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'रियलिस्टिक है 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का टारगेट', PM मोदी ने गुजरात के उदाहरण से समझाया

PM Modi Exclusive Interview: इंडिया टुडे के एडिटर-इन-चीफ तथा चेयरपर्सन अरुण पुरी, वाइस चेयरपर्सन कली पुरी और ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा ने पीएम मोदी के साथ खास बातचीत की. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जब 2014 में मैं प्रधानमंत्री बना, तो भारत की अर्थव्यवस्था 20 खरब डॉलर (167 लाख करोड़ रुपये) की थी और 2023-24 के अंत में भारत की जीडीपी 37.5 खरब डॉलर (312 लाख करोड़ रुपये) से अधिक होगी.

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Image Credit: India Today/Special Arrangement प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Image Credit: India Today/Special Arrangement
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

PM Modi Exclusive Interview: भारत की अर्थव्यवस्था इस समय तेज गति से आगे बढ़ रही है. भारत 2023 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बना रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले वर्षों के लिए 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य रखा है. इंडिया टुडे ग्रुप को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पीएम मोदी ने अपने इस लक्ष्य को विस्तार से समझाया.

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इंडिया टुडे के एडिटर-इन-चीफ तथा चेयरपर्सन अरुण पुरी, वाइस-चेयरपर्सन कली पुरी और ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा से खास बातचीत में पीएम मोदी ने 5 ट्रिलियन इकोनॉमी से जुड़े सवाल पर कहा कि हमारा ट्रैक-रिकॉर्ड खुद-ब-खुद इसकी गारंटी लेता है. 

पीएम मोदी ने कहा कि जब 2001 में मैं गुजरात का मुख्यमंत्री बना तो उसकी अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 26 अरब डॉलर (2.17 लाख करोड़ रुपये) था. जब प्रधानमंत्री बनने के लिए मैंने गुजरात छोड़ा, तब गुजरात की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 133.5 अरब डॉलर (11.1 लाख करोड़ रुपये) हो गया था. और जो कई नीतियां और सुधार किए गए, उनके परिणामस्वरूप आज गुजरात की अर्थव्यवस्था लगभग 260 अरब डॉलर (21.6 लाख करोड़ रुपये) की हो गई है. 

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पीएम मोदी ने कहा कि इसी तरह जब 2014 में मैं प्रधानमंत्री बना, तो भारत की अर्थव्यवस्था 20 खरब डॉलर (167 लाख करोड़ रुपये) की थी और 2023-24 के अंत में भारत की जीडीपी 37.5 खरब डॉलर (312 लाख करोड़ रुपये) से अधिक होगी. 23 वर्ष का यह ट्रैक रिकॉर्ड दिखाता है कि यह रियलिस्टिक टारगेट है. 

पीएम मोदी ने विपक्ष के महंगाई के आरोपों से जुड़े सवाल पर कहा कि सदी में एक बार आने वाली महामारी के दो वर्षों और वैश्विक टकरावों से वैश्विक सप्लाई चेन के तहस-नहस हो जाने और यहां तक कि दुनियाभर में मंदी का दबाव पैदा होने के बावजूद भारत ने अच्छा लचीलापन दिखाया है. उन्होंने कहा कि भारी मुश्किलों, वैश्विक संकटों, सप्लाई चेन के टूटने और भू-राजनैतिक तनावों का दुनियाभर में कीमतों पर असर पड़ा. इसके बावजूद 2014-15 और 2023-24 (नवंबर तक) के बीच औसत मुद्रास्फीति मात्र 5.1 फीसदी थी, जबकि इससे पहले के 10 वर्षों (2004-14) के दौरान यह 8.2 फीसदी थी. उन्होंने सवाल किया कि कौन-सी ज्यादा है, 5.1 फीसदी महंगाई या 8.2 फीसदी महंगाई?

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