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पेट्रोल-डीजल पर VAT क्यों नहीं घटातीं राज्य सरकारें? एक-दो रुपये की कटौती से हजारों करोड़ की लग जाती है चपत

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी राज्य सरकारों को घेरा. उन्होंने कहा कि इनके वैट नहीं घटाने से कीमतें कम नहीं हो रही हैं. लेकिन आखिर क्या वजह है कि राज्य सरकारें वैट नहीं घटा रहीं?

पेट्रोल-डीजल पर वैट से राज्यों को हजारों करोड़ रुपये की कमाई होती है. (फाइल फोटो-PTI) पेट्रोल-डीजल पर वैट से राज्यों को हजारों करोड़ रुपये की कमाई होती है. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST
  • केंद्र ने पिछले साल घटाई थी एक्साइज ड्यूटी
  • पेट्रोल पर 5, डीजल पर 10 रुपये कम किए थे
  • केंद्र के बाद कई राज्यों ने भी टैक्स घटाया था

PM Modi Petrol-Diesel: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की. ये बैठक कोरोना के हालात पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी, लेकिन इसमें पीएम मोदी ने राज्यों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रियायत देने की नसीहत दी. पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर में एक्साइजट ड्यूटी घटाई थी और राज्यों से टैक्स कम करने का आग्रह किया था. लेकिन कुछ राज्यों ने मेरी बात नहीं मानी. उन्होंने विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि मेरा आग्रह है कि वैट घटाएं और नागरिकों को लाभ पहुंचाएं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मीटिंग में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और तमिलनाडु का नाम लिया. वहीं, कर्नाटक और गुजरात जैसे बीजेपी शासित राज्यों की तारीफ करते हुए कहा कि अगर ये वैट न घटाते तो इन्हें हजारों करोड़ रुपये का राजस्व मिलता.

पीएम के बयान पर सियासत तेज

प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान के बाद सियासत भी तेज हो गई. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने ट्वीट कर लिखा कि केंद्र सरकार सेस के नाम पर राज्य को लूट रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र अगर सेस को हटा दे तो पूरे देश में पेट्रोल 70 रुपये और डीजल 60 रुपये प्रति लीटर में मिलेगा.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा कि केंद्र पर हमारा 98 हजार करोड़ रुपये बकाया है, अगर केंद्र इसका भुगतान कर देता है तो अगले 5 साल तक कोई टैक्स नहीं लेंगे. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि सबसे ज्यादा टैक्स महाराष्ट्र से आता है, उसके बावजूद केंद्र पर 26 हजार करोड़ का जीएसटी बकाया है. उन्होंने महाराष्ट्र के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया. 

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2, 5, 7 या 10 रुपये घटाने से कितना असर?

- 2 रुपये तकः बिहार सरकार ने पिछले साल नवंबर में पेट्रोल पर 1.30 रुपये और डीजल पर 1.90 रुपये वैट घटाया था. इससे उसे 6 महीने में 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसी तरह ओडिशा ने प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल पर 3 रुपये की कटौती की थी, जिससे उसे 1,154 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. 

- 5 रुपये तकः राजस्थान सरकार ने भी पेट्रोल पर 5 और डीजल पर 4 रुपये की कटौती की थी, जिससे उसे 2,415 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. 

- 7 रुपये तकः यूपी ने पेट्रोल पर 7 और डीजल पर 2 रुपये घटाए तो उसे 2,806 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. कर्नाटक सरकार ने पिछली साल नवंबर में पेट्रोल-डीजल पर 7 रुपये का वैट घटाया था, इससे उसे 5,314 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. गुजरात ने भी दोनों पर 7 रुपये का वैट घटाया तो उसे 3,555 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. हरियाणा सरकार ने नवंबर में पेट्रोल पर 7 और डीजल पर 2 रुपये की कटौती थी, जिससे उसके रेवेन्यू में 973 करोड़ रुपये कम आए. असम ने 7 रुपये वैट घटाया तो 789 करोड़ रुपये और जम्मू-कश्मीर ने भी 7 रुपये घटाए तो 506 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. मध्य प्रदेश ने भी 7 रुपये घटाए तो उसे 2,114 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.

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- 10 रुपये तकः पंजाब सरकार ने ने प्रति लीटर पेट्रोल पर 10 और डीजल पर 5 रुपये घटाए थे. इससे उसके रेवेन्यू में 1,949 करोड़ रुपये की कमी आई.

पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से किसकी कितनी कमाई?

- केंद्र सरकारः पेट्रोल पर 27.90 रुपये और डीजल पर 21.80 रुपये एक्साइज ड्यूटी लगती है. एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार ने पिछले 8 साल में 18.23 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है. इसमें से 2.62 लाख करोड़ रुपये अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 तक कमाए हैं. 

- राज्य सरकारेंः अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग वैट, सेल्स या दूसरी तरह के टैक्स पेट्रोल-डीजल पर लगते हैं. बीते 8 साल में राज्य सरकारों ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से 14.26 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कमाए हैं. इसमें से 1.89 लाख करोड़ रुपये तो 2021-22 की तीन तिमाही में ही कमाए हैं.

 

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