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Modi Government 8 Years: मोदी सरकार के 8 साल में कितनी सुधरी देश की ‘आर्थिक सेहत’?

Modi Government 8 Years: मोदी सरकार को 8 साल पूरे होने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालते ही नरेंद्र मोदी ने आर्थिक सेहत को सुधारने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं. मोदी सरकार के इन 8 सालों में देश की आर्थिक सेहत कैसी रही? जानें इस रिपोर्ट में...

नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बने 26 मई को 8 साल पूरे हो रहे हैं. (फाइल फोटो-PTI) नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बने 26 मई को 8 साल पूरे हो रहे हैं. (फाइल फोटो-PTI)
सम्राट शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2022,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST
  • कोरोना ने बिगाड़ी जीडीपी की विकास दर
  • नोटबंदी से देश में बढ़ा डिजिटल ट्रांजेक्शन

मोदी सरकार को देश की कमान संभाले हुए 8 साल पूरे होने जा रहे हैं. प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालते ही नरेंद्र मोदी ने ‘डिजिटल इंडिया’ के नारे के साथ देश की आर्थिक सेहत भी सुधारने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं. बीते 8 वर्षों में जीडीपी ग्रोथ, विनिवेश, नोटबंदी, एसेट मॉनेटाइजेशन और शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते महंगाई से लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के सरकार के प्रयासों पर एक नजर डालते हैं.

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मोदी सरकार के 8 वर्ष के कार्यकाल में डिटिजल पेमेंट में बढ़ोतरी एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिनी जा सकती है. पूरी दुनिया का 40% डिजिटल ट्रांजेक्शन अकेले हिन्दुस्तान में होना इसी बात को और पुख्ता करता है. आरटीजीएस और आईएमपीएस भुगतान के तरीके पहले से ही मौजूद थे, यूपीआई का शुभारंभ इस दिशा में एक बड़ा गेम चेंजर साबित हुआ.

आज डिजिटल पेमेंट इस कदर सफल है कि भारतीयों ने धीरे-धीरे 10 रुपये के भुगतान के लिए भी यूपीआई को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया. एनपीसीआई के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015 में 76 लाख करोड़ रुपये के डिजिटल पेमेंट की तुलना में यह पिछले वित्तीय वर्ष में 200 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया.

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भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने विनिवेश को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा. इसने वित्तीय वर्ष 2015 और 2022 के बीच 3.8 लाख करोड़ रुपये जुटाए. इसके अलावा एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी बेचकर भी सरकार ने आईपीओ के जरिए 20,516 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इस साल अब तक कुल विनिवेश 23,574 करोड़ रुपये तक हो गया है.
 

सरकार ने नए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा है कि हाल ही में शुरू की गई 'नई सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यम नीति', और सरकार द्वारा 'संपत्ति मुद्रीकरण रणनीति' सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण और रणनीतिक विनिवेश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाती है.

यह अनुमान है कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन में 2021-22 से 2024-25 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मूल संपत्ति के जरिए 6 लाख करोड़ रुपये की कुल मुद्रीकरण करने की क्षमता है. इसके लिए चुने गए शीर्ष पांच क्षेत्र सड़क, रेलवे, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन और दूरसंचार हैं. ये कुल मूल्य का लगभग 83 प्रतिशत हिस्सा हैं.

मोदी सरकार के कार्यकाल में कोरोना जैसी महामारी भी बड़ी चुनौती रही. तकरीबन दो साल इसने अर्थव्यवस्था का चक्का रोके रखा. कोरोना काल खत्म हुआ तो अब रूस-यूक्रेन युद्ध का असर पूरी दुनिया में महंगाई को और बढ़ा रहा है. तमाम तरह के प्रतिबंध, हवाई-समुद्री मार्ग बंद होने और उत्पादन में कमी के कारण वैश्विक स्तर पर गेहूं और खाद्य तेल जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं. इन सबका असर भारत पर भी काफी अधिक पड़ा है. हालांकि अब सरकार ने कीमतों को कम करने के लिए कई प्रयास किए हैं. पेट्रोल-डीजल और फूड ऑयल पर एक्साइज ड्यूटी घटाना इसी की बानगी है.  

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अलग-अलग अनुमान बताते हैं कि इस साल महंगाई को नियंत्रण में रखना सरकार के लिए एक कठिन काम होगा. मोदी सरकार को इसका समाधान खोजना होगा. पिछले वित्त वर्ष में थोक महंगाई दर बढ़कर 12.96 फीसदी हो गई. अप्रैल में ये 15% को भी पार कर गया.  

मोदी सरकार के सामने अब एक और चुनौती राजकोषीय घाटे को कम करने की होगी. लॉकडाउन और आर्थिक उथल-पुथल ने देश के राजकोषीय घाटे को खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया है. वित्तीय वर्ष 2015 में 4.1 प्रतिशत से वित्तीय घाटा वित्त वर्ष 2021 में सकल घरेलू उत्पाद के 9.2 प्रतिशत पर चढ़ गया और यह 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

सरकार ने कहा कि अर्थव्यवस्था को दिए गए राजकोषीय समर्थन के साथ-साथ स्वस्थ प्रतिक्रिया के कारण राजकोषीय घाटा और सरकारी कर्ज 2020-21 में बढ़ गया.

 

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