर पहुंच गई है. अब तक कोविड-19 के 21,54,253 मरीज ठीक हो चुके हैं और अभी 1,38,813 मरीजों का इलाज जारी है.
पिछले 24 घंटे में महाराष्ट्र के...
बैठक से पहले ही कई जगह लगा लॉकडाउन और कर्फ्यू
वैसे प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्रियों की इस मुलाकात से पहले ही जिन राज्यों में कोरोना के नए मामलों ने सबसे ज्यादा चिंता बढ़ाई है, वहां कड़ाई होनी शुरू भी हो गई है. लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू की वापसी हो रही है. महाराष्ट्र में पहले ही 6 शहरों में लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाया जा चुका है.
महाराष्ट्र की तरह गुजरात में भी कोरोना दबे पांव दोबारा पैर पसार रहा है. पिछले 15 दिनों में गुजरात में रोजाना केस दोगुना हो चुके हैं. 1 मार्च को गुजरात में 427 कोरोना के केस थे, जो 14 मार्च तक आते आते दोगुना हो गए. यहां 14 और 15 मार्च को कोरोना के 800 से ज्यादा कोरोना के मरीज मिले.
इसका नतीजा ये हुआ कि अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत और इंग्लैंड के बीच बाकी 3 टी-20 बिना दर्शकों के करवाने का ऐलान कर दिया गया. BCCI ने ये फैसला सोमवार रात को लिया. जिसने राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली से मैच देखने आए दर्शकों को मायूस होना पड़ा.
गुजरात के 4 शहरों में नाइट कर्फ्यू
रविवार को इसी स्टेडियम में 60 हजार दर्शक मैच देखने पहुंचे थे. कोरोना काल में ऐसा पहली बार हुआ. लेकिन कोरोना के बढ़ते खतरे ने क्रिकेट प्रेमियों के अरमानों पर पानी फेर दिया और बिना दर्शक ही मैच खेला गया. कोरोना को लेकर पाबंदियां सिर्फ स्टेडियम तक ही सीमित नहीं है. गुजरात के 4 शहरों, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट में 17 मार्च यानी आज से नाइट कर्फ्यू लागू करने का आदेश दिया गया है.
मध्य प्रदेश के 8 शहरों में नाइट कर्फ्यू!
मध्य प्रदेश में भी भोपाल और इंदौर में नाईट कर्फ्यू लगाने का फैसला हुआ है. प्रदेश के 8 शहर- जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, रतलाम, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, बैतूल और खरगौन में रात 10 बजे के बाद बाजार बंद रहेंगे. आदेश भी बुधवार 17 मार्च से लागू हो जाएगा. भोपाल में किसी भी प्रकार के धरने, प्रदर्शन, रैली, जूलूस, यात्रा, और समारोह पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है.
पंजाब के 8 जिलों में नाइट कर्फ्यू
पंजाब के 8 जिलों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है. ये जिले हैं- लुधियाना, जालंधर, कपूरथला, मोहाली, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, नवांशहर और होशियारपुर. पंजाब में बोर्ड एग्जाम भी एक महीने के लिए टल गए हैं. पिछले साल मार्च में ही कोरोना के मामलों को लेकर सख्ती की गई थी. अभी नए मामले महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा आ रहे हैं.
बंगाल में बिना प्रोटोकॉल के हो रही जनसभाएं
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले के माहौल को देखें तो पश्चिम बंगाल में कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. यहां नियमों का पालन न करने पर कोई जुर्माना नहीं है. सभी लोगों के चेहरे पर मास्क भी नजर नहीं आ रहा. कुछ ही लोग यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर जनता सामान्य जीवन जी रही है. चुनाव के चलते राज्य में बिना किसी प्रोटोकॉल के सियासी रैलियां और जनसभाएं हो रही हैं.
राजधानी कोलकाता में 8वीं तक स्कूल बंद हैं. हालांकि, 9 से 12 तक के स्कूल कोरोना नियमों के साथ संचालित किए जा रहे हैं, जबकि कॉलेज बंद हैं. परीक्षाएं ऑनलाइन कराई जा रही हैं. परिवहन सेवाएं बिना किसी प्रोटोकॉल के सामान्य ढंग से चल रही हैं. बाजार सामान्य रूप से चल रहे हैं और कोई भी नए नियम नहीं लागू किए गए हैं.
ये पाबंदियां इसलिए लगाई जा रही हैं क्योंकि सरकारें कोरोना के नियमों को सख्ती से पालन करवाने में नाकाम साबित हो रही हैं. कोरोना महामारी देश में न फैले इसके लिए लॉकडाउन लगाना पड़ा. लेकिन इस फैसले की बड़ी कीमत देश ने चुकाई. एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन से देश को 35 से 50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी ने बताया कि लॉकडाउन से 14 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए. जिनकी नौकरी बची उनमें से बहुतों को कम सैलरी पर काम करना पड़ा.