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'PM मोदी ने नोटबंदी की 'महाविफलता' को नहीं स्वीकारा,' नोटबंदी की बरसी पर खड़गे का हमला

नोटबंदी की छठी वर्षगांठ से एक दिन पहले एक मीडिया रिपोर्ट पर खड़गे ने टिप्पणी की. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि जनता के पास मुद्रा 21 अक्टूबर तक 30.88 लाख करोड़ रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है. 

नोटबंदी के 6 साल पूरे होने पर पीएम मोदी पर हमलावर है कांग्रेस नोटबंदी के 6 साल पूरे होने पर पीएम मोदी पर हमलावर है कांग्रेस
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:59 AM IST

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार के 2016 के नोटबंदी के कदम को लेकर सवाल खड़े किए. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अभी तक इस 'बड़ी विफलता' को स्वीकार नहीं किया है जिसके कारण अर्थव्यवस्था की खराब हालत हुई. विमुद्रीकरण की छठी वर्षगांठ से एक दिन पहले एक मीडिया रिपोर्ट पर खड़गे ने टिप्पणी की. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि जनता के पास मुद्रा 21 अक्टूबर तक 30.88 लाख करोड़ रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है. 

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खड़गे ने एक ट्वीट में कहा, 'नोटबंदी से देश को काले धन से मुक्त करने का वादा किया गया था. लेकिन इसने व्यवसायों को नष्ट कर दिया और नौकरियों को बर्बाद कर दिया. 'मास्टरस्ट्रोक' के 6 साल बाद सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नकदी 2016 की तुलना में 72% अधिक है.' कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने अभी तक इस विफलता को स्वीकार नहीं किया है जिसके कारण अर्थव्यवस्था गिरी. 

राहुल गांधी ने बताया 'डीमो-लाशन'

इसके बाद हिंदी में ट्वीट कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि काला धन नहीं आया, सिर्फ गरीबी आई और अर्थव्यवस्था कैशलेस नहीं हुई, कमजोर हुई. उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण में, 'राजा' ने '50 दिनों' की बात करके अर्थव्यवस्था का 'डीमो-लाशन' किया. 

क्या कहते हैं RBI के आंकड़े?

आरबीआई के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 21 अक्टूबर 2022 तक देश की जनता के पास नकदी बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये हो गई. जबकि 4 नवंबर, 2016 तक 17.7 लाख करोड़ रुपये चलन में थे. जनता के पास नकदी या मुद्रा का मतलब उन नोटों और सिक्कों से माना जाता है, जिनका इस्तेमाल लोग लेन-देन करने, व्यापार करने या सामान और सेवाओं को खरीदने के लिए करते हैं. प्रचलन में मुद्रा से बैंकों में जमा पैसे को घटाकर ये आंकड़ा निकाला जाता है.

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नोटबंदी के 6 साल

गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार और काले धन को कम करने के अंतिम उद्देश्य के साथ 500 और 1,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के निर्णय की घोषणा की थी.

 

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