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'फर्श पर सोना, आहार में नारियल पानी, गौ-सेवा और दान...',11 दिन के अनुष्ठान में कुछ ऐसी है PM मोदी की दिनचर्या

पीएम मोदी 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मुख्य यजमान के रूप में शामिल होंगे. इसके लिए वह 11 दिनों का अनुष्ठान कर रहे हैं. इस दौरान उन्हें यम नियमों का पालन करना पड़ता है. जानिए क्या हैं वे नियम...

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अपने 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान के दौरान केरल के गुरुवायुर मंदिर में पूजा करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (Photo: X/@narendramodi) रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अपने 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान के दौरान केरल के गुरुवायुर मंदिर में पूजा करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (Photo: X/@narendramodi)
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 19 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह में मुख्य यजमान के रूप में शामिल होंगे. शास्त्रों के मुताबिक भगवान के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा जिस यजमान के हाथों होता है उसे कुछ कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है, जिसे 'यम नियम' कहते हैं. पीएम मोदी भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिवसीय अनुष्ठान के दौरान 'यम नियम' का पालन कर रहे हैं. इस दौरान प्रधानमंत्री की दिनचर्या क्या रहती है, हम उसके बारे में बता रहे हैं...

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यम नियमों का पालन करते हुए प्रधानमंत्री इन दिनों फर्श पर कंबल ओढ़कर सो रहे हैं, और पूरे दिन में केवल नारियल पानी पीते हैं. वह रोज गौ पूजा करते हैं और गायों को चारा खिलाते हैं. वह प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के दान भी करते हैं, जैसे अन्नदान, वस्त्र दान इत्यादि. प्रधानमंत्री देश भर के प्रमुख मंदिरों का दौरा कर रहे हैं. इन सभी मंदिरों का जुड़ाव किसी न किसी प्रकार से भगवान राम से जुड़ा है. 

पीएम मोदी के अलग-अलग मंदिरों में जाने के पीछे भी है खास वजह

वह अब तक नासिक के रामकुंड और श्री कालाराम मंदिर, आंध्र प्रदेश के वीरभद्र मंदिर, केरल के गुरुवयूर और त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिरों में दर्शन-पूजन करने जा चुके हैं. इसी तरह, वह अगले दो दिनों में तमिलनाडु में ऐसे और मंदिरों का दौरा करेंगे. ये मंदिर न केवल देश के विभिन्न हिस्सों को एकजुट करने का काम करते हैं, बल्कि इनका भगवान राम से भी गहरा संबंध है.
 
पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री का देश भर के मंदिरों का दौरा करना और कई भाषाओं में रामायण सुनना, भजन गाना महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसका प्रभाव धर्म के दायरे से कहीं आगे तक जाता है. प्रधानमंत्री के प्रयासों का उद्देश्य अपने 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को मजबूत करना भी है.

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PM ने अपने अनुष्ठान के दौरान 'स्वच्छ तीर्थ' पहल की भी शुरुआत की
 
पीएम ने अपने 11 दिवसीय अनुष्ठान के दौरान 'स्वच्छ तीर्थ' पहल की भी शुरुआत की और खुद इसका नेतृत्व किया. 12 जनवरी को उन्होंने नासिक के श्री कालाराम मंदिर परिसर में खुद सफाई की.  उनकी इस पहल ने देश भर में मंदिरों की साफ-सफाई के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत की है. पीएम को देखकर देशभर में लाखों लोग स्वेच्छा से मंदिरों की सफाई में श्रमदान कर रहे हैं.  इस कैम्पेन में देश के सभी क्षेत्रों के लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई है. मशहूर हस्तियों से लेकर आम आदमी तक, सभी ने प्रधानमंत्री के आह्वान को स्वीकार किया है. जिसे एक्स (ट्विटर) पर #SwachhTeerthCampaign ट्रेंड में भी देखा गया है.

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