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विभाजन में जान गंवाने वालों को PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि, कांग्रेस ने कहा- नफरत की राजनीति की हार होगी

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर पीएम मोदी ने विभाजन में अपनी जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विभाजन की हिंसा और घृणा ने लाखों लोगों की जान ली और असंख्य लोगों को विस्थापित करवाया. देश का विभाजन भारतीय इतिहास का वो अमानवीय अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. उधर, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विभाजन की त्रासदी का दुरुपयोग नफरत और पूर्वाग्रह को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता है.

पीएम मोदी और कांग्रेस नेता जयराम रमेश (फाइल फोटो) पीएम मोदी और कांग्रेस नेता जयराम रमेश (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

14 अगस्त को भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मना रहा है. विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर पीएम मोदी ने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर मैं उन सभी को श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाई. साथ ही हमारे इतिहास के उस दुखद दौर में पीड़ित सभी लोगों के लचीलेपन और धैर्य की सराहना करता हूं.

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वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 1947 में हुआ देश का विभाजन भारतीय इतिहास का वो अमानवीय अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. विभाजन की हिंसा और घृणा ने लाखों लोगों की जान ली और असंख्य लोगों को विस्थापित करवाया. उन्होंने कहा कि आज 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' पर विभाजन का दंश झेलने वाले लाखों लोगों को नमन करता हूं.

अमित शाह ने कहा कि 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' देश की युवा पीढ़ी को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना और वेदना का स्मरण करवाएगा और देशवासियों को देश में सदा शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रेरित भी करता रहेगा. 

वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में चिह्नित करने का वास्तविक उद्देश्य अपनी राजनीतिक लड़ाई के लिए सबसे दर्दनाक ऐतिहासिक घटनाओं को चारे के रूप में उपयोग करना है. उन्होंने कहा कि बंटवारे के दौरान लाखों लोग विस्थापित हुए और अपनी जान गंवाई. उनके बलिदानों को भुलाया नहीं जाना चाहिए. उनका अपमान नहीं किया जाना चाहिए. विभाजन की त्रासदी का दुरुपयोग नफरत और पूर्वाग्रह को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि सावरकर ने टू नेशन थ्योरी की नींव रखी. जिन्ना ने इसे लागू किया. जबकि सरदार पटेल ने लिखा था कि मुझे लगा कि अगर हमने विभाजन को स्वीकार नहीं किया, तो भारत कई टुकड़ों में बंट जाएगा और पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा.

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जयराम रमेश ने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या पीएम आज जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद करेंगे, जिन्होंने शरत चंद्र बोस की इच्छा के खिलाफ बंगाल के विभाजन का समर्थन किया था. उन्होंने कहा कि आधुनिक सावरकर और जिन्ना राष्ट्र को विभाजित करने के अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं. लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गांधी, नेहरू, पटेल और कई लोगों की विरासत को बनाए रखेगी. जो राष्ट्र को एकजुट करने के अपने प्रयासों में जुटे रहे. नफरत की राजनीति की हार होगी.

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