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सुप्रीम कोर्ट PMLA पर फैसले के खिलाफ 2 मुद्दों पर पुनर्विचार को तैयार, केंद्र को भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि कुछ मुद्दों पर फिर से गौर करने की जरूरत है और हम मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम के पूरी तरह से समर्थन में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखने के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया

फाइल फोटो फाइल फोटो
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST

सुप्रीम कोर्ट प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्‍ट (PMLA) पर अपने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार करने को तैयार हो गया है. हालांकि, कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह दो मुद्दों पर ही पुनर्विचार  करेगी. इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेज दिया है. अब इस मामले में चार हफ्तों के बाद सुनवाई होगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि कुछ मुद्दों पर फिर से गौर करने की जरूरत है और हम मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम के पूरी तरह से समर्थन में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखने के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया.

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कोर्ट ने इन दो पहलुओं पर करेगी पुनर्विचार

- ECIR (ED की तरफ से दर्ज FIR) की रिपोर्ट आरोपी को न देने का प्रावधान
- खुद को निर्दोष साबित करने का जिम्मा आरोपी पर होने का प्रावधान


PMLA के कई प्रावधानों की दी गई थी चुनौती

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को बरकरार रखा था. कोर्ट ने कहा था, ED की गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है. 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी. याचिकाओं में कहा गया था कि  PMLA कानून के तहत गिरफ्तारी, जमानत देने, संपत्ति जब्त करने का अधिकार CrPC के दायरे से बाहर है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में PMLA एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए कहा गया था कि इसके CrPC में किसी संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं होता है.

SC ने बरकरार रखे थे ईडी के अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने PMLA एक्ट के तहत ईडी के अधिकार को बरकार रखा था. SC ने अपने फैसले में ईडी के जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति को अटैच करने के अधिकार को बरकरार रखा. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों (पुलिस अफसर नहीं) के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं. इसके साथ ही बेंच ने कहा, आरोपी को ECIR (शिकायत की कॉपी) देना भी जरूरी नहीं है. यह काफी है कि आरोपी को यह बता दिया जाए कि उसे किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है. कोर्ट ने बेल की कंडीशन को भी बरकरार रखा है. 

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