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यादों में मां... हीरा बा के साथ ममता और स्नेह के कोमल धागे से जुड़े थे नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री मोदी जब भी दिल्ली से गुजरात जाते तो कोशिश करते कि मां से जरूर मिलें. इस दौरान पीएम मोदी अपनी मां के घर में खाना जरूर खाते थे. मां के साथ खाना खाते पीएम की तस्वीर सुर्खियां बनतीं. पीएम मोदी ने बताया था कि जितना खाना हो, उतना ही भोजन मां अपनी थाली में लेतीं, एक दाना भी छोड़ना पसंद नहीं करतीं.

मां हीरा बा के साथ पीएम मोदी (फाइल फोटो) मां हीरा बा के साथ पीएम मोदी (फाइल फोटो)
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:17 AM IST

नरेंद्र मोदी कैसे प्रधानमंत्री बनकर भी अपनी मां के लिए सहज बालक ही रहे. ये हमें बार-बार देखने को मिलता है. तस्वीरों में, ब्लॉग में, कहानियों में, संस्मरणों में, वैश्विक मंचों में. अपनी मां का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि मेरी मां की बातें सुनकर आपको भी लगेगा कि अरे ये तो मेरी ही मां है. मेरी मां भी तो यही किया करती थी. पीएम मोदी की मां के निधन के बाद हीराबेन को लेकर नरेंद्र मोदी की चर्चाएं बरबस ही आंखों के सामने तैर जाया करती हैं. 

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प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां को अपने जीवन का आधार बताया करते थे. इसी साल जून में जब हीराबेन ने अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश किया तो पीएम मोदी ने अतीत पन्नों से अपनी यादें निकालकर एक विस्तृत ब्लॉग लिखा था और उन पलों को याद किया था जब हीराबेन के टूटे हुए घर में बालक नरेंद्र मोदी अपने पांच भाई-बहनों के साथ रहते थे. हीराबेन के पति का असामयिक निधन हो गया था. 6 बच्चों और सातवीं मां हीरा बा. सात लोगों का ये परिवार किन कठिनाइयों में पला बढ़ा ये बड़ी मार्मिक कहानी है. 

फिर इसी संघर्ष के बीच नरेंद्र मोदी पारिवारिक जीवन से अलग हुए और अपनी आध्यात्मिक और राजनीतिक यात्रा शुरू की. इन सालों में पीएम मोदी के लिए मां का प्यार और आशीर्वाद मजबूत स्तंभ बना रहा. 2014 लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के तुरंत बाद पीएम मोदी अपनी मां से मिलने पहुंचे थे और उनका आशीर्वाद लिया था. ये सिलसिला चलता रहा. पिछले 8 सालों में पीएम मोदी कई बार अपनी मां से गांधीनगर जाकर मिले. 

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मिठाई खिलाने के बाद रूमाल से मुंह जरूर पोंछती है मां 

पीएम मोदी ने बताया था कि मां से उनकी मुलाकात खास हुआ करती थी. पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि 'दिल्ली से मैं जब भी गांधीनगर जाता हूं, उनसे मिलने पहुंचता हूं, तो मुझे अपने हाथ से मिठाई जरूर खिलाती हैं और जैसे एक मां, किसी छोटे बच्चे को कुछ खिलाकर उसका मुंह पोंछती है, वैसे ही मेरी मां आज भी मुझे कुछ खिलाने के बाद किसी रूमाल से मेरा मुंह जरूर पोंछती हैं. वो अपनी साड़ी में हमेशा एक रूमाल या छोटा तौलिया खोंसकर रखती हैं.' 

प्रधानमंत्री मोदी जब भी दिल्ली से गुजरात जाते थे तो कोशिश करते थे कि मां से मिलें. इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी अपनी मां के घर में खाना जरूर खाते थे. कुर्सी टेबल पर मां के साथ खाना खाते पीएम की तस्वीर सुर्खियां बनती थीं. पीएम मोदी ने कहा था कि मां जितना खाना हो, उतना ही भोजन अपनी थाली में लेती हैं. थाली में वो अन्न का एक दाना नहीं छोड़तीं. नियम से खाना, तय समय पर खाना, बहुत चबा-चबा के खाना उनकी आदतों में शामिल था. 

मां ध्यान रखती थीं मेरे और मेरे निर्णयों को बीच कभी दीवार ना बनें 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार दूसरों पर अपनी इच्छा न थोपने की भावना उन्होंने बचपन से ही मां में देखी है. पीएम मोदी लिखते हैं, "खासतौर पर मुझे लेकर वो बहुत ध्यान रखती थीं कि वो मेरे और मेरे निर्णयों को बीच कभी दीवार ना बनें. उनसे मुझे हमेशा प्रोत्साहन ही मिला. बचपन से वो मेरे मन में एक अलग ही प्रकार की प्रवृत्ति पनपते हुए देख रहीं थीं. मैं अपने सभी भाई-बहनों से अलग सा रहता था."
मां को आभास हो गया था कि मैं कुछ अलग दिशा में जा रहा हूं. 

पीएम मोदी मानते हैं कि उनकी अलग दिनचर्या और प्रयोगों की वजह से उनकी मां को अलग-अलग इंतजाम करने पड़ते थे, लेकिन उन्होंने कभी अपनी मां के चेहरे पर शिकन नहीं देखी थी. पीएम मोदी बताते हैं, "मैं महीनों-महीनों के लिए खाने में नमक छोड़ देता था. कई बार ऐसा होता था कि मैं हफ्तों-हफ्तों अन्न त्याग देता था, सिर्फ दूध ही पीया करता था. कभी तय कर लेता था कि अब 6 महीने तक मीठा नहीं खाऊंगा. सर्दी के दिनों में, मैं खुले में सोता था, नहाने के लिए मटके के ठंडे पानी से नहाया करता था. मैं अपनी परीक्षा स्वयं ही ले रहा था. मां मेरे मनोभावों को समझ रही थीं. वो कोई जिद नहीं करती थीं. वो यही कहती थीं- ठीक है भाई, जैसा तुम्हारा मन करे." पीएम मोदी कहते हैं कि मां को आभास हो गया था कि मैं कुछ अलग दिशा में जा रहा हूं. 

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जब पहली बार घर छोड़कर निकले पीएम मोदी 

पीएम मोदी अपनी मां के कितने करीब थे इसका पता उस घटना से चलता है जब युवावस्था में पीएम मोदी अपना घर छोड़ने जा रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी बताते हैं कि जब उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया था तो मां को इसका आभास हो गया था. वो बोलीं कि तुम्हारा जो मन करे वो करो, लेकिन अपनी जन्मपत्री एक बार दिखा लो. पिताजी मेरी जन्मपत्री के साथ एक ज्योतिषी से मिले. जन्मपत्री देखने के बाद ज्योतिषी ने कहा कि उसकी तो राह ही कुछ अलग है, ईश्वर ने जहां तय किया है, वो वहीं जाएगा. 

घर से निकला तो मां की आंखों में आंसू थे 

इसके कुछ ही घंटे बाद नरेंद्र मोदी ने घर छोड़ दिया. मोदी कहते हैं, "घर से निकलने से पहले मां ने मुझे दही और गुड़ भी खिलाया. वो जानती थीं कि अब मेरा आगे का जीवन कैसा होने जा रहा है. मां की ममता कितनी ही कठोर होने की कोशिश करे, जब उसकी संतान घर से दूर जा रही हो, तो पिघल ही जाती है. मां की आंख में आंसू थे, लेकिन मेरे लिए खूब सारा आशीर्वाद भी था. 

क्या आप अपनी सैलरी से कुछ पैसा मां को भेजते हैं? 

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2019 लोकसभा चुनाव से पहले अभिनेता अक्षय कुमार के साथ इंटरव्यू में पीएम मोदी ने अपनी मां के साथ भावनात्मक संबंधों पर खुलकर बोला था. जब पीएम से पूछा गया था कि क्या वे अपने वेतन का कुछ हिस्सा हर महीने अपनी मां को भेजते हैं. इस सवाल पर पीएम मोदी ने कहा था कि उनकी माता आज भी स्वयं उन्हें ही पैसा देती हैं. आज भी जब वे उनसे मिलने जाते हैं तो वो उन्हें सवा रुपये पक्का मेरे हाथ में देती हैं. दूसरी बात यह है कि वो मुझसे कुछ अपेक्षा नहीं रखती हैं. उनकी जरूरत भी नहीं है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि उनके परिवार पर सरकार का कोई खर्च नहीं है. पीएम मोदी ने कहा कि इसका मतलब ये नहीं है कि मां के प्रति लगाव नहीं है. जीवन ही ऐसा बन गया है. 

बता दें कि पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी अपनी मां को कुछ दिनों के लिए दिल्ली अपने आवास लोक कल्याण मार्ग पर ले आए थे. इस बारे में चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने अक्षय कुमार को कहा था कि मेरी मां मुझे कहा करती थी कि तुम मेरे पीछे क्यों समय खराब करोगे? मैं यहां क्या करूंगी? तुम्हारे साथ मैं क्या बात करूं. फिर मैं मां को समय भी नहीं दे पाता था. एकाध बार साथ में खाना खा लेता था. कभी कभार देर से आता था तो मां को दुख होता था. रात में बारह बजे आया. मां सोचती थी क्या कर रहा है. 

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कभी रिश्वत मत लेना 

प्रधानमंत्री मोदी आज भी मां से मिले शिक्षा की हमेशा चर्चा करते हैं. पीएम मोदी बताते हैं कि जब मेरा मुख्यमंत्री बनना तय हुआ तो मैं गुजरात में नहीं था. एयरपोर्ट से मैं सीधे मां से मिलने गया था. खुशी से भरी हुई मां का पहला सवाल यही था कि क्या तुम अब यहीं रहा करोगे? मां मेरा उत्तर जानती थीं. फिर मुझसे बोलीं- मुझे सरकार में तुम्हारा काम तो समझ नहीं आता लेकिन मैं बस यही चाहती हूं कि तुम कभी रिश्वत नहीं लेना. 

प्रधानमंत्री बेटे के फैसले के साथ दिखीं मां हीराबेन 

हीरा बेन भले ही कहती रहीं हो कि वे नरेंद्र मोदी का काम नहीं समझती हैं. लेकिन नरेंद्र मोदी के फैसलों के साथ सदा वे हामी भरती दिखीं. नवंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया तो उन्होंने इसका समर्थन किया. हीरा बा एटीएम से नगदी निकालने के लिए कतार में खड़ी नजर आईं. पिछले साल जब कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही थी तो पीएम मोदी की मां हीरा बेन ने वैक्सीन लेकर एक संदेश देने की कोशिश की. 

मेरी मां भी तो ऐसा ही किया करती है 

इसी साल जून में लिखे अपने ब्लॉग में जब अपनी मां को याद किया तो उन्होंने अमूमन हर एक भारतीय मां की तस्वीर खींच दी थी. पीएम मोदी ने लिखा था, 'मेरी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी. ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है. आज जब मैं अपनी मां के बारे में लिख रहा हूं, तो पढ़ते हुए आपको भी ये लग सकता है कि अरे, मेरी मां भी तो ऐसी ही हैं, मेरी मां भी तो ऐसा ही किया करती है. ये पढ़ते हुए आपके मन में अपनी मां की छवि उभरेगी. 

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