प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. मोदी सरकार पिछले साल कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई थी. लेकिन कई किसान संगठन इन कानूनों का लगातार विरोध कर रहे थे. उधर, कृषि कानून वापस लेने पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने धन्यवाद कहा. उधर, पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. अखिलेश यादव ने भी केंद्र पर निशाना साधा है. उधर, नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर बोलने से इनकार कर दिया.
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत करते हुए सीएए कानून को भी वापस लेने की मांग की.
मदनी ने सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा के बाद कहा कि हमारे किसान भाई इसके लिए बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने इसके लिए महान बलिदान दिया है. उन्होंने कहा अगर किसी जायज मकसद के लिए ईमानदारी और धैर्य के साथ आंदोलन चलाया जाए तो एक ना एक दिन सफल हो ही जाता है.
केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने बीजेपी से दोबारा गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है. बता दें कि इसी कानून के खिलाफ अकाली दल ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था.
केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा, लड़ेंगे जीतेंगे, इसके साथ ही उन्होंने सरकार से एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की भी मांग की.
तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे 62 करोड़ अन्नदाताओं-किसानों-खेतिहर मजदूरों की जीत बताई है. सोनिया गांधी ने कहा, लगभग 12 महीने के गांधीवादी आंदोलन के बाद आज देश के 62 करोड़ अन्नदाताओं-किसानों-खेतिहर मजदूरों के संघर्ष और इच्छाशक्ति की जीत हुई. आज उन 700 से अधिक किसान परिवारों की कुर्बानी रंग लाई, जिनके परिवारजनों ने न्याय के इस संघर्ष में अपनी जान न्योछावर कर दी. आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई.
सोनिया गांधी ने आगे कहा, आज सत्ता में बैठे लोगों द्वारा बुना गया किसान-मजदूर विरोधी षडयंत्र भी हारा और तानाशाह शासकों का अहंकार भी. आज रोजी-रोटी और किसानी पर हमला करने की साजिश भी हारी. आज खेती-विरोधी तीनों काले कानून हारे और अन्नदाता की जीत हुई.
तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जालौन में भारती किसान यूनियन के अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री को एक साल बाद सदबुद्धि आई. लेकिन आंदोलन में जो 700 लोग मर गए है उनके परिवार वालों की क्षतिपूर्ति कैसे करेंगे.
उन्होंने कहा, जिस तरह से संसद में इस कानून को पास किया गया था उसी तरह से इसे संसद में ही रद्द करें. इसे संसद में रद्द करने के बाद आंदोलन खत्म होगा. इसके साथ ही उन्होंने एमएसपी पर गारंटी की मांग की. भारती किसान यूनियन ने आंदोलन के समय दर्ज किए गए मुकदमों को भी वापस लेने की मांग की है.
केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले पर अब पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्हें कानूनों को वापस लेने के फैसले को लेकर कहा कि इसमें देरी हुई लेकिन स्वागत योग्य कदम है. उन्होंने इसे लोगों और लोकतंत्र की जीत के रूप में वर्णित किया.
इसके साथ ही चन्नी ने मोदी सरकार से राज्य और किसानों को संघर्ष के दौरान हुई जान-माल की क्षति की भरपाई करने की भी मांग की. सीएम चन्नी ने किसानों और मजदूरों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए आर्थिक पैकेज देने की मांग रखी.
आरएसएस से संबंधित भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले को लेकर कहा कि इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा.
बीकेएस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, अनावश्यक टकराव से बचने के लिए कानूनों को निरस्त करने का कदम ठीक है, लेकिन लंबे समय में इससे किसानों को मदद नहीं मिलेगी. बयान में आगे कहा गया है कि 'तथाकथित' किसानों के अड़ियल स्वभाव से अन्य किसानों को भविष्य में नुकसान ही होगा.
बीकएस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "संशोधनों के साथ कानूनों से छोटे और मध्यम आकार के किसानों को विशेष रूप से फायदा होता." बीकेएस ने एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की है, और गैर-राजनीतिक संगठन के सदस्यों को भी समिति में शामिल करने के लिए कहा है.
बीकेएस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "किसानों का वास्तविक शोषण बाजार में होता है, और किसानों को उनके उत्पादों के लिए लाभदायक मूल्य की गारंटी देने वाले कानूनों का उपयोग करके इसे ठीक किया जाना चाहिए."
वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. नीतीश कुमार ने कहा, पीएम मोदी ने कृषि कानूनों पर फैसला किया है. इस पर बोलने के लिए कुछ भी नहीं है.
(इनपुट- रोहित कुमार सिंह)
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, तीन कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वापस लिए जाने का मैं उत्तरप्रदेश शासन की ओर से स्वागत करता हूं. हम सब जानते हैं कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठन आंदोलन कर रहे थे, आज गुरुपर्व पर प्रधानमंत्री जी ने लोकतंत्र में संवाद की भाषा का इस्तेमाल करते हुए, तीनो कृषि कानून को वापस लेकर जो ऐतिहासिक कार्य किया है, मैं उसके लिए उनके इस कदम का स्वागत और अभिनन्दन करता हूं, शुरू से ही इस सम्बंध में एक बड़ा समुदाय ऐसा था को इस बात को मानता था कि किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए इस तरह के कानून महत्वपूर्ण भूमिका तय कर सकते हैं, लेकिन उस सबके बावजूद कतिपय किसान संगठन इस के विरोध में आये तो सरकार ने हर स्तर पर संवाद बनाने का प्रयास किया, ये हो सकता है कि हम लोगो की तरफ से कोई कमी रह गई होगी हम उन लोगो को समझाने में कहीं न कहीं विफल रहे, जिसके बाद उन्हें आंदोलन के रास्ते आगे बढ़ना पड़ा था, लेकिन लोकतंत्र के इस भाव का सम्मान करते हुए, तीनो कृषि कानूनों को वापस लेने, और एमएसपी को भी लेकर एक समिति के गठन करने का हम प्रदेश सरकार की ओर से स्वागत करते हैं, साथ ही गुरुपर्व की की शुभकामनाएं देते है...
कृषि कानून की वापसी पर समाजवादी पार्टी ने भाजपा पर तंज कसा है. सपा ने ट्वीट किया, साफ नहीं है इनका दिल, चुनाव बाद फिर लाएंगे बिल.
बसपा सुप्रिमो मायावती ने कहा, केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को देर से रद्द करने की घोषणा की है. यह फैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था. इसके लिए सभी किसानों को हार्दिक बधाई. यदि केंद्र सरकार यह फैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता. हमारी पार्टी की केंद्र सरकार से मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है, केंद्र सरकार उन्हें उचित आर्थिक मदद दे और उनके परिवार में से एक सदस्य को सरकारी नौकरी जरूर दें.
एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा, पहले कृषि कानून वापस लेते तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी. यह किसानों के संघर्ष की जीत है. इसने अहंकारी सरकार को झुका दिया. पिछले साल सितंबर में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 1 साल से अधिक समय से देश भर के लाखों किसान भाई सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे , सरकार से इन क़ानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे ,बारिश ,ठंड ,भरी गर्मी में भी वह इस कानूनों के विरोध में सड़कों पर डटे रहे. इस आंदोलन के दौरान 600 से अधिक किसानों की मौत हो गई ,किसानों को इस विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी ,कई-कई राते सड़कों पर गुजारना गुजारना पड़ी ,उन्हें तरह-तरह की उलाहना भी सहना पड़ी ,कभी उन्हें आतंकवादी ,कभी देशद्रोही ,कभी दलाल ,कभी अन्य नामों से संबोधन किया गया लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए।
कमलनाथ ने कहा, कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया ,खुलकर उनके समर्थन में लड़ाई लड़ी और आखिर 1 वर्ष बाद ऐतिहासिक दिन गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के दिन मोदी सरकार ने इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, उसका हम स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा, यदि यह निर्णय पूर्व में ही ले लिया जाता ,सरकार अपना अहंकारी व अड़ियल रवैया पूर्व में ही छोड़ देती तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी.
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, तीनों कृषि कानून आए तो पूरी भाजपा लगी रही कि बहुत अच्छे कानून है. बहुत अच्छे कानून है. बड़ी प्रगति होगी यहां तक की नरेंद्र मोदी ने हर भाषण में कुछ ना कुछ किसानों के खिलाफ आए हुए कानून के पक्ष में बात की. लेकिन आज फिर से लोकतंत्र की विजय हुई है. किसान आंदोलन की विजय हुई है. उन बहादुर किसानों को मैं बधाई देता हूं जो आज 1 साल से धरने पर बैठे थे उन शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं. जो इस बहुत प्रसन्नता के साथ यह बात कहना चाहता हूं कि देश के किसानों ने एक बार फिर से जता दिया कि उनसे बिना पूछे तलाशें कोई भी मिला कानून लाएंगे, किसान अपना हित समझता है आप उन्हें मूर्ख नहीं बना सकते.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, यह किसान की जीत है, देश की जीत है. यह पूंजीपतियों, उनके रखवालों, नीतीश-भाजपा सरकार और उनके अंहकार की हार है. विश्व के सबसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक किसान आंदोलन ने पूंजीपरस्त सरकार को झुकने पर मजबूर किया. आंदोलनजीवियों ने दिखाया कि एकता में शक्ति है. यह सबों की सामूहिक जीत है. बिहार और देश में व्याप्त बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण के ख़िलाफ हमारी जंग जारी रहेगी.
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, 600 से अधिक किसानों की शहादत , 350 से अधिक दिन का संघर्ष. पीएम मोदी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी. आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला. उनपर लाठिया बरसायीं, उन्हें गिरफ्तार किया. अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी, कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती.
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, लोकतांत्रिक विरोध से जो हासिल नहीं किया जा सकता, वह आने वाले चुनावों के डर से हासिल किया जा सकता है! तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री की घोषणा नीति परिवर्तन या हृदय परिवर्तन से प्रेरित नहीं है. यह चुनाव के डर से प्रेरित है! वैसे भी, यह किसानों के लिए और कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी जीत है जो कृषि कानूनों के विरोध में अडिग थी.
आप सांसद संजय सिंह ने कहा, ये मोदी के अन्याय पर किसान आंदोलन की जीत है उन्हें ढेरों बधाई. भारत के अन्नदाता किसानो पर एक साल तक घोर अत्याचार हुआ. सैंकड़ों किसानो की शहादत हुई अन्नदाताओं को आतंकवादी कह कर अपमानित किया. इस पर मौन क्यों रहे मोदी जी. देश समझ रहा है चुनाव में हार के डर से तीनो काला कानून वापस हुआ.
भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि मैं भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह जो माननीय प्रधानमंत्री जी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने की आज घोषणा कर दी है. इसके लिए उनका बार-बार स्वागत और बार-बार अभिनंदन करता हूं. ऐसा ही होना चाहिए देश का प्रधानमंत्री जो किसानों के लिए एक की बात सुनकर किसी को दुखी ना होने दें . लेकिन लेकिन भारत के किसानों के बारे में मैं जानता हूं किसान परेशान हैं 75 साल में किसानों को कोई खेती के भाव नहीं मिले, गेहूं का, गन्ने का, आलू का धान का इसलिए किसान कर रहा है इसलिए कर्जा माफ करने की घोषणा करके किसान आयोग का गठन करके किसानों को अपनी फसल का मूल्य तय करने का अधिकार दे दो.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है. यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है. देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं. यह उनके बलिदान की जीत है.
नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट किया, काले कानूनों को निरस्त करना सही दिशा में एक कदम. किसान मोर्चा के सत्याग्रह को ऐतिहासिक सफलता मिली. आपके बलिदान से यह संभव हुआ है. पंजाब में एक रोड मैप जरिए खेती को पुनर्जीवित करना पंजाब सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.
अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, ग्रेट न्यूज. गुरुनानक जयंती के पवित्र अवसर पर हर पंजाबी की मांगों को मानने और 3 काले कानूनों को निरस्त करने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद. मुझे विश्वास है कि केंद्र सरकार किसानों के विकास के लिए मिलकर काम करती रहेगी.
पीएम मोदी ने कहा, कृषि में सुधार के लिए तीन कानून लाए गए थे. ताकि छोटे किसानों को और ताकत मिले. सालों से ये मांग देश के किसान और विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री मांग कर रहे थे. जब ये कानून लाए गए, तो संसद में चर्चा हुई. देश के किसानों, संगठनों ने इसका स्वागत किया, समर्थन किया. मैं सभी का बहुत बहुत आभारी हूं. साथियों हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए देश के कृषि जगत के हित में, गांव, गरीब के हित में पूर्ण समर्थन भाव से, नेक नियत से ये कानून लेकर आई थी. लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप से किसानों के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. भले ही किसानों का एक वर्ग इसका विरोध कर रहा था. हमने बातचीत का प्रयास किया. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया. पीएम मोदी ने कहा, हमने कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया. साथ ही पीएम मोदी ने किसानों से अपील की, आप अपने अपने घर लौटे, खेत में लौटें, परिवार के बीच लौटें, एक नई शुरुआत करते हैं.
पीएम मोदी ने कहा, ये भी बहुत सुखद है, कि डेढ़ साल के अंतराल के बाद करतारपुर साबिह कॉरिडोर अब फिर से खुल गया है. इसके अलावा पीएम मोदी ने किसानों का भी जिक्र किया. पीएम ने कहा, मैंने पिछले कई दशकों तक किसानों की परेशानियों को बहुत करीब से देखा, महसूस किया. जब से मुझे मौका मिला, हमारी सरकार उनकी बेहतरी के लिए काम करने में जुट गई.
पीएम मोदी ने कहा, आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है. मैं विश्वभर में सभी लोगों को और सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूं.
पीएम मोदी ने झांसी के अपने दौरे से पहले रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, मैं रानी लक्ष्मी बाई को उनकी जयंती पर नमन करता हूं. वे भारत के इतिहास में अहम स्थान रखती हैं. उनकी बहादुरी को पीढ़ियों द्वारा कभी नहीं भुलाया जा सकता. मैं आज झांसी के अपने दौरे पर भारत के रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने संबंधी कार्यक्रमों में हिस्सा लूंगा.
इसके अलावा पीएम मोदी ने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी.
पीएम मोदी का संबोधन काफी अहम माना जा रहा है. दरअसल, पीएम मोदी आज से तीन दिन के उत्तर प्रदेश दौरे पर हैं. पीएम मोदी 19 नवंबर को बुंदेलखंड के महोबा और झांसी का दौरा करेंगे. झांसी में वे 'राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व' में हिस्सा लेंगे. इस दौरान पीएम कई आधुनिक हथियार सेना को सौंपेंगे. वहीं, महोबा से पीएम मोदी 'हर घर नल जल योजना' की शुरुआत करेंगे. पीएम मोदी 19 नवंबर की शाम लखनऊ आएंगे. यहां वे 20-21 नवंबर को पुलिस मुख्यालय में होने वाली डीजीपी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेंगे.