
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित G20 में अमेरिकी राष्ट्रपित जो बाइडेन और साऊदी के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के हाथ मिलाने के पीछे की कहानी सुनाई. न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि एक ग्लोबल गुड के लिए काम करता है और अपने निजी कारण नहीं होते हैं तो आप दुनिया को ऑनबोर्ड ले सकते हैं. मेरी कोशिश ये थी कि मुझे बताइए कि G8 और G20 पैदा कैसे हुआ. जिन मुद्दों को लेकर पैदा हुआ, उनसे हटना नहीं है. इस पर सब मुझसे सहमत हुए.
पीएम ने कहा कि कुछ लोगों से मुझे व्यक्तिगत बातचीत की जरूरत थी, मैंने वो भी की. कुछ शब्दों के आग्रह थे, उन्हें मैंने समझाने का प्रयास किया. दूसरा मेरा इरादा था कि मैं लास्ट डे और लास्ट सेशन में नहीं करूंगा. मैं इतना जल्दी करूंगा कि लोग सरप्राइज कर जाएंगे. इसलिए मैंने दूसरे ही दिन पहले ही सत्र में डिक्लेरेशन वाला काम कर दिया. तो जो नेगेटिव अनुमानों के आधार पर सारा जी20 घसीटने की कोशिश होती थी, मैं इसको किसी भी हालत में चौंका देना चाहता था. ये मेरी रणनीति थी और ये सफल हुई.
उन्होंने कहा कि जहां तक दुनिया के तमाम देशों को क्यों लेकर आए साथ. इसकी बात है तो सिल्क रूट की चर्चा हम बहुत समय से सुनते आए हैं. सिल्क रूट किसने बनाया, कैसे बना, कोई इतिहास मौजूद नहीं है. बस ये चल पड़ा. हम लोगों ने IMEC (कॉरिडोर) की दिशा में जो काम किया है, ये बहुत बड़ा गेम चेंजर बनने वाला है और आने वाले हजारों साल इसका प्रभाव रहने वाला है. उसमें सबको विश्वास हुआ कि हां ये सही तरीका है. इसमें गल्फ कंट्री का भी पॉजिटिव रोल था. भारत को भी भूमिका निभाने का मौका मिला. यूएस-यूरोप हमारे साथ थे. सबको लगा कि ठोस पॉजिटिव आउटपुट निकलेगा तो हम उसको लेकर मिलते थे. स्वाभाविक था कि साऊदी प्रिंस और प्रेजिडेंट बाइडेन के साथ मेरे अच्छी मित्रता है तो मैं किसी का भी हाथ भी पकड़ सकता हूं, किसी की बात भी करा सकता हूं.
पीएम मोदी ने विदेश नीति पर बात की. उन्होंने खाड़ी देशों के साथ भारत के रिश्ते बेहतर होने और अन्य देशों के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात में पर्सनेलिटी पॉलिटिक्स के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि हमारी डिप्लोमेसी अगर प्रोटोकॉल में फंसी रहेगी तो हम लोग परफॉर्म नहीं कर पाएंगे. डिप्लोमेसी की ताकत भी इनफॉर्मल में भी है. प्रोटोकॉल में ऐसा नहीं है. इसमें बहुत पोजिशनिंग होती है कि पहले कौन आएगा, कौन हाथ मिलाएगा.
पीएम मोदी ने बताया 2047 का क्यों करते हैं जिक्र
भाषणों में 2024 नहीं 2047 लक्ष्य है, इसके जिक्र को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि 2024 और 2047, दोनों अलग-अलग हैं. जब देश आजादी के 75 साल बाद अमृत महोत्सव मना रहा था, उसी समय मैंने ये विषय सबके सामने रखना शुरू किया था आज से एक दो वर्ष पहले कि 2047 को देश की आजादी के 100 साल पूरे होंगे. स्वभाविक रूप से ऐसे माइलस्टॉन होते हैं, वो एक प्रकार से नया उत्साह भरते हैं और नए संकल्प के लिए व्यक्ति को भरते हैं. जो अब हम 100 साल आजादी के पूरे करेंगे तो इस 25 साल का सर्वाधिक उपयोग हम कैसे करेंगे. हर कोई अपना एक लक्ष्य बनाए. जैसे एक ग्राम प्रधान लक्ष्य बनाए कि वह 2024 तक अपने गांव में इतना कुछ करेगा.