
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बठिंडा से 140 किमी दूर हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाना था. लेकिन हुसैनीवाला से 30 किमी पहले ही फिरोजपुर के मुदकी में फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री का काफिला 20 मिनट तक असुरक्षित होकर फंस गया. जिसके बाद देश की राजनीति में जबर्दस्त हलचल है.
जहां एक तरफ बीजेपी, पंजाब की कांग्रेस सरकार पर हमलावर है वहीं इस मामले में किसान नेता राकेश टिकैत ने भी आजतक से ख़ास बातचीत की. जिसमें उन्होंने ना सिर्फ घटना को लेकर जांच की बात कही, बल्कि इस पर उन्होंने खुद बीजेपी पर भी संदेह व्यक्त कर दिया.
मामले पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री को सड़क मार्ग से नहीं जाना चाहिए था. बीते दिन जो कुछ भी हुआ उस पूरे सिस्टम की जांच होनी चाहिए. बीजेपी चुनाव में अपने वोट को भुनाने के लिए प्रधानमंत्री पद का गलत इस्तेमाल कर रही है.
उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला जांच का विषय है. इसमें जांच होनी चाहिए कि वाकई में चूक कहां हुई है. पीएम पहले तो हवाई मार्ग से तय जगह पर पहुंचने वाले थे, लेकिन ऐन वक़्त पर उनका सड़क मार्ग से जाना अपने आप में सवाल उठाता है. पीएम का 100 किलोमीटर से भी ज्यादा का सफ़र सड़क मार्ग से करना जायज नहीं था.
5 जनवरी को प्रधानमंत्री के पंजाब दौरे से जुड़ी घटनाओं के बारे में संयुक्त किसान मोर्चा ने भी अपना वक्तव्य जारी किया है. जिसके मुताबिक...
1. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 जनवरी को प्रस्तावित पंजाब के दौरे की खबर मिलने पर संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 10 किसान संगठनों ने अजय मिश्र टेनी की गिरिफ्तारी और अन्य बकाया मांगों को लेकर उनका प्रतीकात्मक विरोध करने का ऐलान किया था. इस उद्देश्य से 2 जनवरी को पूरे पंजाब में गांव स्तर पर और 5 जनवरी को जिला और तहसील मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन के कार्यक्रम घोषित किए गए थे. प्रधानमंत्री की यात्रा रोकने या उनके कार्यक्रम में अड़चन डालने का कोई कार्यक्रम नहीं था.
2. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 5 जनवरी को पंजाब के हर जिले और तहसील मुख्यालय पर शांतिपूर्ण विरोध किया गया. जब पुलिस प्रशासन द्वारा कुछ किसानों को फिरोजपुर जिला मुख्यालय जाने से रोका गया तो उन्होंने कई जगह सड़क पर बैठ कर इसका विरोध किया. इनमें से प्यारेयाणा का वह फ्लाईओवर वह भी था जहां प्रधानमंत्री का काफिला आया, रुका और वापस चला गया. वहां के प्रदर्शनकारी किसानों को इसकी कोई पुख्ता सूचना नहीं थी कि प्रधानमंत्री का काफिला वहां से गुजरने वाला है. उन्हें तो प्रधानमंत्री के वापस जाने के बाद मीडिया से यह सूचना मिली.
3. मौके की वीडियो से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री के काफिले की तरफ जाने की कोई कोशिश तक नहीं की. बीजेपी का झंडा उठाए "नरेंद्र मोदी जिंदाबाद" बोलने वाला एक समूह ही उस काफिले के नजदीक पहुंचा था. इसलिए प्रधानमंत्री की जान को खतरा होने की बात बिल्कुल मनगढ़ंत लगती है.
4. यह बहुत अफसोस की बात है कि अपनी रैली की विफलता को ढकने के लिए प्रधानमंत्री ने "किसी तरह जान बची" का बहाना लगाकर पंजाब प्रदेश और किसान आंदोलन दोनों को बदनाम करने की कोशिश की है. सारा देश जानता है कि अगर जान को खतरा है तो वह किसानों को अजय मिश्र टेनी जैसे अपराधियों के मंत्री बनकर छुट्टा घूमने से है. संयुक्त किसान मोर्चा देश के प्रधानमंत्री से यह उम्मीद करता है कि वह अपने पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए ऐसे गैर जिम्मेदार बयान नहीं देंगे.
क्या बोले नवजोत सिंह सिद्धू?
इसके साथ ही पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई चूक पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की प्रतिक्रिया भी आ गई है. बरनाला में हुई एक रैली को संबोधित करते हुए सिद्धू ने कहा कि पीएम की रैली (फिरोजपुर) में भीड़ नहीं जुट पाई थी, इसलिए सुरक्षा के मुद्दे को भुनाया गया.
बरनाला में सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और भाजपा को भी निशाने पर लिया. वह बोले कि पंजाब के लोगों के लिए ही कैप्टन अमरिंदर सिंह से उनकी रार चलती थी. सिद्धू ने सुरक्षा में हुई चूक के मसले पर भी बयान दिया. सिद्धू बोले कि बुधवार को प्रधानमंत्री की रैली में भीड़ नहीं जुट पाई, सारी कुर्सियां खाली रह गईं, इसलिए ध्यान भटकाने के लिए सुरक्षा के मुद्दे को भुनाया जा रहा है.
(अमित भारद्वाज के इनपुट के साथ)